कल्पना साकार हुई-1
मेरा नाम तनय है, मैं इन्दौर का रहने वाला हूँ। मेरी कपडे की दुकान है। र्मैं 32साल का हूँ, दिखने में आम लोगों जैसा हूँ। मेरी बीवी तृष्णा 26 साल की सांवली, सुन्दर और सेक्सी बदन की है। वो बहुत ही कामुक है, हम दोनों बहुत सेक्स करते हैं, सेक्सी बातें, ओरल सेक्स सभी प्रकार के सेक्स का मजा लेते हैं।
मैं नेट पर अश्लील वेब साइट देखता हूँ खासकर अन्तर्वासना की कहानियाँ बहुत पढ़ता हूँ। एक कहानी, जिसमें एक युगल केरल में छुट्टी मनाने जाता है, वहाँ मालिश वाले से उस युवक की बीवी मालिश के साथ साथ सेक्स भी करती है, इस प्रकरण में युवक को अपनी बीवी को किसी और के साथ सेक्स करते देखने में बहुत मजा आता है।
यह कहानी पढ़कर मेरे मन में आया कि क्या मैं भी ऐसा कर सकता हूँ? और यही सोच मुझे नये कार्य को करने के लिए प्रेरित करने लगी।
अपनी बीवी को किसी और के साथ सेक्स करने के लिए प्रेरित कैसे किया जाये, मैं यह सोचने लगा। मैंने उसे सबसे पहले अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़वाई। फिर उसे लम्बे लम्बे लंडों के फोटो दिखाए, सेक्स क्लिप, लंड चूसने वाले चित्र चलचित्र दिखाए।
15 दिनों की मेहनत के बाद एक रात अपने मोबाईल पर उसे खड़े लंड के फोटो दिखा कर सेक्सी बातें करते हुए मैंने उससे मजाक में पूछा- क्या तुम किसी दूसरे लंड के साथ सेक्स करना चाहोगी?
उसने भी मजाक करते हुए कहा- यदि तुम करने दो तो मैं कर लूँगी!
फिर क्या था, मैं उसे रोज रात को सेक्स करते हुए दूसरे के साथ सेक्स करने की बातें करते हुए उसकी प्यास बढ़ाता रहा और दिन में नेट पर अन्तर्वासना फोरम के जरिये एक ऐसे लड़के की तलाश करता रहा जो मेरी बीवी के साथ सेक्स के लिए तैयार हो और वो हमको जानता भी ना हो क्यूंकि हम एक अच्छे परिवार से हैं, यदि किसी ऐसे के साथ सेक्स किया जाये जो हमें जानता है तो इसमें हमारी इज्जत पर आंच आ सकती थी।
करीब 25 लड़कों से मैंने नेट पर बात की। इनमें से एक लड़का विक्रम राज जो इंदौर का ही रहने वाला है, मैंने उससे बात को आगे बढ़ाया। विक्रम एक कॉलेज का छात्र है, वो ऍम.बी.ए. कर रहा है, मेरे घर से लगभग 18 किलोमीटर दूर शहर के दूसरे छोर पर रहता है और हम दोनों में से किसी को भी नहीं जानता था।
मैंने सबसे पहले विक्रम से एक मुलाकात की। विक्रम दिखने में चेहरे से ज्यादा सुन्दर तो नहीं है पर वो एक गठीले शारीर का मालिक है, साथ ही वो एक समझदार लड़का है।
सेक्स करने के लिए जगह को उसी के कमरे को तय किया गया। तारीख 11 फ़रवरी, 2010 दिन गुरुवार, समय दिन के 12 बजे। इस बात को मैंने मेरी बीवी से छिपा कर रखा, मैं उसे चकित कर देना चाहता था।
बुधवार की रात मैंने तृष्णा के बदन की मालिश और नीचे के बाल साफ़ करते हुए कहा- कल सुबह जल्दी गृहकार्य निबटा लेना, मार्केट जाना है!
दूसरे दिन सुबह वह घर के सभी काम समाप्त करके मार्केट जाने के लिए तैयार हो गई। उसने काले सफ़ेद रंग का सलवार सूट पहना था, सूट में वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। ऐसा नहीं लग रहा था कि उसकी शादी हो गई हो।
हम दोनों मेरी मोटरसाइकल पर नियत स्थान के लिए रवाना हुए। उसे अभी तक नहीं मालूम था कि हम कहाँ जा रहे हैं। शहर को पार करने के बाद वो मुझसे बोली- हम कहाँ जा रहे हैं? मैंने उसे बातों में टाल दिया।
विक्रम एक बहुमंजिली इमारत के तीसरे माले पर रहता है। अपार्टमेन्ट के नीचे पहुँच कर मैंने अपनी बीवी को कहा- आज तुम अपनी दूसरे लंड की प्यास को बुझा लो!
वह यह बात सुनते ही थोड़ा सहम गई, मैंने उसका हाथ पकड़ा और सीढ़ियों के रास्ते हम तीसरे माले पर जाने लगे। चूंकि मेरे लिए भी यह पहला अवसर था तो डर मुझे भी लग रहा था। कमरे के सामने पहुँच कर मैंने दरवाजा खटखटाया। जैसा मुझे यकीन था कि दरवाजा खोलने वाला विक्रम ही होगा, उसने दरवाजा खोला।
मेरी बीवी ने उसे देखते ही मेरा हाथ कस के पकड़ लिया, उसका गला थोड़ा सूखने लगा, धड़कन तेज हो गई, सांसो में थोड़ी तेजी आ गई।
हम अन्दर आ गये, विक्रम ने हमारा स्वागत हाथ मिला कर किया। विक्रम ने दरवाजा बन्द कर दिया। तृष्णा दरवाजे के बगल में लगे डबलबेड पर बैठ गई। उसने पीने के लिए पानी माँगा जो विक्रम ने उसे दिया। अपने गले को पानी से तर करते हुए उसने अपने आप को थोड़ा संभाला और आगे की प्रक्रिया के लिए आपने आप को तैयार किया। मैंने इशारे से विक्रम को तृष्णा के पास बैठने को कहा।
वो धीरे से तृष्णा के पास बैठ गया, तृष्णा की सांसें और तेज हो गई। मेरे इशारा करते ही विक्रम ने एक हाथ तृष्णा की जाँघ पर रख दिया। हाथ का स्पर्श पाते ही तृष्णा की आँखें बंद हो गई, सांसें और तेज हो गई। वो अपने आप को सामान्य करने की कोशिश कर रही थी पर कर नहीं पा रही थी। उसकी इस हालत को मैं और विक्रम भली प्रकार से समझ सकते थे क्यूंकि हम दोनों की भी कुछ हालत इस प्रकार थी।
विक्रम के हाथ के स्पर्श ने अब तृष्णा के सेक्स करने की चाह को और प्रबल बना दिया था। अब विक्रम को इशारे की जरुरत नहीं थी, उसने एक मंझे हुए खिलाड़ी के समान अपना काम शुरू कर दिया।
पहले उसने बड़े प्यार से तृष्णा के शरीर को छूना शुरू किया, विक्रम के हाथ तृष्णा के स्तनों पर स्पर्श करते ही तृष्णा के मन में काम वासना जागने लगी। विक्रम का हाथ अब तृष्णा के स्तनों की गोलाई नापने लगा। वो अब गर्म सांसें छोड़ने लगी, आँखे बंद, एडी से दूसरे पाँव को दबाते हुए अपने बदन की अंगड़ाई लेते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अब कामदेव तृष्णा के शरीर में समा गए हों।
अपने दोनों हाथों से विक्रम तृष्णा की कुर्ती को पकड़ कर निकालने लगा तो तृष्णा ने उसके हाथ पकड़ लिए फिर छोड़ दिए। कुर्ती जैसे ही ऊपर हुई तृष्णा की काले रंग की पारदर्शी ब्रा दिखने लगी। ब्रा के अन्दर से दोनों चूचियाँ दिखने लगी। अगले ही पल तृष्णा सलवार और ब्रा में थी। उसकी सुन्दरता देख कर मेरा लंड सख्त हो गया। जब मेरा यह हाल था तो विक्रम का क्या हाल होगा, यह विचार मेरे मन में आया।
मेरी नजर विक्रम की पैंट पर पड़ी, उसका लंड पैंट फाड़ कर बाहर आने को उतावला हो रहा था। फिर विक्रम ने ज्यादा देर न करते हुए खुद के भी कपड़े बदन से अलग करके केवल अन्डरवीयर में आ गया। अन्डरवीयर से उसका खड़ा लंड अब अच्छे से दिख रहा था। उसने धीरे से मेरी बीवी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके स्तनों का रसपान करने लगा। मेरी बीवी आँखें बंद करके सेक्स का मजा लेने लगी।
दस मिनट तक दुग्धपान करने के बाद विक्रम ने तृष्णा की सलवार उतारी। सलवार के उतरते ही तृष्णा थोड़ा शरमाई पर अब शर्म कम और वासना ज्यादा लग रही थी। पारदर्शी पैंटी में मेरी बीवी अति कामुक दिख रही थी। उसकी ऐसी खूबसूरती मैंने पहले कभी ना देखी थी। वो आज कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रही थी, ऐसी दिख रही थी जैसे कामदेव की पत्नी रति हो।
विक्रम ने तृष्णा की पैंटी भी निकाल दी, अब तृष्णा पूर्ण रूप से नग्न अवस्था में दो पुरुषों के सामने लेटी हुई उन्हें कामक्रीड़ा के लिए आमंत्रित कर रही थी। तृष्णा की बाल रहित चूत देख कर विक्रम एक भूखे शेर की तरह तृष्णा पर टूट पड़ा और तृष्णा की चूत को चाटने लगा।
इससे आगे की कहानी दूसरे भाग में!
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