दर्जी के लौड़े पर हूर की चूत -2

दर्जी के लौड़े पर हूर की चूत -2

अब तक आपने पढ़ा..
वो थोड़ा शरमाते हुए बोली- पर अंकल अगर किसी को इस बारे में पता चला तो मेरे लिए बहुत दिक्कत हो जाएगी और थोड़ी देर पहले आपने सही कहा था कि आज तक मेरे स्तनों को छूना तो दूर उन्हें किसी ने देखा भी नहीं है। इसलिए मुझे बहुत शर्म भी आ रही है।

मैंने उसकी बात को बीच में ही काट कर कहा- देखो.. पहली बात तो ये.. कि इस कमरे में क्या हुआ.. ये किसी को नहीं पता चलेगा और दूसरी बात कि ये हो सकता है कि आज तक तुम्हारे बदन को किसी ने बिना कपड़ों के नहीं देखा या छुआ है.. पर कल को तुम्हारी शादी होगी तब भी क्या तुम उसे अपना बदन नहीं छूने दोगी और फिर मुझे कौन सा तुम्हारा बदन एक घंटे तक निहारना है बस दस मिनट में तुम दुबारा कपड़े पहन लेना। निगार भी दस मिनट के लिए ही मेरे सामने नंगी हुई थी।

अब आगे..

शायद उसके गले मेरी कुछ बात उतरी और वो बोली- पर एक वादा करिए कि आप निगार को भी आज के बारे में कुछ नहीं बताएँगे।
वादे का क्या था.. मैंने तुरंत वादा कर दिया।
उसने अपने दोनों हाथ हवा में ऊपर उठा लिए और आँख बंद करते हुए बोली- उतार दीजिये ये सूट..

मुझे तो जैसे जन्नत नसीब हो गई हो। मैं बिना समय बर्बाद किए आगे बढ़ा और उसके बदन से उसके सूट को एक झटके में अलग करते हुए तखत पर उसका सूट फेंक दिया।

हाआआ… आआअह्.. इतनी खूबसूरत हसीना..
मैं पहली बार इतने करीब से इस अवस्था में एक मस्त माल देख रहा था।

उसकी गुलाबी ब्रा में से उसके रुई के गोलों से स्तन बाहर निकलने को आमादा थे। मेरी आँखें तो फटी की फटी रह गईं और बस एकटक मैं उसके बदन के उभारों को आखों से ही मसल डालने की नाकाम सी कोशिश में लग गया।

एक मिनट बाद वो मुस्कुराते हुए बोली- मुझे मालूम था कि अब आपको करंट लगेगा। क्या हुआ देखते ही रहेंगे या फीता उठा कर इन्हें नापेंगे भी? याद है न आपके पास दस मिनट ही हैं.. फिर मैं कपड़े पहन लूँगी।

मैं हल्का सा झेंप गया और तुरंत आसमान से जमीन पर आ गया। मैंने एक बार फिर से उसके पेट और कंधे की नाप ली।
फिर जैसे ही मैंने सीने की नाप लेने की कोशिश की.. उसकी आँखें एक बार फिर बंद हो गईं, वो थोड़ी असहज सी हो रही थी।
मैंने अंतिम हथौड़ा मारने का निश्चय कर लिया। फीते को अपने कंधे पर रखा और फिर से पुराने अंदाज़ में चार उँगलियों को उसके स्तनों के नीचे लगाते हुए अंगूठों से ब्रा के ऊपर से ही उसके टिप हल्के-हल्के रगड़ने शुरू किए।

इस बार उसने कोई सवाल नहीं किया शायद उसे लगा कि मैं स्तनों को सही से उभारने की कोशिश कर रहा था।

उसका मुँह पूरा खुल गया.

. साँसें एकदम धौंकनी की तरह चलने लगीं और आधे मिनट में ही वो स्टूल से लड़खड़ा कर मेरी गोद में आ गिरी.. मानो एक हुआ पका आम डाल से टूट कर धरती की गोद में समां गया हो।

अब बस मुझे इस आम के रस को अन्दर तक पीना था। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरे भाग्य में इतनी हसीन और कमसिन लड़की के साथ सम्भोग का मौका लिखा था।

वो काम के नशे में एकदम चूर थी। बस तुरंत मैंने अपना एक पैर स्टूल पर रखा और उसे अपनी एक बांह और एक जांघ पर टिका दिया।

उसके अन्दर की कामाग्नि थोड़ी ठंडी हो.. उससे पहले मैंने उसके दोनों स्तनों को ब्रा से मुक्त करा दिया। फिर एक स्तन को मुँह से ही चूसना चालू किया और दूसरे को दायें हाथ से मसलना।
फिर अपने दायें हाथ से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और पहले पैंटी के ऊपर से ही.. फिर अन्दर से उसके नाजुक अंगों में सिहरन पैदा कर दी।

फिर मैंने एक उंगली अन्दर डाल कर चूत के उस बिंदु पर रख दी.. जहाँ से वो एकदम हिल गई।
उसकी आँखें तो खुलने से रहीं.. वो और गरम होती चली गई।
उसके मुँह से बस यही सुनाई दे रहा था आह्ह्ह.. आहह्हह..

फिर उसके मुँह से वो शब्द निकला.. जिसे मैं सुनने के लिए बेताब था।
वो बोली- उतार दो.. सारे कपड़े उतार दो.. और मेरी प्यास बुझा दो।

बिना वक़्त बर्बाद किए.. मैंने उस हसीं सपने को अपने बिस्तर (तख्त) पर लिटाया, पहले उसकी सलवार उतारी और फिर पैंटी भी..

वल्लाह.. क्या खूबसूरत बदन और वो भी आपके सामने नंगे पड़ा हो और कह रहा हो कि आओ मुझे छलनी-छलनी कर दो.. तो आप से ज्यादा भाग्यशाली और कोई हो ही नहीं सकता।

इतने में शायद वो थोड़ा होश में आई और आँखे खोल कर बोली- अंकल.. मुझे तो सेक्स का कोई अनुभव नहीं है। कुछ गड़बड़ तो नहीं होगी?
मैंने कहा- हट पगली.. कुछ नहीं होगा..
फिर मैंने अपने कपड़े तुरंत उतारते हुए उससे पूछा- एक बात सच-सच बताना.. चलो माना कभी सेक्स नहीं किया.. पर क्या कभी कोई ब्लू-फिल्म भी नहीं देखी?

वो शरमाते हुए बोली- देखी है.. वही निगार.. वही कहीं से कभी-कभी लेकर मेरे घर आती है.. और फिर हम लोग ऊपर वाले कमरे में जा कर लैपटॉप पर चुपके-चुपके देखते हैं। मैं उसे मना करती हूँ.. पर जब वो ले आती है तो मन भी नहीं मानता।

मैं हल्का सा मुस्कुराया और बोला- वो उन फिल्मों की सीडी मुझसे ही तो मंगाती है.. बदले में कभी-कभार एक आध चुम्मा.

. तो कभी कुछ और भी दे जाती है। तो फिर जब तुमने इतनी सीडी देख ही चुकी हैं.. तो चलो अब तुम शुरू हो जाओ। मैंने तुम्हें बहुत गरम कर लिया.. अब तुम मुझे गरम करो।
यह कहते हुए मैं नंगे बदन कमर पर हाथ रख कर खड़ा हो गया।

वो बोली- अंकल.. मुझे शर्म आती है.. आप पहले लाइट बुझाओ।
मैंने कहा- ओके.. चलो लाइट बुझा दी..
मैं लाइट बुझा कर फिर वैसे ही खड़ा हो गया। अब बस ऊपर के रौशनदान से कुछ रौशनी आ रही थी।

वो बिना कुछ बोले बिस्तर से उठी.. मेरे पास आई.. घुटने के बल झुकी और पूरा का पूरा मेरा आठ इंच का लिंग अपने मुँह में ले लिया।
मैं उसके बालों में उंगलियाँ फिराता रहा। और फिर उसने जो मजे दिए.. बस यही लग रहा था.. जैसे मैं दरवेश और ये मेरी हूर।
थोड़ी ही देर में मैं झड़ने की स्थिति में आ गया। मैंने उसे कंधे से पकड़ के ऊपर उठाया और सीने से चिपका लिया।

तभी धीरे से मेरे कान में वो बोली- क्यों अंकल.. मज़ा आया?

मैंने कहा- अरे इतना मज़ा तो मुझे जवानी में भी नहीं आया। अपनी बीवी से तो मैंने कई बार ये वाला सेक्स करने को कहा.. पर वो करती ही नहीं है और निगार भी इतना बढ़िया नहीं कर पाती जितना बढ़िया तुम करती हो।

वो थोड़ा सा नाराज़ हुई- अरे.. ये बार-बार आप निगार का नाम क्यों ले रहे हैं..? उसी से मज़े ले लिया करो।
उसने दूसरी तरफ मुँह कर लिया।
तुरंत मैंने उसे पीछे से झप्पी दी.. उसके मखमली स्तनों को मसला और एक हाथ से उसके नीचे के बालों में उँगलियों फेरते हुए कहा- अरे मेरी रानी.. बस तुम्हें छेड़ रहा था।

फिर मैंने आराम से उसे बिस्तर पर लिटाया और अपने लिंग पर तेल लगा कर उसे चोदने को तैयार हो गया।
वो बोली- बहुत दर्द होगा न.. मैंने आज तक ये नहीं किया है।
मैंने उसको बातों में उलझाया और धीरे से लिंग को उसकी चूत के मुहाने पर लगा दिया।
पहले धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करता रहा। वो भी दर्द मिश्रित ‘आहों’ के साथ लण्ड से चुदने का आनन्द ले रही थी।

मैंने दोनों हाथों को उसके मम्मों पर रख दिया और मसलना चालू कर दिया। जब वो काम की आग में डूब गई.. तो एक जोर का झटका मारा और आठ इंची का मेरा डंडा उसके गड्ढे में घुस गया।
उसके मुँह से एक चीख निकली। मैंने उसे कस कर जकड़ लिया और उसके कराहने के बावजूद लौड़े को चूत के अन्दर-बाहर करता रहा।

थोड़ी देर में वो नार्मल हो गई और वो भी मजे लेने लगी। फिर तो हम लोगों ने कई एंगल में सेक्स किया।
वो भी ब्लू-फिल्म के कई पोज़ मुझे बता-बता कर चोदने को कहती रही और मैंने भी खूब मजे लिए।

अंत में मैंने उससे कहा- अंत वैसे ही करेंगे.

. जैसे शुरू किया था।
यह कहते हुए मैं जमीन पर खड़ा हो गया।
वो भी अब मुझसे काफी खुल गई थी। तुरंत उठी और बोली- जो हुक्म मेरे आका..
उसने मुस्कुराते हुए फिर से मेरा पूरा लवड़ा अपने मुँह में ले लिया।
ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके गले तक लण्ड चला जा रहा हो।

थोड़ी देर तक मजे देने के बाद उसने मुझे झाड़ दिया और मेरा पूरा वीर्य उसके मुँह में ही गिर गया.. जिसे वो शरबत की तरह पी गई।

मैंने भी गहरी साँसे लेते हुए कहा- ये था तुम्हारे पहले सेक्स का प्रसाद..

फिर मैंने उसके जिस्म की सही से नाप भी ली और उसके कपड़े भी सिले। उसके बाद अब तो वो मेरी दुकान पर अक्सर आती है और कहती है- अंकल अब ब्लू-फिल्म में मज़ा नहीं आता.. रियल फिल्म बनाने का मज़ा जो मिल गया।

मुझे भी अब अपनी बीवी की कोई कमी नहीं खलती।

फिर एक दिन तो गज़ब हो गया। निगार और शाजिया दोनों एक ब्लू-फिल्म की सीडी लेने साथ मेरी दुकान पर आई थीं.. पर शाजिया बाहर ही खड़ी थी और निगार दुकान के अन्दर आई।
निगार को ये नहीं पता था कि अब शाज़िया भी आए दिन मेरी दुकान पर अपनी आग बुझवाने आती है।
मैंने भी निगार को कभी नहीं बताया क्योंकि मैंने शाजिया से वादा किया था।

उस दिन भी दुकान में कोई नहीं था, निगार ने मुझे सीडी के लिए इशारा किया, मैंने देखा शाज़िया बाहर स्कूटी पर बैठी है।
उस दिन मुझे शरारत सूझी कि क्यों न दोनों को इस बात के लिए तैयार कर लिया जाए कि दोनों एक-साथ मेरे सामने आपस की झिझक छोड़ कर नंगी होने को तैयार हो जाएँ.. ताकि मैं दोनों के जिस्म में एक-साथ गोते मार सकूँ।

पर इसमें एक डर भी था.. कि कहीं दोनों नाराज़ हो गईं.. तो जो अकेले-अकेले आकर मेरी सेवा कर जाती हैं.. वो भी मेवा मिलना बंद हो जाता।

पर मैंने रिस्क लेने की ठानी।
अगली कहानी में मैं आपको बताऊँगा कि कैसे चतुराई से मैंने उन पर ये जाहिर भी नहीं होने दिया कि मैंने कोई वादा तोड़ा और दोनों के साथ इकठ्ठा सेक्स भी किया।

वो दिन तो एकदम लाजवाब था। अगली कहानी.. सेक्स ट्रायंगल..
आपके ईमेल की प्रतीक्षा में आपका किशोर।
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