मेरी चूत और गांड दोनों प्यासी हैं-6

मेरी चूत और गांड दोनों प्यासी हैं-6

मेरी इस कहानी के पाँच भाग आप पढ़ चुके हैं। अब पेश है उससे आगे!

जैसा कि आखिरी भाग में मैंने आपको बताया कि कैसे सोनू ने मेरे साथ सेक्स किया। थोड़ी देर तक सोनू मेरे साथ ही बिस्तर पर लेटा रहा और रणवीर गेट पर खड़ा होकर देख रहा था। जब सोनू ने रणवीर को देखा तो वो रणवीर को लेकर बाहर के कमरे में चला गया और दोनों बात करने लगे। सोनू से रणवीर को पटा लिया था, आख़िरकार सारे लड़के एक दूसरे से मिले जो रहते हैं।

करीब एक घंटे बाद करीब एक बजे रणवीर मेरे लिए नीम्बू लेकर आया और मुझे उठाया और कहा- थोड़ा नीम्बू चाट लो, इससे तुम्हारी उतर जायेगी और तुम्हें अच्छा भी लगेगा।

मैंने रणवीर से नीम्बू लिया और चाटने लगी, रणवीर वही मेरे पास बैठा हुआ था। थोड़ी देर तक नीम्बू चाटने के बाद मेरे सर का दर्द बहुत कुछ तक कम हो गया और अच्छा भी लगने लगा। रणवीर उठ कर किचन में गया और मेरे लिए फ्रिज से एक गिलास पानी और एक दवाई लेकर आया और कहा- यह भी खा लो, इससे जल्दी ठीक हो जाओगी! तक तक मैं और सोनू तुम्हारा बाहर इन्तजार करते हैं। जब ठीक लगे तो बाहर आ जाना।

मैं थोड़ी देर तक तो लेटी रही पर अकेले कितना मन लगता, करीब पंद्रह मिनट बाद मैं भी उनके पास चली गई और उनके साथ बैठ गई। सोनू मुझे बड़े प्यार से देख रहा था। मैंने सोनू को देखा और ज्यादा ध्यान न देते हुए रणवीर के पास जाकर बैठ गई और टीवी देखने लगी।

फिर रणवीर ने मेरे कान में फ़ुसफ़ुसाते हुए कहा- तुम्हें पता भी है कि तुमने पीने के बाद क्या किया था।
मैंने पूछा- क्या किया था।
तो रणवीर ने बताया- तुमने सोनू को गलती से मुझे समझ लिया और फिर उसके साथ सेक्स भी किया।

मुझे ज्यादा कुछ याद तो था नहीं पर मुझे हल्का हल्का ध्यान था कि सोनू मुझे चोद रहा था और कैसे कैसे क्या हुआ! क्योंकि मैं नशे में तो थी पर इतनी भी नहीं कि मुझे पता न चले मैं क्या कर रही हूँ।
पर मैंने यह बात रणवीर को नहीं बताई और ऐसा व्यक्त किया जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं, मेरी आंखें खुली की खुली रह गई।
मैंने रणवीर को कहा- तभी सोनू मुझे इतने प्यार से देख रहा था।
रणवीर सुन कर हंसने लगा।

मैंने कहा- तो क्या सोनू को मैं सॉरी बोल दूँ, जो हुआ उसके लिए?
रणवीर के कहा- तुम्हें कुछ करने कि जरूरत नहीं, मैंने सब समझा दिया है और कोई दिक्कत नहीं है।

मैं रणवीर के गले लग गई और उसे धन्यवाद कहा। रणवीर ने भी मुझे गले से लगा लिया और कहा- तुम चाहो तो हम सोनू को भी अपनी साथ इन्वॉल्व कर सकते हैं, मजा आयेगा।
मैंने रणवीर से पूछा- क्या मतलब?
रणवीर बोला- अरे बुद्धू, जैसे अभी तक सिर्फ हम दोनों कर रहे थे, वैसे अब उधम तीनों कर लेंगे, थ्रीसम तुमने कभी किया नहीं क्या? ‘थ्रीसम’ जो तुम ऐसे पूछ रही हो।
मैंने कहा- मैं क्यों भला थ्रीसम करने लगी? मुझे तो पता भी नहीं कैसे होता है यह और क्या होता है।
रणवीर बोला- भरोसा रखो मुझ पर और हाँ कह दो, तुम्हें अच्छा लगेगा और मजा भी आयेगा! वैसे भी आज सन्डे है, हमें ऑफिस तो जाना नहीं और तुम्हारे लिए एक और नया एक्सपीरियंस हो जायेगा और फिर सोनू भी अपने घर का ही बंदा है इसलिए वो भी हमारा पूरा साथ देगा।

मैं हिचकिचा रही थी क्योंकि पहले मैंने ऐसा कभी नहीं किया था पर रणवीर मेरे पीछे ही पड़ गया था, बोलने लगा- एक दिन की तो बात है यार, कल से हम दोनों ऑफिस जायेंगे, फिर कहाँ टाइम मिलेगा! और फिर कल तुम चले भी जाओगी, फिर मैं अपने रास्ते, तुम अपने रास्ते और वो अपने रास्ते! कभी कभी नई चीज़ का भी अनुभव लेना चाहिए और फिर तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है क्या?
मैंने कहा- भरोसा तो है पर?
तो रणवीर कहने लगा- फिर यह पर पर क्या लगा रखा है यार? कह दो ‘हाँ!’ इसमें इतने सोचना क्या है? अच्छा न लगे तो मना कर देना, मैं नहीं रोकूंगा, बस अब तो हाँ कर दो।
मैंने आधे अधूरे मन से कहा- ठीक है, पर मैं सिर्फ तुम्हारा लिए हाँ कह रही हूँ बस।
रणवीर के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई और कहा- थैंक यू सो मच मेरी बात मानने के लिए। तुम्हें कुछ खाना है? भूख लगी होगी।
मैंने कहा- अभी भूख नहीं।
तब रणवीर ने कहा- ठीक है, तुम कमरे में जाओ, मैं सोनू को लेकर आता हूँ! ओके।

मैं वहाँ से उठ कर कमरे में चली गई और बिस्तर पर जाकर बैठ बैठ गई। थोड़ी देर बाद रणवीर और सोनू मेरे कमरे में आये और मेरे दोनों तरफ बैठ गए। मैं रणवीर की तरफ घूम गई और फिर उसे किस करने लगी। रणवीर ने भी मुझे पकड़ लिया और चूमने लगा और चूमते चूमते मुझे घुमा कर उसने सीधे बिठाया और कहा- लास्ट टाइम तुमने सोनू से साथ जो किया, अनजाने में मुझे समझ कर किया, इस बार तुम सोनू से साथ जो करना चाहती हो, वो करो पर सोनू से साथ और मैं फिर तुम दोनों से साथ आ जाऊँगा।

मैंने उस वक़्त ज्यादा दिमाग चलना जायज नहीं समझा क्योंकि मुझे पता था कि ये दो हैं और मैं एक! इसलिए मेरी एक नहीं चलनी, इसलिए फायदा इसी में है जो कहें, वही मानो क्यूंकि मैंने हाँ जो कहा था। अब चाहे जो हो, अच्छा या बुरा, वादा निभाना तो पड़ेगा। सोनू मेरे पास आया, मेरे हाथ पकड़े और फिर मुझे चूमने लगा। मैं भी सोनू का साथ देने लगी और उसके गालों को पकड़ कर उसे चूमने लगी। रणवीर बगल में बैठा देख रहा था। चूमते चूमते मैं सोनू के हाथ ऊपर कर दिए और उसकी टी शर्ट नीचे से खींच कर ऊपर करने लगी, फिर सोनू ने कुछ सेकण्ड के लिए हमारा चुम्बन रोका और अपनी टीशर्ट निकाल दी और फिर अपने होंठ मेरे होठों से सटा दिए और मुझे चूमने लगा।

थोड़ी देर बाद सोनू ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और फिर खेल शुरू हो गया। रणवीर भी अब हमारे साथ आ गया और वो मेरे बगल में लेट गया, मेरे चुच्चे दबाने लगा और सोनू मेरी चुम्मियाँ लेता रहा। थोड़ी देर बाद मैं रणवीर की तरफ घूमी और उसे चूमने लगी। उधर दूसरी तरफ़ सोनू ने मेरा नाईट गाउन उतार दिया और मेरी पीठ चूमने लगा। मैंने अपने हाथ रणवीर की टीशर्ट के अंदर डाले और उसके बदन को सहलाने लगी।

सोनू कभी मेरी कमर तो कभी मेरी गर्दन और कभी मेरे पीठ को चूमते जा रहा था। थोड़ी देर तक मैं और रणवीर चूमाचाटी करते रहे और यह सिलसिला चलता रहा, पर कुछ देर बाद दोनों उठे और सोनू जहाँ अब फिर से मेरे होंठों को चूमने लगा था, वहीं रणवीर मेरी नाभि को चूमने लगा और मेरे उरोज मसलने लगा। रणवीर की क्रीड़ा मेरी सिसकारियाँ बढ़ा रही थी और उसकी जीभ मेरे बदन पर किसी सांप की तरह हर तरफ रेंग रही थी।

रणवीर ने मेरी ब्रा खोल दी और मेरे एक स्तन को अपने होंठों से चूसने लगा, वहीं हाथों से मेरे दूसरे उभार को दबाये जा रहा था। फिर सोनू ने भी मेरे होठों का साथ छोड़ा और रणवीर सा साथ देने पहुँच गया और अब दोनों मेरे एक एक दूद्दू को अपने होंठों से तार तार कर रहे थे और छोटे बच्चे से तरह उसे चूसे जा रहे थे, मेरी सिसकारियाँ बढ़ते जा रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

रणवीर का दूसरा हाथ अब मेरी चूत पर था, मैंने पेंटी पहन रखी थी पर रणवीर फिर भी उसके ऊपर से हाथ फेरे जा रहा था, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं कब तक दोनों को झेल पाऊँगी पर मैंने हार नहीं मानी, मैंने तो यही निर्णय लिया कि अभी बेहतर यही है, अभी इन खूबसूरत पलों का मजा लूटो और जब सहन नहीं होगा तब देखा जायेगा, क्या होगा! अभी इसके बारे में सोचने से कोई फायदा नहीं क्योंकि जिस रफ़्तार से ये दोनों मुझ पर टूटे हैं, इनको इससे कोई लेना देना नहीं कि इस मासूम पर क्या गुज़र रही होगी, इसका एहसास तो सिर्फ मुझे और आप चाहने वालों को ही हो सकता है बस।

कहानी जारी रहेगी।
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