राजकुमारी की दूसरी चुदाई

हाई फ्रेंड्स! मैं आपकी तनु चौधरी हाजिर हूँ अपनी चुदाई की सेक्सी कहानी को आगे ले जाने के लिए!
आपने मेरी सेक्सी कहानी
राजकुमारी की पहली चुदाई
पढ़ी, आप लोगों के मुझे ढेर सारे मेल मिले, आपने मेरी कहानी को पसंद किया, उसके लिए मेरी तरफ से आपका शुक्रिया!

दोस्तो जब मैं पहली बार अपनी कहानी लिख रही थी तो मुझे कहानी लिखने में कम रूचि थी और इस बात में मेरी ज्यादा रूचि थी कि मैं अन्तर्वासना पर अपनी कहानी भेज रही हूँ और मेरी कहानी अन्तर्वासना पर आएगी!

अब तक तो मैं दूसरों की कहानी पढ़ती थी, अब मेरी खुद की कहानी आएगी, उसे मैं खुद पढूँगी और दूसरे पढ़ेंगे! इस बात से रोमांचित होकर में अपनी कहानी को ठीक ढंग से न लिख सकी!
इस बात का मुझे अफ़सोस है!
अगर मैं अपनी कहानी को पूरे विस्तार में ठीक से लिखती तो कहानी काफी लम्बी हो जाती लेकिन आपको मजा जरूर आता!
अब मैं अपनी कहानी उससे आगे शुरू करती हूँ!

मैं लंगड़ा कर घर पहुंची, सीधी अपने रूम में गई और गोली खाई, फिर मैं बाथरूम में नहाने चली गई!
नहा कर और अपने कपड़े चेंज करके मैं अपने बालों को सुखाने के लिए अपनी बालकनी में खड़ी हो गई!

थोड़ी देर बालकोनी में खड़ी होने के बाद मैं वापस अपने रूम में आई और टीवी ऑन करके देखने लगी लेकिन आज मेरा टीवी देखने में बिलकुल मन नहीं लग रहा था, मैं सिर्फ गाने सुन रही थी! और अपने में खोई हुई थी!

तभी फोन की रिंग बजी, वो अक्षय का फ़ोन था- हेलो स्वीट हार्ट, कैसी हो?
‘जैसी तुमने छोड़ा है, वैसी हूँ और कैसी हूँ!’

फिर हम लोगों में काफी बातें हुई, और मैं फोन रख कर रूम से बाहर आ गई अपनी माँ के पास!
माँ- तुझे क्या हुआ, क्यों लगड़ा कर चल रही है?
‘कुछ नहीं, गिर पड़ी थी तो चोट आ गई!’
‘देख कर चला कर!’
‘माँ पापा कहाँ हैं?’
‘वो बाजार गए हैं सामान लाने!’

इतने में पापा आ गए, मैं बोली- पापा, आज शाम का क्या प्रोग्राम है खाने का?
मैं- पापा आज कुछ स्पेशल हो जाये!
माँ- तुम दोनों बाप बेटी!

फिर शाम को स्पेशल पकवान बना!
पर मम्मी और पापा इस बात से अनजान थे कि आज स्पेशल क्यों!

हम खाना खाकर अपने अपने रूमों में सोने चले गए.

फिर रात को मैंने अक्षय को फोन लगाया, हम लोगों में काफी रोमांटिक बातें हुई, अक्षय बोला- ठीक है, फिर कल मिलते हैं कॉलेज में! बाय बाय गुड नाईट एंड टेक केयर एंड स्वीट ड्रीम्स!

मैं अगले दिन उठी लेकिन अगले तीन दिन कॉलेज नहीं गई और न ही अक्षय का फ़ोन रिसीव किया.
तीन दिन बाद अक्षय का फ़ोन दोपहर को रिसीव किया- हाँ हेलो…
अक्षय- बेबी आई लव यू!
मैं इधर से- लव यू टू!
मैं- तुम इतना सेंटी क्यों हो रहे हो?
अक्षय- मुझसे पूछ रही हो कि मैं सेंटी क्यों हो रहा हूँ! बेबी तुम तीन दिन से कॉलेज नहीं आ रही हो और न ही मेरा फोन उठा रही हो! मुझसे पूछ रही हो कि मैं इतना भावुक क्यों हो रहा हूँ! तनु, मैं तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊंगा!
और वो सच में उधर से रोने लगा!

उसके दिल में अपने प्रति इतना प्यार देखकर मुझे भी रोना आ गया- प्लीज अक्षय, मुझे माफ़ कर दो!
अक्षय- तनु, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ!
मैं- भी अक्षय तुमसे बहुत प्यार करती हूँ!
अक्षय- तभी तो तुमने मेरा तीन दिन फ़ोन रिसीव नहीं किया और नहीं कॉलेज आई! इतना ही प्यार है न तुम्हें मुझसे?
और फिर इधर से मैं रोने लगी!

अक्षय- तुम तनु रोओ मत! मैं सब कुछ बर्दाश्त कर सकता हूँ लेकिन तुम्हारी आँखों में आंसू नहीं!

फिर हम लोगों में बहुत बातें हुई और उसने इसी शर्त पर फोन रखा कि वो जब भी फोन करेगा तब मैं रिसीव करुँगी!
अब मुझे अक्षय पर बहुत प्यार आने लगा… अब मुझे अक्षय सबसे ज्यादा प्यारा लगने लगा… शायद खुद से भी ज्यादा!

दोस्तो… मैं बिना पंखों के आसमान में उड़ने लगी!
बिना होली के मैं रंगों में रंग गई!
बिना दिवाली मेरे दिल में पटाखे फूटने लगे!
बिना डी.जे. मेरे पैर थिरकने लगे!

दोस्तो, प्यार कुछ होता ही ऐसा है! जिन्होंने प्यार किया है वो जानते होंगे कि प्यार क्या चीज होती है!

फिर रात को अक्षय का फोन आया- हाँ हेलो…
उधर से- थैंक गॉड… तुमने फ़ोन उठा लिया!
‘क्यों आपको क्या लगा कि मैं आपका फ़ोन रिसीव नहीं करुँगी!
मैं- अरे मेरी जान हो तुम! भला कोई अपनी जान के बिना कैसे रह सकता है!
अक्षय- अच्छा जी!

फिर हम में इस तरह की काफी रोमांटिक बातें होने लगी!
फाइनली.. फिर मेरा अक्षय से कल मिलने का प्रोग्राम बना!

सुबह जाग कर ब्रश करके, फ्रेश होकर, नहा कर, मैंने अक्षय को फ़ोन किया और बोला- मैं एक घंटे में घर से निकलने वाली हूँ!
उसने कहा- मैं भी तैयार हूँ, जब भी निकलो, मुझे फ़ोन कर देना!
मैंने कहा- ठीक है!

फिर तैयार होकर मैं कॉलेज के लिए निकलने लगी और अपनी माँ को बताया- माँ, आज मुझे आने में थोड़ी देर हो जाएगी!
माँ- क्यों?
‘अरे वो तीन दिन से कॉलेज नहीं गई हूँ ना तो सारा काम मुझे अपनी सहेली के यहाँ जाकर करना होगा!
माँ- ठीक है.. जल्दी आना।
और मैं घर से निकल गई!

फिर ऑटो में बैठकर मैंने अक्षय को कॉल लगाई- हां.. हेलो.. मैं ऑटो मैं बैठ गई हूँ।
अक्षय- ठीक है, मैं तुम्हें ऑटो स्टैंड पर ही मिलूंगा।
‘ओके…’

मैं ऑटो स्टैंड पर ऑटो से उतरी तो अक्षय मेरे सामने ही खड़ा मिला, अक्षय अपनी बाइक से उतरकर मेरी तरफ आया और मुझे सबके सामने जोर से अपने गले लगा कर बोला- आई लव यू… तनु!
ये सीन देखकर मैं चौंक गई लेकिन मुझे अच्छा लगा और मैंने भी उसे ‘आई लव यू!’ बोला.
फिर हम अलग हो गए.
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सभी लोगों की नजर हम पर थी! मैंने शर्मा कर अपनी गर्दन नीचे कर ली और उसे बोली- अब चलो यहां से!
वहां खड़े लोग बोलने लगे- जोड़ी जोरदार है… जम रही है…
इतनी देर में सीटी मारने की आवाज भी आई… कुछ लोग हमें देखकर हंसने लगे।

फिर हम वहाँ से निकल लिए और थोड़ी देर में हम रूम पर पहुँच जाते गए, रूम पर पहुंचकर अक्षय ने मुझे रूम की चाभी दी और खुद गाड़ी खड़ी करने लगा।

मैं लॉक खोलकर रूम में चली गई, थोड़ी देर में अक्षय रूम में आया, रूम की कुण्डी लगाकर मेरे पास आ गया.
मैं अक्षय के गले लग गई, उसे आई लव यू बोला.
अक्षय ने मुझे अपनी बाँहों में कस लिया और ‘लव यू टू…’ बोला।

हम थोड़ी देर ऐसे ही खड़े रहे फिर अक्षय ने अपनी बाँहो को खोला और मेरे चेहरे को अपने हाथों से ऊपर उठाकर मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोला- मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करता हूँ!
मैं भी उसकी आँखों में आँखें डाल कर उसे बोली- मैं भी उसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूँ।
और फिर हम एक फिर से एक दूसरे के गले लग गए।

अक्षय के गले लगे रहने से मेरा शरीर गर्म होने लगा, मेरी चूत गर्म होने लगी और मैंने अक्षय को कसकर अपनी बांहो में ले लिया!
अक्षय भी समझ चुका था कि मैं गर्म हो रही हूँ तो वो भी मेरा सहयोग करने लगा और मुझे अपने बांहों में जकड़ने लगा।

मैंने अपनी बांहों की पकड़ ढीली डाली तो अक्षय ने भी अपनी बांहों की पकड़ ढीली की और मैं अपने पंजों के बल खड़ी होकर उसके चेहरे को पकड़ कर उसके होंठों को चूमने लगी और उसके होंठों को अपने होंठों के अंदर लेकर चूसने लगी।
मेरे ऐसा करने से मानो अक्षय तो पागल ही हो गया।

अब उसने मुझे अपनी बांहों में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे होठों को बुरी तरह से चूसने लगा!
मैं भी कहाँ पीछे रहने वाली थी, मैंने उसके शरीर से टी-शर्ट और बनियान उतार दी और उसने अपनी पैंट को उसने खुद ही उतार कर फेंक दिया।
इस वक़्त वो सिर्फ अंडर वियर में था।

अब मैं उसके शरीर को चूमने लगी। मेरी नजर अभी भी उसके अंडर वियर में छुपे लंड पर थी, वो हिस्सा फूल कर कड़क हो रहा था।
अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं ही उसके लंड को अंडरवियर के ऊपर से चूमने और चाटने लगी, उसके लंड को अपने हाथों से मसलने लगी!
वो सीत्कार भरने लगा।

इससे पहले की मैं उसका अंडरवियर उतारती कि उसने मुझे अपनी बांहों से ऊपर खींच लिया और बोला- अभी नहीं, बाद में!
और मेरे चेहरे को चूमने लगा, मेरे होंठों को चूसने लगा।
अब उसकी बारी थी मुझे नंगी करने की और मेरी बारी थी नंगी होने की।

उसने एक ही झटके में मेरे सलवार और शर्ट को उतार दिया, चुन्नी तो पहले ही उतर कर गिर गई थी। अब इस वक़्त मैं सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी और वो सिर्फ अंडर वियर में था।

वो मेरे शरीर को देखने लगा, बोला- वाह, कितनी सुन्दर हो तुम! मैं कितना भाग्यशाली हूँ कि तुम मेरी प्रेमिका बनी हो।
और अपने हाथों को मेरे शरीर पर घुमाने लगा, मेरे शरीर को चूमने लगा।

फिर उसने मेरी ब्रा उतार दी और मेरी बायीं चुची को चूस कर पीने लगा और मैं अपना हाथ उसके सर के बालों में घुमाने लगी।
मुझे इतना मजा आ रहा था कि मेरी आवाज उम्म्ह… अहह… हय… याह… आ ह अउ हम्म आ ह की कमरे में गूँजने लगी।

उसने मेरी बायीं चुची को छोड़ कर दायीं चुची को मुँह में लेकर पीना शुरू कर दिया और अब मेरी ‘आ हह हम्म…’ की आवाजें कमरे में बढ़ने लगी, मेरी चूत से पानी रिसने लगा।
अब वो मेरी चुची को चूसना छोड़ कर मेरे पेट को चूमने लगा और नीचे की तरफ बढ़ने लगा और अपना एक हाथ मेरी चूत पर पेंटी के ऊपर से घुमाने लगा।

उसने देखा कि मेरी पेंटी पूरी तरह गीली हो गई है तो उसने मेरी पेंटी को उतार दिया और मेरी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी।

इससे में चिहुँक गई- आह हह मम आह मम आह!
वो अपनी उंगली मेरी चूत में करने लगा। उसके ऐसा करने से मेरी चूत और पानी छोड़ने लगी।

अब उसने मेरी चूत में से उंगली को बाहर निकाल लिया, मैं तो तड़प उठी- ये क्या कर दिया तुमने… जल्दी इसके अंदर कुछ डालो, वरना मैं तो मर जाऊँगी।
और उसने अपनी अंडरवियर को उतार कर और अपने लंड के टोपा को मेरी चूत रख दिया और एक हल्का सा झटका मारा और उसके लंड का टोपा मेरी चूत के अंदर चला गया।
मेरे मुँह से एक हल्की सी आह की चीख निकल गई और वो बड़े ही प्यार से अपने लंड को मेरी चूत में धीरे धीरे उतारने लगा।

फिर भी मुझे दर्द हो रहा था लेकिन मजा भी आ रहा था। फिर उसने धीरे धीरे करके मुझे चोदना शुरू कर दिया और मेरे मुँह से आह उ हम्म आ ह की आवाजें कमरे में गूंजने लगी।
धीरे धीरे वो मुझे चोदने में अपनी स्पीड बढ़ाने लगा, वैसे ही मेरी आवाजें तेज होने लगी, अब मैं अपने दर्द को भूल कर चुदाई में फुल मजा लेने लगी और कमरा मेरी आवाजों से गूँजने लगा- आ ह म आआह हहम।
मैंने अपने हाथ के नाख़ून अक्षय की पीठ में गड़ा दिए लेकिन चुदाई के जोश में उसे भी कुछ होश न था।

मेरा शरीर अकड़ने लगा और थोड़ी देर बाद मैं झड़ गई, ऐसा लगा जैसे कोई ज्वालामुखी मेरे अंदर से फूटा हो।
फिर अक्षय ने अपने लंड से गर्म गर्म पिचकारी मेरी चूत में छोड़ दी और हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़े।

तो दोस्तो, ये थी मेरी दूसरी चुदाई की कहानी! आप मुझे मेल करके बताना कि मेरी सेक्सी कहानी कैसी लगी।
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