आपा की हलाला सेक्स स्टोरी-4

यह कहानी एक सीरीज़ का हिस्सा है:

← आपा की हलाला सेक्स स्टोरी-3

→ आपा की हलाला सेक्स स्टोरी-5

सारा ने कानों में झुमका, मांग में टीका और नथ पहन रखी थी और गले में एक बड़ा सा हार पहन रखा था. सच में बड़ी मादक लग रही थी.

फिर उसने साड़ी की गांठ को खोला और पल्लू से चेहरा और बदन छुपा लिया. फिर धीरे धीरे नीचे करते हुए, उसने थोड़ा सा पल्लू गिरा कर मुझे अपने एक मम्मे का नजारा कराया. एकदम गोल गोल बड़े बड़े मम्मे, मैं उसकी तरफ लपका, उसने मुझे रोक दिया.
वो बोली- राजा थोड़ा रुको … सब तुम्हारा ही है.

मैं रूक कर अपना लंड सहलाने लगा. वो फिर लहराई और उसने पल्लू उतार फेंका.

मैं आंखें फाड़ फाड़ उसे घूरना लगा. फिर उसने अपनी एक चिकनी टांग ऊपर उठा दी और लगभग पूरी नंगी हो गयी. सिर्फ पेट पर साड़ी लिपटी हुई थी. वो लेट गयी, जैसे अब मेरा इंतज़ार कर रही हो.

फिर उठ कर बैठी और छातियां ऊपर नीचे करने लगी, जैसे माधुरी ने धक धक डांस करते हुए किया था. फिर उसने पल्लू पूरा नीचे गिरा दिया और बाल आगे कर अपने एक मम्मे को छुपा लिया. फिर घूम कर अपनी नंगी पीठ दिखाने लगी. अगले ही पल लेट कर अपने छातिया नंगी करके मम्मों को सहलाने लगी और साड़ी घुटनों से ऊपर कर कूल्हे ऊपर करके ऐसे उछालने लगी, जैसे लंड को और अन्दर लेने के लिए मरी जा रही हो.

फिर अपना एक तरफ से आधा शरीर नंगा करके एक तरफ के चूतड़ और मम्मे दिखाने लगी, फिर जल्दी जल्दी पूरे बेड पर उलटने पलटने लगी.

ऐसा लग रहा था कि वह कामाग्नि में जल रही है. मेरा भी यही हाल था. मैंने जरीना की तरफ देखा, वह भी अपने मम्मों और चूत को हाथ से सहला रही थी. उसकी भी कामाग्नि भड़कने लगी थी. अब सारा बैठ गयी, सिर्फ एक जांघ और चूत को साड़ी में छुपा कर मुझे फ्लाइंग किस दी और आंख मारी. फिर उसने अपनी साड़ी वैसे ही लपेट कर बांध ली, जैसे शो शुरू होने से पहले थी. फिर जीभ निकल कर होंठों पर फेरी और एक उंगली से नजदीक आने का इशारा किया. मैं एकदम शेर की तरह सारा पर लपका और उसकी टांगों पर हाथ फेरकर होंठों पर चुम्बन लेने आगे हुआ. वो पीछे होने लगी और उसकी साड़ी पैरों से खिसकने लगी. जैसे कह रही हो कि नीचे से ऊपर आओ.

मैंने वापिस टांगों पर आ कर उसके पैरों की उंगलियों को चूमा. उसकी सिसकारी निकल गयी. फिर उसकी पिंडलियों पर प्यार से हाथ फेरा और किस की. वह साड़ी ऊपर करती रही और मैं घुटनों पर फिर जांघों के अन्दर, फिर चूत पर, नाभि पर किस करता हुआ साड़ी के ऊपर से ही चूचियों को किस करने लगा.

उसने साड़ी की गांठ खोल दी और मैंने चुचों को किस किया. वह अधलेटी सी हो गयी. उसने अपने शरीर का भार अपनी बांहों पर कर दिया. मैंने उसे देख कर मुस्काराते हुए उसके होंठों पर एक मीठी चुम्मी कर दी.

फिर मैं थोड़ा दूर हुआ और उसके खुले बालों को पीछे किया. वह अपना चेहरा आगे ले आयी और मैं उसे धीरे धीरे किस करने लगा. मेरे हाथ उसके मम्मों को सहलाते हुए पेट, कमर, गांड पर चलने लगे.

मैंने फ़ौरन उसे अपने पास खींच लिया और उसकी चूचियां दबाने लगा, ज़रीना वहीं पर सोफ़े पर लेट गई और हमारा खेल देखने लगी. यूँ तो मैंने उसकी चूचियों को कल कई बार देखा था, पर आज उनमें जो कड़कपन था, वो और दिन के मुकाबले अलग ही था.

मैं उसकी चूचियों को चूसने में लग गया. मैंने 10-15 मिनट तक चूचियों को खूब चूसा, मेरा लंड और कड़क हो गया था. मैंने अपना कुरता उतार दिया.

मैंने उसे बिस्तर पर लिटा लिया और उसकी बुर पर हाथ फ़ेरना शुरू कर दिया, उसने भी मेरा लंड पकड़ कर सहलाना चालू कर दिया. अपनी कुंवारी बीवी ज़रीना को इसी तरफ़ देखता देख, मैंने अपनी सारा की बुर में उंगली करना शुरू कर दिया और सारा जो अब काफ़ी हद तक गरम हो चुकी थी, वह चुदवाने को बेक़रार थी.

सारा ने मुझसे कहा- जो भी करना है, जल्दी करो.

पर मैं उसकी चूचियों को चूसने में ही लगा हुआ था. तभी उसने मेरा पायजामा उतारा, अंडरवियर नीचे किया और लंड पकड़ कर अपनी चूत पर फिराने लगी.

ज़रीना चीखी- उफ्फफ … सारा आपा इतना बड़ा तगड़ा मेरे अन्दर कैसे जाएगा?
सारा बोली- ज़रीना चिंता मत कर बहुत मजे करेगी … तू बस देखती रह और मजे लेने के लिए तैयार हो जा.

मैं समझ गया कि अब तड़पाना अच्छा नहीं है. मैं भी खड़ा हो गया और उसे पटक कर उसके ऊपर चढ़ गया. मैं धीरे-धीरे अपना लंड डालने लगा. मेरा लंड 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है.

मैंने धीरे से धक्का लगाया और पूरा लंड डाल दिया. उसका मुँह खुल गया और आंख से पानी आ गया.
सारा तड़फ कर बोली- आज क्या हो गया है तुम्हें? मार ही डालने का इरादा कर रखा है क्या?
मैंने धीरे-धीरे शॉट लगाने शुरू किए..
‘आआहहह … ऊउम्म्म् म्म्मम …’

हम दोनों कल रात भी बार बार चुदाई कर चुके थे, परन्तु आज जैसी चुदाई का आनन्द पहले कभी नहीं आया था.

काफ़ी देर तक करने के बाद मैंने उससे कहा- सब कुछ मैं ही करूँगा, तो तुम क्या करोगी?
ये कहते हुए मैं उसके ऊपर से हट गया.

अब वह मेरे ऊपर बैठ कर अपनी बुर में मेरा लंड लेने लगी. पूरे लंड को सुपारे से टट्टों तक को दबा दबा कर चुदवा रही थी, मेरी बीवी की हालत इस तरह की हो रही थी, जैसे किसी मछली को गरम रेत पर छोड दिया गया हो. वह अपने हाथ से अपनी बुर को मींजे जा रही थी तथा मुँह से अजीब अजीब आवाजें निकाले जा रही थी ‘आआआह … ऊउम्म्म म्म्मम … आईईई … सीईईईईसीई.. … आआआ …’

उसे देख कर मेरी और सारा की रफ़्तार में बेतहाशा तेजी आ गई, चुदाई के मारे सारा का बुरा हाल था. अब उससे रुका नहीं जा रहा था, वो बोली- मेरा तो बस होने वाला है, मैं गई, मैं गई. आह्ह्हह्ह … फ़ा … ड़ … दो … पूरा डाल डाल कर पेलो. आज तो बहुत खुजली हो रही है इस बुर में. सारी खुजली मिटा दो इस बुर की.
मैं- तुम अब घोड़ी बन जाओ, तो मजा आए.
सारा- ठीक है, आज सारी हसरत मिटा लो. बाद में मत कहना कि तुम्हारी तबियत से नहीं मार पाया.

सारा को घोड़ी बनाने के बाद मैंने घुटने के बल हो कर उसकी बुर में एक बार फ़िर से अपना लंड घुसेड़ दिया. उसने कभी घोड़ी बन कर चुदाई नहीं करवाई थी, इसलिए इस अवस्था में उसकी बुर थोड़ी कस गई थी. मेरा मोटा लंड अटक अटक कर जा रहा था. मुझे अब ज्यादा ताकत लगा कर उसकी बुर में डालना पड़ रहा था.
हर धक्के पर उसके मुँह से हल्की हल्की चीख निकल रही थी- आईईईई सीईईसीई … आआआआ … चोद डालो मेरे राजा. आज पूरी तरह से फाड़ दो मेरी बुर को … कल अगर कोई कसर रह गई हो, तो आज पूरी कर दो. ऐसी फाड़ो कि कम से कम हफ़्ते तक इसे चुदवाने की जरूरत ना पड़े.

करीब दस-पन्द्रह मिनट के बाद मेरा भी लंड झड़ने को हो गया, मैंने सारा से कहा- बस अब मेरा भी काम होने वाला है.
“ऐ जी … बाहर मत निकालना. अन्दर ही छोड़ दो सारा माल!” वो बोली.
आठ-दस धक्कों के बाद लंड की पिचकारी छूट पड़ी और सारा का सारा माल सारा की बुर में भरता चला गया.

थोड़ी देर हम उसी पोजिशन में रहे, लंड अपने आप सिकुड़ कर बाहर आ गया. सारा उठी और बाथरूम में जा कर अपनी बुर को साफ़ करने लगी. पांच मिनट बाद वो बाहर निकली, तो उसके चेहरे पर सन्तुष्टि के भाव थे.
सारा- आमिर, आज तो ऐसी मारी है कि सूज गई है. बाप रे, अगर ज़रीना की भी ऐसे ही मारोगे, तो यह बेचारी तो शायद सुबह उठने लायक नहीं बचेगी.

ज़रीना मेरे बराबर में लेटकर लंड हाथ में लेते हुए बोली- हुँह, अब यह क्या मारेंगे, इनके लंड की हालत तो देखो, सूख कर मूंगफ़ली की तरह हो गया है.
सुहागरात को पहले सारा को चोदने के बाद अब मेरी बीवी ज़रीना की नथ उतरने जा रही थी.

मैं बोला- लंड को मुँह में ले लो, थोड़ी देर में मूंगफ़ली से तोप बन जाएगा मेरी जान..
ज़रीना बोली- छी: यह कोई मुँह में लेने की चीज है? घिन नहीं आएगी क्या?
इससे पहले मैं कुछ कहता, सारा बोली- इसको मुँह में लेने का तो अपना अलग ही मजा है मेरी बहन. अगर तुझे नहीं लेना तो मत ले, पर मैं यह मौका नहीं छोड़ने वाली. तू तो अपनी बुर में ही ले लेना, चुसाई मैं कर लेती हूँ.
ज़रीना बोली- तेरी मर्जी, मैं तो यह नहीं करूँगी. मुझे तो इसमें घिन आ रही है.

फ़िर मैंने ज़रीना को पकड़ लिया और उसके होंठों का चुम्बन लेने लगा. वो पहले ही इतनी गर्म हो चुकी थी कि ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ी और वह भी मुझे जोर जोर से चूमने लगी. उसने मुझे कस कर पकड़ लिया. काफ़ी देर तक मैं उसके होंठों को चूसता रहा, उसे भी अब इस सब में पूरा मजा आने लगा था.

मैंने फ़िर से उसकी ब्रा उतार दी … वाऊउउउ … उसकी चूचियां देख कर मैं तो चकित ही रह गया. छोटे छोटे सन्तरे के आकार की चूचियां और उसकी निप्पलों को नज़र ना लगे, बिल्कुल मटर के दाने से भी छोटे. मैंने दस बारह मिनटों तक चूचियों को खूब दबाया.

उधर सारा मेरा लंड मुँह में ले कर धड़ाधड़ चूसे जा रही थी. मेरा लंड एक बार फ़िर से एकदम खड़ा और कड़क हो कर बुर को दहाड़ मार मार कर बुलाने लगा था. मैं फिर भी उसकी चूचियां दबाने लगा था, जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैंने उसकी साड़ी खोलनी शुरू कर दी. साड़ी खोल कर मैंने उसकी पैन्टी खींच ली और थोड़ी देर उसे देखने लगा.

वाह चिकनी बुर थी, मैं उसकी बुर पर हाथ फ़ेरने लगा, परन्तु इस बार मैंने अपनी उंगली उसकी बुर में नहीं डाली क्योंकि मुझे डर था कि कहीं वह फ़िर से ना बिदक जाए, इसलिए मैं सिर्फ़ उसकी बुर को ऊपर से ही मसलता रहा.

उसके मुँह से अब ‘आआहहह … ऊउम्म उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईईईई सीईईईसीई … आआआ …’ की आवाजें निकल रही थीं.

उधर सारा ने मेरे लंड को चूस-चूस कर बेदम कर रखा था, ज़रीना की बुर का भी बुरा हाल हो गया था, उसकी बुर का मक्खन बह कर उसके चूतड़ों तक पहुंच चुका था.

अब मुझे लग रहा था कि इसकी बुर पूरी तरह से लंड लेने के लिए बेकरार है. परन्तु बुर एकदम नई थी, इसलिए मैंने सोचा कि इसे थोड़ा और तड़फ़ाया जाए ताकि पहली बार लंड लेने में इसकी गर्मी इसके दर्द के एहसास को कम कर दे.

मैं उसकी चूचियां को पीने लगा. चूचियों को पीने मेरी की हालत और खराब हो गई, सारा भी अब मेरा लंड पीना छोड़ वहीं पर बैठ गई और हमारा खेल देखने लगी. मैं अब उसकी चूचियों को और कस कर चूसने में लग गया. उसने भी मेरा लंड पकड़ कर सहलाना चालू कर दिया.

ज़रीना अब काफ़ी हद तक गर्म हो चुकी थी, वह चुदवाने को बेक़रार थी, उसने मुझसे कहा- अब करते क्यों नहीं, जल्दी करो, अब नहीं रहा जा रहा. मेरी बुर में दर्द होने लगा है, डाल दो अब इसमें.
पर मैं उसकी चूचियों को चूसने में ही लगा हुआ था. तभी उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी बुर की तरफ़ ले जाने की कोशिश करने लगी.

मैं समझ गया कि अब तड़पाना अच्छा नहीं है. मैंने पलट कर अपनी छोटी बीवी जरीना की दोनों टांगों को फ़ैला दिया उसके ऊपर चढ़ गया.

सारा के बाद जरीना की सील तोड़ने का मदमस्त चुदाई का खेल आपकी खिदमत में अगले भाग में पेश करूँगा. आपकी मेल का इन्तजार रहेगा.

[email protected]
कहानी जारी है.