Begaani Shaadi Me Suhagraat Meri – Episode 4

Begaani Shaadi Me Suhagraat Meri – Episode 4

मेरी यह हॉट सेक्सी स्टोरी इन हिन्दी पढने से पहले इसके पिछले एपिसोड जरुर पढियेगा।

देर शाम विदाई के बाद सभी मेहमान धीरे धीरे जाने लगे। हमने भी अपने बैग पैक कर लिए और विदाई ले कर कार तक आये। मैं मौसी के साथ पीछे बैठ गयी और प्रशांत अपने पापा के साथ आगे बैठा और कार चलाने लगा।

अँधेरा हो चला था और आधे घंटे के बाद ही उसने गाडी रोक कर सड़क किनारे लगा ली और कहा थकान हो रही हैं और नींद आ रही हैं।

मौसाजी ने कहा अब गाडी वो चला लेंगे। प्रशांत ने सोने का बहाना बना मौसी को आगे की सीट पर बुला कर पीछे आकर मेरे पास बैठ गया।

पीछे आकर उसने गाडी की आगे की सीट के पीछे एक पर्दा था जो उसने यह कह कर लगा लिया कि आगे से आने वाली गाड़ियों की रोशनी से नींद में डिस्टर्ब होगा।

गाडी में अपने पापा के ज़माने के पुराने गानो का संगीत लगाने के लिए भी बोल दिया कि इससे नींद और अच्छी आएगी।

मुझे लगा सच में थक गया होगा, पर वो शरारत करने आया था पीछे। वह मेरे जांघो पर हाथ फेरता तो कभी पेट पर। मुझे अच्छा भी लगता और थोड़ा डर भी था कि आगे उसके मम्मी पापा बैठे हैं। मैं बिना आवाज़ के थोड़ा हंस भी रही थी उसकी शरारत पर।

मैंने नहीं रोका तो उसके हौसले अब बढ़ गए और वो मेरे ब्लाउज के हुक खोलने लगा। मैंने उसका हाथ झटक दिया। पर वो मानने वाला नहीं था। अँधेरे में किसी को कुछ दिखने वाला नहीं था पर आवाज़ नहीं करनी थी।

नया नया लगाव था तो मैंने भी ज्यादा विरोध नहीं किया, उसने जबरदस्ती मेरे ना चाहते हुए भी ब्लाउज और ब्रा के हुक खोल कर कपडे ढीले कर दिए।

अब वो अपना हाथ अंदर डाल कर मेरी चुचियाँ दबाने लगा। मुझे फिर वही अहसास होने लगा। पर सोचा अँधेरा हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं हैं, मुझे सिर्फ अपनी आवाज़ दबाये रखनी थी नही तो पोल खुल जाएगी। अब वो मेरी गोदी में में सर रख लेट गया और अपना मुँह मेरी साड़ी के आँचल से ढक दिया।

मुझे अपने ऊपर झुकाते हुए ब्लाउज ब्रा को थोड़ा ऊपर उठा कर अब मेरा स्तनपान करने लगा। मेरी एक सिसकि निकली और तुरंत मुँह पर हाथ रख दबा ली। मैंने अपने आप को छुड़ाने की आधी अधूरी कोशिश की पर वो नहीं माना।

थोड़ी देर बाद वो उठ गया। मैंने फिर हुक लगाने चाहे पर उसने मना कर दिया और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और और इशारो में कुछ करने को कहने लगा। मैंने उसके लंड को सहलाया और दबाया।

मैंने उसकी पतलून का हुक और चैन खोल दी और उसके लंड को अंडरवेअर से बाहर निकाल कर मलने लगी। ऐसा करने से वो उत्तेजित होने लगा और उसने मेरी गर्दन पकड़ कर अपने लंड पर झुका दिया, अब मैं उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मैंने कोशिश कि की चूसने की कोई आवाज़ न निकले।

थोड़ी ही देर में उसका मूड बनने लगा और मेरा भी। पर कार में करना काफी मुश्किल था खासकर जब आगे कोई बैठा हो जिससे बचकर रहना था। मैं अब सीधा बैठ गयी।

प्रशांत अब मेरी तरफ बढ़ा और मेरे कपडे नीचे से उठा कर मेरे अंदर हाथ डाल कर नीचे से पैंटी निकालने लगा। मैं उसका हाथ दबा कर रोकने की बहुत कोशिश की, पर उसने जबरदस्ती पैंटी उतार कर मेरे बैग में डाल दी और मुस्कराने लगा।

मैं भी उसकी शरत पर थोड़ा हंसी। उसने मेरे वस्त्र घुटनो तक ऊपर उठा दिए थे और नंगी जांघो पर हाथ मल रहा था। उसका हाथ बार बार मेरे नाजुक अंगो को भी छू रहा था और मुझे मजा आ रहा था। मैं भी अपना हाथ बढ़ा कर उसके अंगो को सहलाने लगी।

उसने मुझे कंडोम का पैकेट दिखाया और खोल कर पहन लिया। मैं डर गयी उसका इरादा क्या हैं, यहाँ मुमकिन नहीं। उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे उस पर बैठने का इशारा करने लगा। मैंने मना कर दिया और आगे की तरफ इशारा किया।

उसने इशारे में बताया किसी को पता नहीं चलेगा और मेरी बांह पकड़ कर अपनी और खींचने लगा। दर्द के मारे मैं उसकी तरफ खिसकी और उसकी गोदी में बैठने लगी। बैठने से पहले उसने नीचे से मेरे कपडे पुरे ऊपर उठा दिए जिससे हम दोनों के अंग अब छूने लगे थे।

मुझे एक गर्म और नरम अहसास हो रहा था। मैं भी शायद एक और मिले इस मौके को खोना नहीं चाहती थी। पर हमें बड़ी सावधानी बरतनी थी।

मैंने उसका लंड पकड़ कर अपनी चुत के अंदर उतार दिया और धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी। गाडी वैसे ही हिल रही थी तो शायद किसी को अहसास भी नहीं होता हमारे हिलने का।

वो भी नीचे बैठे जोर लगा रहा था और मैं भी। उसने मेरी साड़ी का पल्लू गिराते हुए आधे खुले ब्लाउज और ब्रा को मेरी बाहों से पूरा निकालने लगा। मैंने उसको रोकने की थोड़ी कोशिश की पर तब तक उसने तेजी से उनको उतार कर नीचे रख दिया। वो दोनों हाथो से मेरी चूचियों को दबाने लगा।

उस कम जगह और स्तिथि में जल्द ही मैं थकने लगी थी। उसने अब मुझे एक करवट पर सीट पर लेटा दिया था और अब अंदर बाहर धक्के मारने लगा।

यह स्थिति ज्यादा आरामदायक थी तो उसके धक्के ज्यादा जोर से लग रहे थे। मुझे और भी ज्यादा मजा आ रहा था, मैंने एक हाथ से अपना मुँह दबा लिया ताकि आवाज जोर से ना आये।

हम दोनों एक दूसरे की तेज सांसो और हलकी आँहो की आवाज सुन सकते थे। उम्मीद थी की आगे से कोई पीछे न देख ले या लाइट ना जला दे। उसने एक हाथ अब मेरे साडी की पटली पर रखा और निकालने लगा। मैंने उसका हाथ कस कर पकड़ लिया। पर उसकी ताकत के आगे नहीं जीत सकी।

मेरी पटली बाहर थी और वो अब मेरी पूरी साड़ी पेटीकोट से अलग करने लगा। मेरी रोने जैसी हालत थी। कार में साड़ी पहन पाना असंभव था। पर उस पर तो जूनून सवार था। मैंने उसको कोहनी से मारा। उसने अपना लंड मेरी चुत से बाहर निकाल दिया, मुझे बुरा लगा इस तरह अधूरा छूटना।

मैंने हाथ बढ़ाया ताकि बाहर निकली साडी फिर से पेटीकोट के अंदर डाल सकु पर उससे पहले ही उसने पेटीकोट का नाडा खोल दिया, और मेरा पेटीकोट और साड़ी पूरा निकाल कर मुझे नंगी कर दिया। मैंने सोच लिया आज तो पकडे जाना तय हैं।

मैंने सोचा अब ओर कोई चारा नहीं हैं, इस से अच्छा हैं पुरे मजे ही लूट लो। मैंने हाथ पीछे किया ताकि उसका लंड पकड़ कर फिर से अपने अंदर डाल सकू।

मेरे हाथ उसके कंडोम से फिसले और कंडोम के आगे के खाली हिस्से पर आकर रुके। मैंने उसको पकड़ कर अपनी तरफ खींचा जिससे कंडोम निकल कर मेरे हाथ में आ गया।

तब तक उसने बिना कंडोम का लंड मेरी चुत में घुसा दिया। उसका लंड भी पानी से चिकना हो चूका था तो उसको शायद जोश जोश में पता ही नहीं चला कि वो बिना प्रोटेक्शन के मेरे अंदर हैं।

अंदर घुसाते ही उसको ओर भी ज्यादा मजा आया। उसने जोर के झटके मारने शरू कर दिए। इस झटके से मेरे हाथ में पकड़ा चिकना कंडोम फिसल कर नीचे गिर गया।

मैंने तुरंत उसका ध्यान दिलाने के लिए उसकी जांघो पर थपथपाया पर मजे के मारे उसने ध्यान ही नहीं दिया और मेरी चूचियाँ दबोच ली। मैंने अब उसकी जांघो को जोर से दबाया तो उसको दर्द हुआ और मेरी चूचियाँ छोड़ मेरा हाथ पकड़ कर नीचे कर दिया और छोड़ा ही नहीं।

मैं बोल तो सकती नहीं थी, वरना आगे बैठे लोग भी सुन लेते। मैं अब अपनी मुंडी हिला कर उसको मना कर रही थी कि वो रुक जाए। पर उसको लगा जैसे मैं मजे के मारे मुँह हिला रही हु।

मैंने भी अब उसका ध्यान कंडोम की तरफ दिलाने का प्रयास करना बंद कर दिया। कपडे उतरने के बाद अब हम एक दूसरे की बॉडी के स्पर्श को अच्छे से महसूस कर पा रहे थे। जिससे हम दोनों का जोश दुगुना हो गया। वैसे एक बिना रबड़ पहने अंग की रगड़ का अहसास से मजा दुगुना ही होता हैं।

शाम तक सोचा नहीं था कि हम दोनों का फिर कभी मिलन भी होगा और अब हम इस जगह और स्तिथि में थे। उसका लंड मेरे अंदर फड़क रहा था और हम दोनों डूब कर मजे लेने लगे।

कहीं ना कही मन में डर भी था कि मैं फिर से गर्भवती ना हो जाऊ। बीच बीच में सोचने लगी घर जाकर क्या उपाय लेना हैं।

मैंने एक हाथ अपने मुँह पर रख लिया ताकि चीखों को दबा सकू। उसने मेरा कंधा अपने दाँतों के बीच दबाया हुआ था ताकि आवाज़ ना निकले।

हालांकि मुझे उसकी हलकी फुफकारने की आवाज़ आ रही थी पर गाडी के चलने की आवाज़ और अंदर बजते संगीत के बीच वो दब रही थी।

उसने अब मेरा हाथ छोड़ दिया था और मेरे कूल्हों, पेट, कमर और सीने पर फेरते हुए मजे ले रहा था। मैंने अपनी ऊपर वाली टांग उठा कर खिड़की के ऊपर रख दी।

मैं चाहती थी की उसको ओर ज्यादा जगह मिले अंदर गहराई तक उतर जाए। उसने मेरी चूचिया को जोर से दबाते हुए मेरी चुत के ओर भी अंदर तक उतारते हुए झटके मारने जारी रखे।

जैसे जैसे वो चरम के नजदीक पहुंचा, उसकी मेरी चूचियों पर पकड़ ओर भी टाइट हो गयी जिससे मुझे दर्द होने लगा। पर उसकी गहराई में घुसने से मेरा पानी निकलने लगा और मैं झड़ गयी।

थोड़ी ही देर में मैंने अपने अंदर एक गर्म पानी का फव्वारा महसूस किया। उसने तेजी से कुछ झटके अंदर मारते हुए अपने पानी की बौछार मेरे अंदर कर दी, दोनों ने बड़ी मुश्किल से अपनी आवाज़ को नियन्त्रिय किया। उसने दो चार झटके ओर मारे और उसका लंड अंदर ढेर हो गया।

हम दोनों अब उठ कर सीधे बैठ गए। उसको अब पता चला कि प्रोटेक्शन तो हैं ही नहीं। उसने मेरी तरफ देखा। मैं अपनी मुंडी हिला रही थी और उसकी जांघ पर फिर थपकी देकर उसको याद दिलाया मैं पहले क्या कहने की कोशिश कर रही थी।

पता चलते ही उसको अपनी गलती का अहसास हुआ और अपनी जबान बाहर निकाल कर दाँतों से दबाई और अपना एक कान पकड़ कर जैसे सॉरी बोल रहा था। उसका सॉरी अब मेरे किस काम का।

अब उसने तो अपने कपडे पहन लिए। मैंने साड़ी के अलावा बाकी के कपडे पहन लिए और उसकी और लगभग रोते हुए देखने लगी कि अब साडी कैसे पहनूं।

वो अपने मोबाइल पर कुछ टाइप कर रहा था, फिर उसने मुझको दिखाया। उसने लिखा था ये मेरे लिए आम हैं। अपनी बीवी को ऐसे ही कई बार कार में चोदा हैं और साडी भी पहनाई हैं। मुझे ये तो पता था कि उसकी साड़ियों की दूकान हैं पर उसको साडी पहनाने का इतना अनुभव हैं ये नहीं पता था।

साडी लेकर अपने हाथ के पंजो और कोहनी के बीच लपेटनी शुरू की। इस तरह उसने साडी को रोल कर लुंगी जैसा बना दिया और पिन से स्थिर कर दिया। उसने मेरी दोनों टाँगे पकड़ कर उठा ली और अपने जांघो पर रख कर मुझे लेटा दिया।

उसने लुंगीनुमा साडी को मेरे पेरो में पिरो कर ऊपर खींचते हुए कमर तक ले आया। साड़ी काफी ढीली थी उसने एक्सट्रा बचे हिस्से को तह बना कर फोल्ड किया पेटीकोट में घुसा दिया। साडी अब अच्छी खासी टाइट पेटीकोट से बंध चुकी थी।

मैंने बाकी की साडी के प्लीट्स बनाये और उसने ऊपर से नीचे तक साडी को अच्छे से व्यवस्थित कर दिया।

उसकी इस कला पर मैं फ़िदा हो गयी। असंभव लगने वाला काम उसने कर दिया था। मुश्किल काम हो चूका था तो मैंने बाकी की साडी बैठ कर पहन ली।

अब वो मेरे करीब आया और कानो में कहने लगा, अभी थोड़ा टाइम हैं तो एक राउंड और हो जाये। मैंने उसको धक्का देते हुए दूर किया।

बाकी के बचे रास्ते में हम दोनों एक दूसरे को छूते रहे और मस्ती करते रहे। जैसे ही हमने शहरी इलाके में प्रवेश किया, प्रशांत ने बीच का पर्दा हटा दिया। उसकी मम्मी सो रही थी तो उनको उठाया।

कार अब मेरे घर के बाहर थी, अंकल ने कार के अंदर की लाइट्स लगा दी। मौसी उठ गए और मेरे साथ बाहर आ गए। प्रशांत मेरा बैग निकालने डिक्की की तरफ गया।

मौसी ने कार के अंदर इशारा किया और कहा इसे बाहर फेंक दे। मैंने अंदर देखा आधा इस्तेमाल किया कंडोम पड़ा था जिसे हटाना हम भूल गए थे।

मेरे पैरो के तले जमीन खिसक गयी। मौसी को सब मालूम चल गया था। मैंने कंडोम उठा कर बाहर फेंक दिया। मौसी कार में जाकर बैठ गए और मैं ठगी सी वहाँ खड़ी रह गयी।

प्रशांत को अहसास हो गया था, उसने मेरा बैग थमाया और आँखों के इशारे से दिलासा दिलाया। वो गाडी में बैठ कर जा चुके थे और मैं धीमे भारी कदमो से घर के अंदर जाने लगी।

कुछ दिन बाद मुझको अपने पति और बच्चे के साथ फिर काम वाले शहर लौटना था.

पर दो दिनों तक मैं इस तनाव में रही कि कहीं मौसी घर पर ना आ जाए और सास – पति को सब न बता दे।

इतने तनाव के मारे मेरा अगले ही दिन पीरियड भी आ गया था। इन दो दिनों में मैंने भी घर से बाहर निकलना छोड़ दिया था। जब भी घर में फ़ोन की घंटी बजती मेरा दिल धक् से रह जाता कही मौसी का ही फ़ोन तो नहीं।

खैर दो दिन बाद ही मुझे एक अनजाने नंबर से मैसेज मिला, वो प्रशांत का ही था। उसने लिखा था कि माँ ने अकेले में बहुत डांटा था और इस घटना का जिक्र किसी से भी ना करने को कहा हैं वरना सबकी बहुत बदनामी होगी। यहाँ तक की उसकी बीवी को भी पता नहीं चलने दिया हैं।

उस दिन के बाद मैं कभी उसके घर नहीं गयी और ना ही मेरे वहा रहते मौसी या प्रशांत कभी मेरे घर आये। यहाँ तक की मेरी कभी फ़ोन पर भी बात नहीं हुई। हमने इसे एक बुरे अध्याय की तरह भुला दिया।

आप सभी पाठकों को मेरी यह हॉट सेक्सी स्टोरी इन हिन्दी कैसी मुझे जरुर बताना, आपके कमेंट्स का इन्तेजार रहेगा।