बिहारी मजदुर ने पंजाबी भाभी की गर्म चूत मारी

दोस्तो, मेरा नाम विकी सिंह है. मैं पंजाब के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं. आज जो मैं पंजाबी चूत की चुदाई की कहानी आपके साथ शेयर करना चाहता हूं यह एक साल पहले की बात है.

यह एक गांव की औरत सुखी मझबन की है. उसका फिगर 34-36-40 है और उसकी उम्र 38 साल है.

सुखी का रंग दूध जैसा सफेद है और उसकी हाइट 5.7 फीट के आस पास है. उसका पति दुबई में काम करता है. वहां पर वो फॉरमेन की जॉब करता है.

सुखी के पास एक बेटी और एक बेटा है. उसकी बेटी शहर में पढ़ने जाती है और कई लौड़ों का स्वाद ले चुकी है. उसका बेटा कनाडा में पढ़ाई करने के लिए गया हुआ है.

इसलिए घर में केवल सुखी और उसकी बेटी ही रहते हैं. पति जॉब में होने के कारण सुखी को एक साल के बाद लंड मिलता है और सालभर वो लंड के लिए तड़पती रहती है.

जब भी सुखी गांव में कहीं जाती है तो कई बार लौंडे उसको देखते हैं और उसको देखकर ही लौंडे मुठ मार लेते हैं. सुखी को देख वो अपने लंड की गर्मी निकाल लेते हैं. हर कोई उसको चोदने की सोचता है.

अब मैं वो एक साल पहले वाली बात बताता हूं. सुखी ने मुझे यह बात खुद ही बतायी थी. उस वक्त सुखी का पति एक महीने के लिए गांव में आया हुआ था.

पहले उसने सुखी की पूरे दिन अच्छी ठुकाई की. रोज सुखी को पति का लंड मिलने लगा. फिर धीरे धीरे कुछ दिन बाद चुदाई कम हो गई.
अब सुखी फिर से लंड की भूखी रहने लगी.

फिर कुछ दिन के बाद सुखी ने अपनी हवेली में भैंस पालने का काम कर लिया. वो दूध का काम शुरू करना चाहते थे क्योंकि उनके पास जमीन भी बहुत थी और घर के पीछे एक बड़ी सी हवेली भी थी.

वहां पर उनका काम काफी चल गया और वो कई घरों में दूध देने लगे.

कुछ दिन के बाद सुखी के पति की छुट्टी पूरी हो गयी और वो वापस दुबई चला गया.

अब सुखी के लिए घर का काम और मवेशियों को संभालना एक साथ मुश्किल हो गया.
सुखी ने अपने पति को इसके बारे में फोन करके कहा- मुझसे अकेली से काम नहीं संभल रहा है, आप वापस आ जाओ.

उसके पति ने वापस आने की पूरी कोशिश की. मगर उसका वीजा दो साल के लिए लग गया था. कंपनी ने उसको वापस भेजने से मना कर दिया.

सुखी को उसके पति ने कहा- मेरा आना तो बहुत मुश्किल है. तू गांव में से किसी औरत को रख ले तेरी मदद के लिए.
तो सुखी ने ऐसा ही करना चाहा मगर उसको गांव में काम करवाने के लिए कोई औरत नहीं मिली.

फिर उसको पता लगा कि सरपंच के घर नौकर रहते हैं, वहां पर शायद कोई औरत मिल जाए.

वो सरपंच के घर गयी, उसने सरपंच से बात की.

सरपंच ने कहा कि हमारे यहां औरत तो नहीं है लेकिन बिहारी भैया हैं. दो लौंडे कल ही नये आये हैं. तुम उनमें से एक को रख लो.

सुखी कहने लगी- मैं अपने पति से पूछकर बता सकती हूं.

फिर उसने वहीं बैठी बैठी ने अपने पति को कॉल किया और सारी बात बतायी.
उसके पति ने कहा कि ठीक है तुम रख लो बिहारी मजदूर को. हमारा दूध का काम सही चलना चाहिये, वो जितने पैसे मांगे उसको दे देना.

ये सब बातें होने के बाद सुखी ने फोन काट दिया.

फिर वो सरपंच से बात करने लगी. सरपंच ने लड़के को बुलाया और बताया कि इसका नाम मोहित है. 26 साल का हट्टा-कट्टा लड़का है.

उससे मोहित से कह दिया कि उसे एक सरदारनी के घर काम करने के लिए जाना है. तेरे रहने खाने का इंतजाम वहीं हो जाएगा. तू पूरी ईमानदारी से काम करना जैसा कि तेरे भाई करते हैं हमारे यहां.

मोहित ने कहा- ठीक है, सरदारनी जी. आपको कोई शिकायत नहीं आयेगी और ना ही मैं अपने भाई का नाम खराब होने दूंगा, मैं पूरी ईमानदारी से काम करूंगा.

तो सरपंच ने मोहित को सुखी के साथ भेज दिया.
सुखी उसको हवेली में ले गयी और सारा काम समझा दिया. उसका कमरा भी वहीं पर सेट कर दिया.

उसके बाद सुखी ने मोहित को खाना दिया और वह काम पर लग गया.
फिर सुखी हवेली से घर आ गयी और आकर सो गयी.

इस तरह से मोहित वहां पर काम करने लगा और देखते ही देखते एक महीना बीत गया.

धीरे धीरे मोहित सुखी के घर भी जाने लगा. सुखी भी मोहित के साथ घुल मिल गयी.

मोहित रोज सुखी के नाम की मुठ मारने लगा था.
वो सुखी की ब्रा पैंटी में मुठ मारता था क्योंकि सुखी बाथरूम में ब्रा पैंटी छोड़ जाती थी और मोहित को यह बात पता थी.
फिर वह ब्रा पैंटी को हवेली वाले बाथरूम में ले जाकर मुठ मारता था और मजे लेता था.

एक दिन सुखी को शक हो गया.

यह जानकर कि मोहित का लंड चूत के लिए तड़प रहा है तो सुखी के मन में भी वासना उठने लगी.
वो मोहित को अपने ऊपर चढ़ाने के बारे में सोचने लगी. वो अपनी चूत की गर्मी मोहित के लंड से निकलवाना चाह रही थी.

उधर मोहित उसकी गांड को देख देखकर मुठ मारता था क्योंकि सुखी हर सुबह शाम को दूध निकालने खुद ही जाया करती थी.

एक दिन शाम को सुखी नहा धोकर शहर गयी हुई थी. उसे वहां पर देर हो गयी और उस दिन वो दूध निकालने में लेट हो गई.
जब वो हवेली पर गई तो हल्का हल्का अंधेरा हो चुका था.

सुखी ने वहां पर देखा कि मोहित अपने कमरे में बैठा हुआ उसकी ब्रा पैंटी सूंघ रहा था और कह रहा था- हाय सुखी … सरदारनी … क्या खुशबू आ रही है तेरी फुद्दी से गीली हुई पैंटी में से … उफ्फ … काश मुझे मौका मिले तेरी चूत में अपना बिहारी लौड़ा डालने का … आह्ह.

वो पैंटी को चाट रहा था और ब्रा उसने लंड पर रखी हुई थी.
ये सब देखकर सुखी की पंजाबी चूत गीली हुई जा रही थी.

फिर सुखी ने दरवाजा खटखटाया तो मोहित डर गया और एकदम से खड़ा हो गया.
उस बिहारी बाबू का लंड सुखी के सामने तना हुआ था. सुखी उसे एक मिनट के लिए देखती रह गयी. उसका लंड उसके पति से काफी बड़ा था.

फिर सुखी बोली- ये क्या कर रहा है तू?
मोहित डर गया और सुखी के पैरों में गिर गया. वो उसके पैरों को पकड़ कर माफी मांगने लगा.

वो बोला- सरदारनीजी, मुझे आप बहुत सुंदर लगते हो, मुझे काम से मत निकालना, मैं दोबारा से ऐसी गलती नहीं करूंगा. आज की गलती के लिए मैं माफी मांगता हूं.

इतना बोलकर मोहित सुखी के पैरों को किस करने लगा. वो उसके पैरों को चूमता जा रहा था.

और अंदर ही अंदर सुखी भी उससे चुदवाना चाह रही थी. उसके पैर बहुत गोरे थे और उसको पैर चटवाने में बड़ा मजा आ रहा था.
उसकी पंजाबी चूत गर्म हो रही थी. उसके पति ने आज तक न तो उसकी चूत चाटी थी और न उसके पैर चाटे थे.

मगर सुखी को डर था कि किसी ने देख लिया तो बहुत बदनामी होगी. लोग कहेंगे कि एक बिहारी मजदूर से चूत चुदवाते हुए पकड़ी गई.
मगर उसको मजा भी आ रहा था.

धीरे धीरे वो बिहारी ऊपर की ओर आने लगा. उसे शक हो गया कि सुखी भी गर्म हो चुकी है. उसने एकदम से सुखी की बांह पकड़ ली और अपने पास खींच लिया.

सुखी डरती हुई सी उसे रोकने लगी मगर वो कहां रुकने वाला था.
उसने सुखी के गुलाबी होंठों के बीच अपने काले होंठ फंसा दिये और लगातार पांच मिनट तक उसके होंठों को चूसता रहा.

अब सुखी को भी मजा आने लगा था.
सुखी ने कहा- कोई आ जायेगा, गेट लगाकर आ!
वो गया और बाहर वाला गेट लगाकर आ गया.

आते ही उसने सुखी को लिटा लिया और उसके गोरे गोरे पैरों को चाटने लगा.
कभी उसकी उंगलियों को मुंह में ले लेता तो कभी यहां वहां चाटने लगता.
सुखी को इस सब में बहुत मजा आ रहा था.

फिर धीरे धीरे उसने सुखी की सलवार का नाड़ा खोलकर उसकी चूत के होंठों को खोला और अपने होंठ उसके बीच में रख दिये.
सुखी की एकदम से हाय … निकल गयी. उसे बहुत मजा आया.

सुखी की फुद्दी पर एक भी बाल नहीं था. वो हमेशा अपनी चूत को शेव करके रखती थी.
वो बिहारी पूरे जोश में उसकी चूत को चूस रहा था.

सुखी की चूत में आग जलने लगी थी और वो सिसकार रही थी- आह … हाय … कितना मजा दे रहा है तू … आह्ह … अब रुका नहीं जा रहा … चूत में लंड दे दे.

दस मिनट तक उसकी चूत को चाटने के बाद उस बिहारी ने उसको पूरी नंगी कर दिया. बारी बारी से वो उसके दूध पीने लगा. उसकी निप्पल की घुंडियों को खींचने लगा.

सुखी पागल हो रही थी.

अब बिहारी धीरे धीरे ऊपर की ओर आते हुए उसके होंठों को चूसने लगा.

फिर वो खड़ा हो गया; वो लंड को सुखी के होंठों के पास ले गया और बोला- चूस साली कुत्ती … पंजाबन रंडी … आज तू एक बिहारी का लंड चूस!

सुखी को ये गंदी बातें सुनकर मजा आ रहा था.
वो मना करने लगी और बोली- मैंने आज तक लंड नहीं चूसा है.

उस बिहारी ने उसका मुंह खोला और उसके मुंह में थूक कर अपने लंड का टोपा सीधा उसके मुंह में घुसा दिया.
धीरे धीरे वो लंड के धक्के मुंह में मारने लगा.

कुछ देर के बाद सुखी को लंड चूसने में मजा आने लगा. सुखी को सेक्स की आग लग चुकी थी. वो अपनी टांगें खोलकर लंड चूस रही थी.

वो बोली- डाल दे कुत्ते … अपना लंड डाल दे … बिहारी … आज एक पंजाबन की चूत को अपनी गुलाम बना ले.
बिहारी ने फिर अपना लंड धीरे से उसकी चूत के छेद पर रखा और अंदर धकेलने लगा.

उसकी चूत पर से लंड फिसल गया; लंड अंदर नहीं गया.
वो बोला- लगता है तेरी पंजाबी चूत अभी भी टाइट है.
सुखी बोली- तो तू खोल दे … चोद दे.

ये कहकर सुखी ने अपने हाथ पर मुंह से बहुत सारा थूक निकाला और उसके लंड पर मल दिया.
फिर मोहित ने अपना सुपाड़ा उसकी फुद्दी से सटा दिया. उसकी चूत के छेद पर रखकर एक जोर का धक्का मारा तो लंड उसकी चूत में आधा उतर गया.

वो चिल्लायी- हाएएए … ओह्ह्ह … रब्ब्बा … मर गयी ईईईई … आआआ … बाहर निकाल … प्लीज … कितना मोटा है … ओहह्ह … हाय … मर गयी.

मगर बिहारी बाबू नहीं रुका; वो धीरे धीरे धक्के लगाने लगा.

अब खच … खच … की आवाज करते हुए वो मजे से उसे चोदने लगा.
सुखी कराहते हुए कहने लगी- कितना बड़ा लंड है … तूने तो बहुत फुद्दी फाड़ी होंगी इससे … आह्ह!

टांगें फैलाये हुए वो उससे चुद रही थी और अब उसे पूरा मजा आ रहा था.
वो भी गांड उठा उठाकर लंड का स्वाद चख रही थी और कह रही थी- आह्ह … चोद … चोद मुझे … आह्ह … और धक्के लगा … अंदर तक लगा … आह्ह.

मोहित भी पूरे जोर के साथ उसको चोद रहा था.
कमरे में खच … खच … पच-पच … चिप-चिप … चिप-चिप … आआआ … ईईई … आह्ह जैसी आवाजें गूंज रही थीं.

उस बिहारी के टट्टे सुखी की जांघों से लगकर बज रहे थे. इससे सुखी को बहुत मजा आ रहा था.

फिर उस बिहारी ने सुखी को घोड़ी बनने के लिए कहा तो वो मिनट भर में घोड़ी बन गयी.

अब मोहित उसे पीछे से चोदने लगा. फिर पांच मिनट बाद वो जोर जोर से धक्के मारने लगा और उसका निकलने को हो गया. एकदम से धक्के मारते हुए उसने सारा माल सुखी की फुद्दी में भर दिया.

सुखी अपनी चूत चुदवाते हुए दो बार झड़ चुकी थी.
दोनों खुश हो गये थे.
सुखी ने पूछा- तेरे पास मेरी ब्रा-पैंटी कैसे आयी?

वो बोला- जब आप रोज नहाने के बाद अपने कपड़े बाथरूम में छोड़ देती थी तो मैं रोज ही मुठ मारता था. मुझे बहुत मजा आता था. मैं फुद्दी और चूत की खुशबू लेता था. आज मैंने देखा आप शहर जा रही थी तो मैं उनको अपने रूम में ले आया.

वो बोली- अच्छा … तू तो बहुत तेज निकला. मुझे लगता है तू शुरू से ही मुझे चोदना चाहता था. जब मैं अपनी ब्रा पैंटी देखती थी तो उस पर माल लगा होता था. एक बार तूने मेरे मौजे में भी अपने लंड का माल गिराया हुआ था.

वो बोला- हां जी सरदारनी जी. उस दिन जब आप सैर करके आई थी तो मेरे कमरे में बूट उतार कर काम करने लग गई थी. मैं आपके पैरों की खुशबू ले रहा था.

सुखी बोली- ठीक है, मैं जा रही हूं. टाइम बहुत हो गया. जब उसने देखा तो एक घंटा हो गया था. इस तरह से सुखी ने अपनी पंजाबी चूत उस बिहारी मजदूर से चुदवा ली.