Facebook Friend Ki Chodi Fuddi

नमस्कार दोस्तों आपका अपना दीप पंजाबी आपकी सेवा में एक नई फ्री हिंदी सेक्स स्टोरीज हिंदी चुदाई कहानी लेकर हाज़िर है । पिछले हफ्ते प्रकाशित हुई कहानी “मेरी दर्जी पड़ोसन” के बारे में बहुत से मेल मिले और बहुत ख़ुशी हुई के आज भी आप इस साइट की कहानियो का उतना ही लुत्फ़ उठा रहे है। जितना पिछले कई सालो से उठा रहे थे।

सो आपके इसी प्यार की बदौलत हम आपके मनोरंजन के लिए जगह जगह से कहानिया लेकर आते रहते है। सो इसी तरह प्यार बनाये रखना ताजो आगे से भी आपका इसी तरह से मनोरंजन करते रहे।

सो आज की कहानी भी पिछली कहानी के किरदार सावन वर्मा की ही है। जो के राजस्थान किशनगढ़ बास का रहने वाला है और बी. ऐ फाइनल का विद्यार्थी है। सो ज्यादा वक्त न जाया करते हुए सीधा कहानी पे आते है।

आगे की कहानी सावन वर्मा की ही ज़ुबानी…

हलो दोस्तों आपका दोस्त सावन नई कहानी लेकर आपकी सेवा में हाज़िर है। ये कहानी डेढ़ साल पुरानी है।

जब एक दिन मैं फेसबुक पे अपने खास दोस्त दीप बंगड़ से उसकी ही एक पोस्ट पे हंसी मज़ाक कर रहा था तो उसी पोस्ट पे एक अजनबी लड़की अमृता के भी कुछ कमेंट्स आये हुए थे। सो मेने उसकी प्रोफाइल खोलकर उसे फ्रेंड रेकवेस्ट भेज दी। कई दिन ऐसे ही निकल गए। फेर एक दिन नोटिफिकेशन आया के अमृता ने आपको अपना दोस्त बना लिया है । सो उसे धन्यवाद देने के मकसद से मेने उन्हें सन्देस भेजा।

मैं — थैंक्स अमृता, फॉर ऐड मी इन युअर फ्रेंड लिस्ट,

वो — इटस ओके।

लेकिन क्या आप मुझे जानते हो ?

मैं — नही जी, 2 दिन पहले सुबह जब आप मेरे दोस्त दीप की एक पोस्ट पे बात कर रही थी। तो आपके हसमुख स्वभाव को देखते हुए मैंने आपको दोस्त बनाने की रिक्वेस्ट भेजी थी।

वो — अच्छा जी, वैसे हो कहां के आप, और करते क्या हो ?

मैं — जी किशनगढ़ बास, राजस्थान से हूँ और कॉलज़ का विद्यार्थी हूँ।

वो — अच्छा तो ठीक है, फेर किसी दिन बात करेंगे। अभी फ़िलहाल मुझे थोडा काम है। आपसे बात करके अच्छा लगा।

मैं — मुझे भी अच्छा लगा।

और इस तरह से पहले दिन की मुलाकात खत्म हुई।

अब जब भी मैं फेसबुक खोलता तो उसका मेसज, उसकी पोस्ट जरूर देखता।

फेर कई दिन उनसे थोडा थोडा टाइम बात हुई।

कई दिन बीत गए, फेर एक दिन रात को 10 बजे के करीब जब मैं फेसबुक पे अपने दोस्तों से बात कर रहा था। तो इसी बीच में अमृता का मेसज आया के “हलो दोस्त” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

मैंने उसका हलो में ही जवाब दिया। मेरे पूछने पे उसने अपना परिचय दिया के वो नई दिल्ली की रहने वाली है और शादीशुदा है। उसका एक 5 साल का बेटा रोहित भी है और उसका पति एक प्राइवेट कम्पनी पे सेल्समेन की नौकरी करता है। वो खुद एक हाउसवाइफ है।

थोड़ी देर ऐसे ही बात करने के बाद बोली के अब मुझे जाना पड़ेगा क्योंके उसका पति काम से वापिस आ गया है। सुबह काम काज से मुक्त होकर बात करूंगी।

मैंने भी उसकी मज़बूरी को समझते हुए उसे जाने की इज़ाज़त दे दी।

फेर अगले दिन उसने पोस्ट डाली के फीलिंग सैड टुडे ।

मैंने पोस्ट को देखकर उनके इनबॉक्स में मेसज किया के क्या हुआ दोस्त सेड कयो हो ?

वो – कुछ नही बस पति से झगड़ा हो गया और वो बिना खाना खाये काम पे चले गए है।

मैं — ये तो गलत बात है। लड़ाई तो आपसे हुई है इसमें खाने का क्या दोष, वैसे भी अन्न का निरादर नही करना चाहिए। जैसा रुखा सुखा मिले, खा लेना चाहिए, दुनिया में ऐसे भी लोग है। जिन्हें रोज़ाना दो वक्त का खाना नही मिलता, हफ्ते में 2 या 3 बार ही खाना खा पाते है।

वो — हांजी, आपकी बात से सहमत हूँ । लेकिन मेरी भी कुछ इच्छाये है न

मैं — मतलब ??

उसे लगा शायद वो अपना कोई गुप्त राज़ न खोल दे और कहा ,” नही कुछ नही बस ऐसे ही बोल गयी।

आप सुनाइए घर पे सब कैसे है ?

मैं — घर पे तो सब खैरियत है लेकिन आपका मूड बिगड़ा बिगड़ा सा दिखाई दे रहा है। बताइये न क्या दिक्कत है आपको शायद आपकी कोई मदद कर सके।

वो — नही, ऐसी कोई बात नही है।

मैं — अरे यार, बता भी दो अब क्यों मुँह फुलाया है, यदि दोस्त मानते हो तो, अन्यथा ऐसे ही ठीक है।

मुझे लगा नया दोस्त होने की वजह से घर की कोई बात मेरे सामने नही खोलना चाहती।

फेर बोली “बात थोड़ी गम्भीर है और लम्बी चली जायेगी तो लिखने में दिक्कत आएगी। सो आप मेरे इस नम्बर पे काल करलो।

जब मैंने उसके दिए नम्बर पे काल किया तो सामने से एक बहुत ही मीठी, रसीली आवाज़ आई हलो हांजी सावन जी, नमस्कार ।