Facebook Friend Ki Chodi Fuddi

मैंने भी नमस्कार में जवाब दिया और कहा,” हांजी अब बताओ क्या बात है, जिसकी वजह से इतनी दुखी हो ?

वो — दरअसल बात थोड़ी गम्भीर है। लेकिन आप नए दोस्त हो सो थोड़ा झिझक रही थी के आपको बताऊ भी या नही। लेकिन पता नही दिल को क्यों लग रहा था के आपसे ये बात शेयर कर लू।

मैं — देखिये अमृता जी, पहली बात ये के घर का भेद बाहर नही देना चाहिये। पति पत्नी की लड़ाई आम बात है। दोनों में रूठना मनाना तो लगा ही रहता है। सो इस प्यार भरी नोक झोक पे किसी तीसरे व्यक्ति को शामिल नही करना चाहिए। वर्ना परिवार में दरार आ जाती है।

लेकिन फेर भी यदि आपको ऐसा लगता है तो आप दिल खोलकर अपना दुःख दर्द बयान कर सकते हो।

मेरे बस की कोई बात हुई तो जरूर मदद करूँगा।

वो — हांजी तभी तो आपसे बात करने में हिचकिचा रही थी।

बात ये है के मेरा पति मुझे पूरा टाइम नही दे पाता। मतलब के सारा दिन बाहर जब घर पे आये तो आते ही खाना खाया, नहाये और सो गए। सुबह उठकर नहाये, खाना खाया और चले गए। उन्हें घर की जरा भी परवाह नही है। सारा दिन काम, काम और बस काम । घर का किराया, बच्चे की स्कूल फीस, दूध वाला, सब्ज़ी वाला, अखबार वाला न जाने और कितने और छोटे मोटे बिल मुझे ही चुकते करने पड़ते है, पतिवाली होते हुए भी विधवा जैसी जिंदगी जी रही हूँ । रात को साथ सोने का वक़्त भी नही है इनके पास तो।

मेरी भी कुछ इच्छाये है। मेरा भी दिल करता है वो मुझे प्यार करे, मेरे साथ सहवास करे, मीठी मीठी बाते करे। जब भी सेक्स का पूछती हूँ कल को करने का बोलकर सो जाते है और मैं ऐसे ही मन मानकर रह जाती हूँ। पहले तो कई बार सोचा आस पड़ोस के काफी लड़के मुझपे मरते भी है। इनमे से ही किसी एक को घर पे बुलाकर अपनी प्यास बुझवा लू।

लेकिन फेर इनकी इज़्ज़त का ख्याल आ जाता है के कही बाद में मुझे वो ब्लैकमेल न करने लग जाये। सो इसी डर से बस ऊँगली से अपनी कामवासना शांत करने की चेष्टा करती हूँ । चाहे ऊँगली से वो बात बनती नही लेकिन कुछ पल के लिए मन को शांति मिल जाती है और आसानी से नींद भी आ जाती है। अब बताइये आप सावन जी, मुझे क्या करना चाहइये ? क्या आप मेरी इस मामले में कोई मदद कर सकोगे।

मैं — आपकी परेशानी तो सच में बहुत ही गम्भीर है। आप बताइये किस तरह से मेरी मदद लेना चाहोगे।

चाहे मैं उसकी पूरी बात का इशारा समझ चूका था, लेकिन फेर भी उसी के मुह से सब कुछ सुनना चाहता था।

वो — इतने शरीफ लगते तो नही आप, जितना जता रहे हो, सब कुछ समझते हुए भी अनजान बन हुएे हो ? सरल भाषा में सुनो आप मेरी प्यास बुझा सकते हो घर पे आकर या नही ?? यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

मैं उसके इस न्योते से एक पल के लिए तो जैसे सुन्न सा हो गया। क्योके मैंने अपनी पूरी ज़िंदगी में ऐसा प्रस्ताव सुना या देखा नही था।

वो — क्या हुआ इसमें इतना सोचने वाली कौनसी बात है ??

मैं एक स्त्री होकर इतना बोल रही हूँ और आप एक पुरूष होकर चुप है। कमाल के इंसान हो। आज के ज़माने में तो लोग लड़की क़ी सलवार उतारने तक जाते है और आप हो के खुली पड़ी सलवार को देखकर नज़रअंदाज़ कर रहे हो। वैसे भी रोहित के पापा कुछ दिनों के लिए कम्पनी के काम से दिल्ली से बाहर जा रहे है। आप चाहो तो जब वो चले जायेंगे आपको मेसज भेज दूगी।

मुझे लगा वो मेरी मर्दानगी को ललकार रही है। तो मैंने भी बिन सोचे समझे आने का बोल दिया और सोचा जो होगा देखा जायेगा। इस तरह से हम रोज़ाना कहानी बनाकर फोन सेक्स से एक दूजे को ठंडा करते। करीब दो दिन बाद ही उसने मेसज में अपने घर का पता भेजा और कहा कल को आ सकते हो तो आ जाना। मैंने अगले दिन ही घर पे दिल्ली में किसी दोस्त की शादी में जाने का बोलकर, दिल्ली जाने की इजाज़त ले ली। उसी दिन दोपहर को ट्रेन से 4 घण्टो से सफर से उसके बताये पते पे पहुँच गया। उसके घर के बाहर खड़े होकर मैंने उसे फोन किया।

वो — कहाँ रह गए हो आप, सुबह से इंतज़ार कर रही हूँ।

मैं– बस मैडम आपके सामने ही हूँ,

वो — सामने मतलब ??

मैं — अरे। यार दरवाजा तो खोलो। फेर ही दिखाई दूंगा।

उसे लगा मज़ाक कर रहा हूँ।

वो — अच्छा तो, मेरे घर की की कोई एक निशानी बताओ फेर मानूँगी केे आप सच बोल रहे हो।

मैं — मतलब आपको यकीन नही है।