गज्जी भाई ने मुझे चोदा

मेरी पिछली कहानी में आपने पढ़ा कि मैंने अपने पड़ोसी के साथ खूब खुल कर चुदाई के मज़े लिए थे. अब आगे –

कुछ दिन पहले मार्केट से आते वक़्त मैंने स्कूटी से एक कार को टक्कर मारी तो बहुत गड़बड़ हो गई। तभी एक आदमी आया और उसने पुलिस और उस आदमी को बात करके रफा-दफा कर दिया।

इसके बाद वो मेरे पास आकर बोला- अभी तू जा, कुछ प्रॉब्लम होए.. तो बोल अपने को!
मैं- जी थैंक यू..
मैं राहत की सांस लेते हुए वहां से निकल गई।

दूसरे दिन मैंने खिड़की से देखा कि वही आदमी हमारी बिल्डिंग के नीचे था और आने-जाने वाले की फिरकी ले रहा था।
यूं ही कुछ दिन बीत गए।

एक दिन मैं मार्केट से आ रही थी तभी वो आदमी और कुछ लोग वहां थे। उसने मुझे देखा और आवाज दी।
‘ऐ सुन, इधर तो आ..!’
मुझे जरा ख़राब लगा, पर मैं गई।
‘जी?’
वो मेरे पास आकर बोला- कहाँ गई थी तू?
मैं- जी मार्केट।
उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया और बोला- आ इधर हम लोग के साथ बैठ!
मैंने अपना हाथ छुड़ाया और कहा- तुम में जरा भी तमीज़ नहीं.. तूने मेरा हाथ कैसे पकड़ा..?? बदतमीज़ कहीं के..
इतना बोल कर मैं वहां से चली आई।

मुझे उसकी इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया। मैंने समर को भी उसके बारे में कहा।
तभी समर ने बताया- उसका नाम गज्जी भाई है.. और वो बहुत खतरनाक है।
मैं एक पल के लिए डर गई कि मैं उससे बदतमीजी कर आई।
समर ने कहा- प्लीज़ उस पर ध्यान मत दो.. और आगे से उसके सामने ही मत आना।

अब वो हर वक़्त मुझे घूरता रहता.. एक दिन मैं बस से मार्केट जा रही थी.. बस में भीड़ बहुत थी, मैं खड़ी थी।

तभी मुझे लगा कि मेरे पीछे कुछ है। मैंने मुड़ कर देखा तो गज्जी था और वो मेरी गांड पे हाथ फेर रहा था। मैंने गुस्से से उसका हाथ झटका और बस से उतरने लगी। वो भी मेरे पीछे पीछे उतरा।

जब मैं रोड क्रॉस कर रही थी। तब अचानक मेरा हाथ पकड़ कर वो मुझे घसीटते हुए एक कोने में ले गया और मुझे किस करने लगा। मैंने उससे छूटने की कोशिश की, पर नाकामयाब रही। फिर मैंने उसे एक जोरदार धक्का दिया और उसे थप्पड़ लगा दिया।

तब उसे गुस्सा आया और उसने मुझे भी एक थप्पड़ लगा दिया और बोला- अब तू खुद आएगी मेरे साथ सोने को।
ये धमकी देकर वो चला गया।

मुझे अब खुद से घिन आ रही थी। एक गुंडे ने मुझे छुआ, मेरे होंठों पे किस किया। यही सोचते हुए मैं दुखी मन से घर पहुँची।

पहले तो मैंने समर को ये सब बताना चाहा.. पर सोचा कि वो मेरे बारे में क्या सोचेंगे?? इसलिए मैं चुप रही, पर मैं गलत थी।

कुछ दिन के बाद पुलिस मेरे घर पर आई और मेरे पति के बारे में पूछने लगी, मुझे कुछ समझ नहीं आया। फिर एक पुलिस वाले ने बताया कि आपके पति पर चोरी का आरोप है।

दोपहर को मुझे उनके ऑफिस से फ़ोन आया कि आपके पति को पुलिस पकड़ कर ले गई। मैं गड़बड़ी से पुलिस स्टेशन पहुँची तो देखा कि समर की हालात खराब थी.. उसे बहुत पीटा गया था।
मैंने थानेदार से पूछा तो उसने कहा- चोरी की है, पिटाई तो होगी ही.. ऊपर से कुछ बता नहीं रहा.. साला चोर!

मैं- लेकिन मेरे पति चोर नहीं हैं, आपको कोई गलतफहमी हुई है।
थानेदार- ऐ.. बहुत बोल ली तू चल निकल साली.. अपने पति से मिल और चलती बन।
मुझे धमकाता हुआ वो चला गया।

मैं समर के पास पहुँची, वो बहुत बुरी हालत में थे। मैंने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें झूठे इल्जाम में फंसाया गया है, असली चोर तो रघु है।

मैंने पति के जमानत के लिए भाग दौड़ की.. पर कुछ फायदा न हुआ।

अब क्या करूँ तब मैंने सोचा कि रघु से मिलूँ, तो मैं रघु से मिलने पहुँची।

रघु से मिली तो उसने बताया- मेरे हाथ में कुछ नहीं.. अब उसे कोई नहीं बचा सकता.. हाँ पर गज्जी भाई ने कुछ किया तो मैं समझ गई कि ये सब गज्जी का किया-धरा है।

मैं समर के पास पहुँची तो देखा समर तो और भी ज्यादा बुरे हालात में हैं।
अब मैं क्या करूँ??
मैंने गज्जी से मिलकर बात करने का सोचा।

मैंने उसके एक आदमी से पूछा तो वो बोला कि भाई अड्डे पे होंगे। मैं अड्डे पे पहुँची.. वहाँ पर सब मुझे घूर के देखने लगे, मैं डरते हुई अन्दर गई।

मैंने कोने की एक टेबल पर देखा कि गज्जी बैठा है।

मैं वहां गई और उससे बोला- आपसे बात करनी है।
गज्जी- क्या?
मैं- जरा बाहर चलकर बात करते हैं।
गज्जी- क्यों?? अच्छा ठीक है चल..
बाहर आकर उसने कहा- वो देख सामने मेरा गोदाम है.. वहाँ चलकर बात करते हैं।
मैं वहां चली गई.. गज्जी मेरे पीछे-पीछे आया और बोला- क्या हुआ??
मैं- वो मेरे पति को पुलिस ने पकड़ लिया है।
गज्जी- तो मैं क्या करूँ?
मैं- आप करेंगे तो कुछ होगा।
गज्जी- मैं कुछ नहीं कर सकता, चल निकल अभी इधर से।
मैं- प्लीज़ कुछ तो कीजिये.. वो लोग मेरे पति को बहुत मारते हैं।
गज्जी- मारने दे.. तूने मुझे थप्पड़ मारा था ना.. अब उसके बदले तेरा पति पिटेगा।
मैं- प्लीज़ ऐसा मत कीजिये।

पर वो ना माना..

अब मैंने बिना कुछ सोचे अपने साड़ी का पल्लू नीचे गिराया और कहा- मेरे साथ जो करना है कर लो.. पर उन्हें छोड़ दो।

मुझे ऐसे देख कर उसकी आँखों में चमक आ गई और वो आगे आया। वो अश्लील भाव से मुझे देखता हुआ मेरे स्तन से ले कर नाभि पर हाथ फेरने लगा।

मैं- जो करना है करो.. पर मेरे पति को छोड़ दो।
गज्जी- छोड़ तो दूंगा.. लेकिन तुझे रोज मेरे साथ सोना पड़ेगा। आज से तू अपनी रन्डी है क्या समझी?
मैं- प्लीज़ मेरे पति को छोड़ दो।
गज्जी- हाँ.. तू मेरा बिस्तर गरम कर.. उधर तेरा पति बाहर हो जाएगा।

उसने मुझे अपनी ओर खींचा और किस करने लगा, मैं भी न चाहते हुए उसका साथ दे रही थी।

फिर उसने मुझे छोड़ा और बोला- चल अपने कपड़े उतार।

मैंने अपनी साड़ी निकाली.. फिर अपने ब्लाउज के हुक खोले और सब निकाल के अलग कर दिया।

गज्जी ने अपने लंड पर हाथ फेरते हुए कहा- अरे जल्दी निकाल साली हरामजादी।

मैंने झट से अपनी ब्रा, पेटीकोट और पैंटी निकाल दी और पूरी नंगी हो गई।

मुझे बहुत शर्म आ रही थी। वो उठा और उसने मेरी चूत को हाथ से सहलाया.. मैं सिहर उठी और मेरी ‘अहह..’ निकल गई।

वो खुश हुआ और मुझे अपनी गोद में उठा कर अन्दर ले गया।

वहां पड़े अनाज पर उसने मुझे फेंका और अब अपने कपड़े उतारने लगा। उसके काले बदन पर काले बाल और एक-एक कपड़े उतार कर वो पूरा नंगा हो गया। वो तो एकदम कोई जालिम मर्द लग रहा था उसका लंड बहुत मोटा और लम्बा था।

फिर वो मेरे ऊपर आया और मुझे किस करने लगा। धीरे-धीरे मेरे गले से होता हुआ वो मेरे स्तनों पर पहुँचा और मेरे गोले चूसने लगा। फिर अचानक उसने मेरे एक चूचे को काटा.. मुझे एकदम दर्द हुआ और मैं चिल्ला पड़ी, पर वो न रुका।

फिर उसने मेरी चूत को चाटा। अब तक मैं भी गरम हो चुकी थी, मैंने उसके सर को अपनी चुत पर दबा दिया। इस बार उसने मेरी चूत को काटा।

मैं- ओई माँ.. आह्ह्ह्ह प्लीज़.. काटो मत।
गज्जी- अभी तो बहुत दर्द बाकी है. चुपचाप पड़ी रह साली।

उसने फिर से मुझे काटना शुरू किया और फिर उसने मुझे अपना लौड़ा चूसने का बोला। मैंने पहले ना किया तो उसने मुझे थप्पड़ लगाया।

मैंने ना चाहते हुए लंड चूसना शुरू किया। उसने लगभग 5 मिनट तक लौड़ा चुसवाया और अब वो मुझे चोदने आया। उसने लंड मेरे चूत पर रखा और धक्का मारा.. पहले दर्द हुआ पर बाद में मैं भी मजा लेने लगी। मैं उसकी पीठ पर हाथ फ़ेर रही थी।

कुछ 15 मिनट के बाद वो मेरे अन्दर झड़ गया.. मेरे ऊपर ही पड़ा रहा और मुझे किस करता रहा।

मैं भी उसका साथ दे रही थी.. फिर वो अलग हुआ।

मैंने उससे पूछा- मेरे पति?
वो बोला- फ़िक्र न कर वो छूट जाएगा.. लेकिन तू अब मेरी है।
तब मैंने ‘हाँ’ कहा।

अब उसका लंड फिर से खड़ा हुआ तो उसने मेरी गांड में उंगली डाली, मैंने भी कुछ नहीं कहा।

उसने मेरी गांड मारना शुरू की.. मुझे शुरू में उसके मोटे लंड के कारण दर्द हुआ फिर मजा आने लगा।

दूसरे दिन उसने मुझे घर छोड़ा और बोला- कल आ जाना।
मैंने ‘हाँ’ कर दी।

फिर दोपहर को समर भी आ गए। अब गज्जी मुझे रोज चोदता है।

मुझे भी उसके लंड से मजा आता है।

मेरी चुदाई की कहानी कैसी लगी.. मेल लिखिएगा।