गाइड को पटाकर चोदा

सभी पाठकों को मेरा नमस्कार। मै अजित, लखनऊ का रहनेवाला हूं। अभी पिछले कुछ सालों से काम के सिलसिले में फ्रांस में रह रहा हूं। मेरी उम्र २९ साल है, और मेरे शरीर का ढांचा एक नॉर्मल आदमी की तरह है। इस कहानी में पढिए, किस तरह से मैने एक यात्रा के दौरान हमारे गाइड को पटा लिया और फिर उसके साथ चुत चुदाई के खेल के साथ और भी रंगरेलियां मनाई। यह कहानी अभी छह महीने पहले की है, और यह मेरे जीवन का एक किस्सा है, जो मै एक कहानी के रूप में आपके सामने रखने जा रहा हुं।

दोस्तों मेरी यह कहानी छूट्टियों की है। जब मै अपने ऑफिस से छुट्टियां लेकर मनाली घूमने के लिए गया था। आप सभी को पता है, कि वहां कितनी अधिक ठंड होती है। इसलिए मै अपनी तरफ से पूरी तैयारी करके गया था। पूरा टूर पहले से ही प्लान किया हुआ था। मेरे साथ और १४ लोग थे। स्टेशन पर जाते ही हमारी मुलाकात हमारे गाइड से हुई, जो हमे मनाली में गाइड करने वाली थी। जी हां, गाइड एक सुंदर सी लडकी थी, जो दिखने में एकदम कयामत थी और देखकर उसकी उम्र २५ के करीब लगती थी। स्टेशन पर मुलाकात होते ही उसने हमारे नाम पूछ लिए और खुद का नाम बताते हुए हमें हमारी सीट कहां है बताने लगी।
हम सबकी सीट एक ही बोगी में थी, तो ज्यादा परेशानी की कोई बात नही थी। हमारे गाइड ने अपना नाम नताशा बताया। दिखने में वो नताशा मालकोवा से कम नही थी। फिगर तो गजब था साली का, उसे देखकर बुढ्ढों के मन भी मचल जाए। खैर आखिरकार ट्रेन का समय होने चला था, तो सबने अपना अपना सामान उठाया और अपनी सीटों के तरफ चलने लगे। ट्रेन के सफर में ऐसे ही आराम से कभी कोई खेल खेलते हुए तो कभी कुछ और करते हुए हम सब अपने गंतव्य तक पहुंच ही गए। वहां पहुंचने के बाद, हमे वहां से अपने होटल में जाना था।
वैसे भी अब रात हो चुकी थी, तो कोई ट्रेवेलर मिलने में थोडी दिक्कत हो रही थी। तो हममें से ही कुछ लोग इधर उधर ढूंढने लगे, तो एक ट्रेवेलर मिल गई। और उससे ही हम अपने होटल में चले गए। होटल में जाकर सब फ्रेश होकर आराम करने लगे। मुझे नींद नही आ रही थी, तो मै होटल के बाहर आकर टहलने लगा। थोडी दर बाद, एक और लडकी होटल से बाहर निकलते हुए दिखी। मैने थोडा ध्यान से देखा, तो वो नताशा थी। नताशा अब इतनी रात को कहां जाने के लिए निकली थी,यह देखने के लिए ही मै उसके पीछे पीछे चल दिया।
नताशा एक जंगल की तरफ चल दी,जो हमारे होटल से पास में ही था। वहां जाकर उसने पीछे मुडकर देखा, मै जल्दी से उसकी नजर से बचने के लिए छिप गया। फिर वो जंगल के अंदर चली गई। उसके पीछे पीछे मै भी जंगल के अंदर हो लिया। वहां काफी अंधेरा था, लेकिन सामने कोई टोर्च जलाकर आगे बढता हुआ दिख रहा था, तो मै भी उसी साये के पीछे हो लिया। वो साया और कोई नही बल्कि नताशा ही थी। तभी अचानक वो टॉर्च बंद हो गई, और मुझे भी कुछ दिखना बंद हो गया। तो मै अपनी जगह पर ही रुककर कोई आवाज आती है क्या वो सुनने लगा।
लेकिन जंगल मे पूरा सन्नाटा था। कहीं कुछ आवाज नही थी। थोडी देर बाद नताशा मेरे पास आकर खडी हो गई, और टोर्च जला दी। वो मुझसे पूछने लगी, “तुम यहां क्या कर रहे हो?”
मैने उसे सच बता दिया कि, “मै तो तुम्हारे पीछे पीछे यहां तक आ गया। लेकिन तुम यहां इस जंगल मे अभी क्या कर रही हो?”
फिर उसने कहा, “वो तो ऐसे ही अक्सर टहलने के लिए आ जाती है।”
इतना कहते हुए ही उसने मेरा हाथ पकडा, और मुझे खींचते हुए जंगल से बाहर ले जाने लगी। कुछ देर मै भी उसके पीछे चलता रहा।
जंगल के बाहर निकलने से पहले मैने उसका हाथ पकडा और उसे अपनी तरफ घुमा दिया। फिर उसकी आंखों में देखते हुए मै उसके सामने अपने एक घुटने पर बैठ गया और उसके हाथ को अपने होठों के पास लाते हुए चुम लिया। यह देखकर वह भी थोडी मुस्कुराने लगी थी। तो मैने और आगे बढने की सोचकर उसके सामने ही उसकी तारीफ करने लगा। और फिर अंत में मैने उससे कह दिया कि, “जब से स्टेशन पर तुम्हे देखा है, तब से बस तुम्हारे बारे में ही सोच रहा हूं। शायद मुझे तुमसे प्यार हो गया है, और मै चाहता हूं कि अब हम दोनों ही एक-दूसरे से प्यार कर लें।”
यह सुनकर वो हंसने लगी, और मुझसे कहा, “यह सब जो तुमने अभी अभी मुझसे कहा, यह सब मै बहुत लोगों से सुन चुकी हूं, लेकिन तुममें कुछ अलग बात है, तुम्हे ट्राय करके देखना तो पडेगा।”
यह सुनते ही मै उठ गया, और उसको अपने गले से लगा लिया। उसे गले से लगाते ही उसने भी अपने हाथों से मुझे खुद से जकड लिया। उसकी तरफ से भी हां है यह देखकर फिर मैंने उसके बालों में अपना एक हाथ घुसाया और उसके बालों को पीछे खींचते हुए उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। उसकी कडक चुचियां मेरी छाती में रगड रही थी। उसके हाथ मेरी पीठ पर से होते हुए मेरे बालों में आ रहे थे। तभी वो मुझसे हटने लगी, तो मैंने अपनी पकड और मजबूत करते हुए उसे अपने और पास खींच लिया। पास खींचकर मैने उसे चूमना छोडकर उसकी आँखों मे देखा, तो एक अलग ही चमक थी।
अब वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी, तो मैने उसके शरीर को सहलाना शुरू कर दिया। उसके शरीर का हर एक हिस्सा ऐसे लगता था, जैसे बडी फुर्सत से किसी ने तराशा हुआ हो। उसके चुचुक तो बहुत ही बडे और आकर्षक थे, जिसे देखकर कोई भी उसकी तरफ मोहित होकर खींचा चला जाए।

मैने अब कपडों के ऊपर से ही उसके बदन को सहलाना शुरू कर दिया। उसके स्तनों पर हाथ जाते ही मुझमे कोई करंट सा दौड जाता, और मै बेकाबू होकर उसके स्तनों को मसल देता। वो भी यह सब एंजॉय कर रही थी, उसे भी मजा आ रहा था।
थोडी देर ऐसे ही ऊपर से उसके शरीर को रगडने के बाद मैने उसके टॉप के अंदर अपना हाथ घुसा दिया, और उसके दूधों का रस निचोडने लगा। थोडी देर बाद, उसने कहा, “टॉप टाइट है, फट जाएगा। तो या तो हाथ बाहर निकाल लो, या फिर टॉप ही निकाल दो।”
मुझे और क्या चाहिए था, मैने उसके टॉप को ऊपर करके उसके शरीर से अलग कर दिया। अब वो सिर्फ ब्रा में मेरे सामने थी। नीचे उसने एक जीन्स पहन रखी थी, तो उसका टॉप खोलने के बाद मै उसकी जीन्स का बटन भी खोलने लगा। वुसने भी उसके कपडे निकालने में मेरी सहायता की।
उसकी जीन्स निकालने के बाद मैने उससे अलग होते हुए अपनी पैंट भी उतार दी, और वो मेरे शर्ट के बटन खोलने लगी। थोडी ही देर में हम दोनों बस अपने अंर्तवस्त्रों में एक-दूसरे के सामने थे। तो मैने नीचे जमीन पर हमारे उतारे हुए कपडे एक पत्थर पर बिछाए और उसे उस कपडों पर लिटा दिया। मै उसके ऊपर आते हुए उसके दूधों को अपने मुंह मे भरकर चूसने लगा। उसके दूध बहुत ही मुलायम थे, ऐसा लग रहा था जैसे मलाई हो।

थोडी देर उसके दूध चूसने के बाद मैने उसकी ब्रा और पैंटी दोनों निकाल दी। और अब मै उसकी चुत को चूमकर उसमे अपनी एक उंगली घुसा दी। नताशा पहले से ही चुदी हुई थी, तो उंगली आराम से चुत के अंदर घुस गई। फिर मैंने अपनी चड्डी भी निकाल दी, और उसके चुत पर अपना लौडा रखकर उसे अंदर घुसाने लगा। तो उसने नीचे से एक हल्का सा धक्का लगाया, और मेरा आधा लंड उसकी चुत के अंदर चला गया।
नताशा काफी देर तक मुझसे चुदवाती रही, और मेरे हर धक्के के साथ वो अपने मुंह से कामुक आवाजें निकालती रहती थी। अब खुले आसमान के नीचे चुदाई करने का मेरा यह पहला मौका था। नताशा को नीचे पत्थर थोडा चुभ रहा था, तो वो मेरे ऊपर चढकर खुद ही धक्के लगाते हुए मुझे चोदने लगी।

लगभग आधे घंटे तक चोदने के बाद हम दोनों का पानी निकलने को था, नताशा ने मुझसे चुत के अंदर ही पानी निकालने को कहा। तो मैने अपने धक्कों की गती बढा दी, और उसे घपाघप चोदने लगा। फिर दोनों का वीर्य निकलकर हम दोनों ही ठंडे पड गए। जब तक हम टूर से वापस नही आए तब तक रोज हम दोनों चुदाई का खेल खेलकर अपनी हवस की प्यास मिटाते रहे।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, हमे कमेंट करके जरूर बताइए। धन्यवाद।