नियोगी बाबा का अशुद्धिकरण योग

हिन्दुस्तान में शायद जितने बाबा हैं, उतने शायद किसी और देश में नहीं. उनमे से कुछ परोपकारी हैं तो कुछ ढोंगी भी. स्त्रियों को इन बाबा लोगों पे कुछ ज्यादा ही भरोसा रहता है. सभी को अपनी परेशानी का हल चाहिए होता है. सुजाता को भी चाहिए था. इसलिए वो नियोगी बाबा के पास गयी. बाबा ने अपना चमत्कार दिखा भी दिया लेकिन कुछ अलग तरीके से……….

“हरे रामा! हरे कृष्णा!” का मनभावन कीर्तन, सुबह का सुहावना मौसम और चारों ओर फैली हरियाली. चित्त को शांति और सुकून पहुँचाने वाले इस वातावरण में नियोगी बाबा अपने शिष्य-शिष्याओं और भक्तों के सामने एक ऊंचे आसन पे विराजमान थे. श्वेत धवल वस्त्रों में उनका तेज दैदीप्यमान हो रहा था. पूरा माहौल भक्तिमय था, लेकिन भक्तों की कतार में बैठी सुजाता काफी व्यग्र थी.

सुजाता 41 वर्षीया सुदर्शना महिला थी. गोरी-चिट्टी सुजाता पर उम्र का ज्यादा प्रभाव उसके शरीर पे नहीं पड़ा था. सिर्फ उसके वक्ष और नितम्बों का आकार बढ़ गया था. लेकिन इससे उसकी सेक्स अपील ही बढ़ी थी. उसकी दो बच्चियां थीं. एक 21 वर्षीय सुहाना और दूसरी 18 वर्षीय मोना. सुदर्शना के पति ज्ञानेश एक प्राइवेट फर्म में सेल्स ऑफिसर के पद पे काम करते थे. पूरा परिवार एक किराए के मकान में रहता था. सब कुछ ठीक-ठाक ही चल रहा था कि अचानक एक दिन ज्ञानेश को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. एक फ्रॉड सेल करने की वजह से उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ा था. पूरे परिवार में भूचाल आ गया.

आरोप ऐसा था कि ज्ञानेश को दूसरी नौकरी भी नहीं मिल पा रही थी. 6-7 महीने ऐसे ही गुजर गए. परिवार की आर्थिक स्थिति डामाडोल होटी जा रही थी. सुहाना की परीक्षाएं नजदीक आ रही थीं. लेकिन उसके पास परीक्षा की फीस भरने के पैसे नहीं थी. सुदर्शना को घर का खर्च चलाने में भी दिक्कत हो रही थी. जबकि हताशा के कारण ज्ञानेश का स्वाभाव भी चिडचिडा हो गया था.

ऐसे में नियोगी बाबा का शिविर लगा और उनके भक्तों की कतार भी दिन ब दिन लम्बी होने लगी. उनके चमत्कारों की चर्चा का बाजार गर्म था. सुजाता भी अपने पड़ोसन निकिता के कहने पे एक दिन नियोगी बाबा के शिविर में पहुंची.

काफी देर तक इन्तजार करने के बाद सुजाता को बाबा से मिलने का मौका मिला. एक बड़े से हाल में कई भक्त पहले से ही इन्तजार कर रहे थे. उसी हाल से एक कमरे का रास्ता जाता था, जिसमे बाबा बैठे हुए थे. एक शिष्या सुजाता को बाबा के पास तक ले गयी. सुजाता के हाथ में एक पर्स था जो उसने मांग लिया और वहीँ पड़े एक टेबल पे रखते हुए कहा- जाते समय ले लीजियेगा!

सुजाता ने हाँ कहकर सर हिलाया और बाबा की ओर देखा.बाबा माला फेर रहे थे. उन्होंने इशारे से सुजाता को बैठने को कहा. सुजाता बैठ गयी. कुछ देर बाद बाबा सुजाता से मुखातिब हुए .

बाबा- पति की नौकरी चली गयी है?

सुजाता आश्चर्य से – हाँ बाबा! बड़े कष्ट में हूँ.

बाबा- पता है. कष्ट दूर हो सकता है, लेकिन बड़ा ही दुरूह है उपाय.

सुजाता- बताइए बाबा! मुझे क्या करना होगा?

बाबा- इतनी आसानी से तो उपाय पता भी नहीं चलेगा. सिर्फ उपाय पता करने में ही 3 दिन लग जायेंगे. वो भी यदि तुमने मेरे बताये नियमों का पालन किया तो.

सुजाता- नियम बताइए प्रभु! मैं सब करूंगी.

बाबा ने हवा में हाथ घुमाया और चमत्कारी रूप से उनके हाथ में एक फूल आ गया. वो फूल उन्होंने सुजाता को दे दिया और जाने को कहा.

सुजाता असमंजस में पड़ गयी और संकोच करते हुए बोली- बाबा नियम तो आपने बताये ही नहीं. मैं पालन किसका करूंगी.

बाबा ने कहा- जिसे तुम फूल समझ रही हो वो मैं ही हूँ. यही तुम्हें सारे नियम बताएगा. उन नियमों का पालन कल से ही शुरू कर देना और फिर तीन दिन के बाद यहाँ आना.

सुजाता को कुछ समझ में तो नहीं आया. लेकिन वो बोझिल कदमो से वहां से जाने लगी. उसने पर्स में फूल रखा और शिविर के द्वार पे पहुँच गयी. वहां एक शिष्या ने उसका पर्स चेक किया. फिर जाने को कहा.

सुजाता घर पहुंची. मन बड़ा उदास था. अचानक उसे बाबा के दिए फूल की याद आई. उसने तुरन्त पर्स खोला और वो फूल ढूँढने लगी. लेकिन फूल नहीं मिला. उसने परेशां होकर पर्स का सारा सामान एक मेज के ऊपर पलट दिया. उसे फूल तो नहीं दिखा लेकिन एक कागज की पुड़िया जैसी दिखी. उसने उसे खोल कर देखा तो वो फूल उसी के अन्दर लिपटा हुआ था. उसे आश्चर्य हुआ. उस कागज को उसने पूरा खोला तो उसपे नियम लिखे थे जो कुछ इस प्रकार थे –

रोजाना दिन में दो बार पूरे बदन पे मलाई लगानी है. याद रहे सिर के अतिरिक्त शरीर का कोई हिस्सा छूटे न और फिर कुछ देर बाद स्नान करना है. फिर नग्न अवस्था में ही फूल से अपने होठों, वक्षों और योनी को स्पर्श करना है.
सुबह, दोपहर और शाम को फूल को सामने रखकर पांच- पांच मिनट के लिए बाबा का ध्यान करना है.
सिर और चेहरे के अतिरिक्त शरीर के सारे बाल साफ़ कर देने हैं.
3 दिनों तक किसी भी तरह का यौन संसर्ग नहीं करना है.
सुजाता को लगा ये नियम तो आसानी से पूरे किये जा सकते हैं. उसे मन के अन्दर ही कहीं बाबा के चामत्कारी पुरुष होने का यकीन होने लगा था. अगले दिन सुबह सबके लिए नाश्ते का इंतजाम कर वो बाथरूम में चली गयी. तब तक घर के सारे लोग नहा चुके थे तो बाथरूम अब खाली ही था.

सुजाता ने अन्दर जाते ही हेयर रिमूवर क्रीम अपनी बगलों और चूत के ऊपर के बालों पे लगाकर उन्हें साफ़ किया. फिर उसने अपने पूरे बदन पे मलाई लगायी. और फिर नहा ली. फिर उसने बाबा के कहेनुसार फूल से अपने होठों को छुआ. अचानक उसे बाबा की कही बात याद आ गयी “जिसे तुम फूल समझ रही हो वो मैं ही हूँ”. सुजाता को अपने बदन में एक सिहरन सी महसूस हुयी. फिर उसने फूल को अपने निप्पल और फिर अपनी चूत पे स्पर्श कराया. उसे एक अजीब सा रोमांच हो रहा था. फिर वो कपड़े पहन कर बाहर आ गयी. और बाबा का ध्यान करने लगी.

सबकुछ तीन दिनों तक बताये गए नियमों के हिसाब से चलता रहा. सुजाता चौथे दिन फिर से बाबा के पास उपाय जानने के लिए पहुंची.

बाबा ने उसे बैठने को कहा और अपने सारे शिष्यों को कमरे से बाहर जाने को कहा. बाबा के चेहरे पे काफी गंभीरता के भाव थे.

सुजाता ने कहा- बाबा आपके बताये गए प्रत्येक नियम का पालन मैंने पूरी निष्ठा से किया. क्या कोई उपाय पता चला.

बाबा- मुझे पता है. मैंने कहा था न वो फूल नहीं मैं ही हूँ. उस फूल के माध्यम से मुझे सब दिख रहा था.

सुजाता शरमा गयी. लेकिन बाबा अभी भी गंभीर बने हुए थे.

बाबा ने सुजाता को अपने पास बुलाया और कहा- सुजाता! मैंने 3 दिनों तक ध्यान लगाया. लेकिन हर बार तुम्हारे कष्ट निवारण का जो उपाय मुझे ध्यान आया. वो अत्यंत कठिन है.

सुजाता- बाबा! आपके द्वारा बताया गया हर उपाय मैं करने को तैयार हूँ.

बाबा की आखों में अचानक से आंसू आ गए. सुजाता ये देखकर काफी बेचैन हो उठी और उनके आंसू पोछने लगी. बाबा ने उसे रोक दिया और कहा- हे नारी! तुम्हारा सतीत्व सुरक्षित रहे. तुम महान हो! और इसी लिए मैं तुमसे उपाय बताने का साहस भी नहीं कर पा रहा हूँ.

सुजाता की बेचैनी बढती जा रही थी. उसने बाबा के पैर पकड़ लिए और रोने लगी. और कहने लगी- बाबा मैं अपने परिवार का दुःख नहीं देख सकती. कृपा करके मुझे उपाय बताएं!

बाबा ने एक गहरी सांस ली और कहा- सुजाता आज तक तुम पवित्र हो. लेकिन तुम्हारे पति को जो भी नौकरी मिल सकती है उन सब में कुछ न कुछ अशुद्धियाँ हैं. और तुम्हारी पवित्रता की वजह से उनका संयोग तुम्हारे पति के साथ नहीं मिल पाता. इसी वजह से तुम्हारे पति की पिछली नौकरी भी चली गयी थी. अशुद्धियाँ पवित्रता के साथ नहीं रहना चाहतीं.

सुजाता- मैं कुछ समझी नहीं प्रभु?

बाबा- तुम्हारी पवित्रता तुम्हारे पति के मार्ग में बाधक है. इसलिए तुम्हें भी अशुद्ध होना पड़ेगा!!

सुजाता- अशुद्ध? ..ल…लेकिन कैसे?

बाबा- तुम्हें अपने सतीत्व का त्याग करना होगा. पर पुरुष से शारीरिक सम्बन्ध बनाने होंगे. सम्बन्ध भी तुम्हें उसी पुरुष से बनाने होंगे जो कुछ विशेष मन्त्रों का उच्चारण अपने मन में कर सके.

सुजाता लगभग चीखते हुए- बाबा!! ये क्या कह रहे हैं आप?

बाबा- सत्य यही है और इसिलिये मैं तुम्हें ये उपाय नहीं बताना चाह रहा था.

सुजाता ने अपना सिर पकड़ लिया.

बाबा ने कहा- मुझे पता था! ये उपाय बहुत कठिन है. इसलिए अब तुम जाओ!!

सुजाता कुछ देर वैसे ही बैठी रही और सोचती रही. फिर उसने कहा- बाबा! मैं तैयार हूँ. लेकिन वो पुरुष कहाँ से लाऊँ जो मन्त्रों का उच्चारण कर सके?

बाबा मौन रहे. फिर सुजाता ने कहा- बाबा क्या आप मेरे साथ सम्बन्ध बनायेंगे?

बाबा ने क्रोध से कहा- ये क्या कह रही हो तुम?

सुजाता ने कहा- मुझे क्षमा करें प्रभु! लेकिन आपके सिवा मैं किससे ये प्रार्थना करूँ.

बाबा ने कुछ देर मौन रखा और आखें बंद कर लीं. ऐसा लगा जैसे वो किसी अदृश्य शक्ति से बातें कर रहे हैं. फिर उन्होंने सुजाता से कहा- पवित्र शक्तियां आदेश दे रही हैं की मुझे ही ये अशुद्धि यज्ञ करना होगा, और वो भी आज ही!

बाबा सुजाता को अपने शयन कक्ष में ले गए. काफी आलिशान बेडरूम था उनका. खुशबूदार और ठण्डा. बाबा ने कहा- सुजाता! मुझसे जरा भी शर्माने की जरूरत नहीं है. इस यज्ञ से सिर्फ तुम्हारी देह अशुद्ध होगी. तुम्हारी आत्मा पवित्र ही रहेगी. इसलिए निस्संकोच अपने वस्त्र उतार दो.

ये कहकर बाबा ने अपने सारे कपड़े उतार दिए. सुजाता ने अपनी आखें बंद कर लीं. बाबा सुजाता के पास गए और बोले- तुम्हारा आखें बंद कर लेना स्वाभाविक है. लेकिन मेरे पास समय का अभाव है इसलिए तुम्हें जल्दी करनी होगी.

ये कह कर बाबा ने सुजाता की काली शीफान साड़ी को सुजाता की गोरी देह से अलग कर दिया. फिर सुजाता का पेटीकोट और ब्लाउज भी उतार दिया. अब सुजाता सिर्फ ब्रा और पैंटी में बाबा के सामने खड़ी थी. ये द्रश्य देखकर बाबा के लंड में तनाव आने लगा. उन्होंने सुजाता के अधरों को चूम लिया और सुजाता के हाथों में अपने लंड को पकड़ाते हुए कहा- तुम इसे वही फूल समझो जो मैंने तुम्हे दिया था. और उसी क्रम में अपने शरीर के उन अंगों से छुओ जिस क्रम में उस फूल से छूती थी.

ये कहकर उन्होंने सुजाता की ब्रा और पैंटी भी उतार दी. अब सुजाता ने बाबा के लंड को अपने होठों से छुआ. फिर अपनी चूचियों के बीच में दबाया और फिर खड़ीं होकर अपनी चूत से सटाने लगी. दोनों के मुह से सिसकारियाँ निकल रही थीं.

बाबा ने अचानक से सुजाता को अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पे लिटा दिया. फिर सुजाता के ऊपर बाबा छाने लगा. उसके पूरे शरीर को अपने शरीर से रगड़ने लगे. तीन दिनों तक लगातार मलाई के उपयोग से सुजाता की त्वचा काफी चिकनी हो गयी थी. बाबा को काफी मजा आ रहा था. सुजाता ने अभी भी अपनी आखें बंद कर रखीं थी. इसलिए वो बाबा की आखों में उतर आई हवस को नहीं देख पा रही थी. ये हवस देखकर कोई भी बता सकता था की बाबा ढोंगी है है. और ये सारा दोंग उसने केवल सुजाता के शरीर को भोगने के लिए किया है.

धीरे-धीरे बाबा अपने होठों को सुजाता की चूत के पास ले गया और उस चूत को जिसे सुजाता ने बाबा के ही आदेश से चिकना किया हुआ था, चूसने लगा. सुजाता की चूत गीली होने लगी. बाबा अब अपनी जीभ से ही चोदने लगा. सुजाता ने सर के नीचे पड़े तकिये को नोचना शुरू कर दिया. वो भी उत्तेजित होने लगी थी. वो काफी समय के बाद सेक्स कर रही थी इसलिए बाबा के जीभ के हरकत उसे काफी अच्छी लग रही थी. फिर सुजाता ने अपना पानी छोड़ दिया. अब बाबा ने अपना लंड सुजाता के मुँह में डाल दिया और उसे सुजाता को चूसने को कहा. सुजाता ने भी आदेश का पालन किया और बाबा का लंड चूसने लगी. बाबा का लंड काफी मोटा था. बड़ी मुश्किल से सुजाता के मुँह में जा रहा था.

अचानक बाबा ने अपना लंड निकाल लिया और सुजाता की गोरी चूचियों पे टूट पड़ा. उसने सुजाता की गोरी चूचियों पे उभरे गुलाबी निप्पलों को चुटकी से मिसल दिया. सुजाता की चीख निकल गयी. अब तक बाबा पे पूरी तरह हवस हावी हो चुकी थी. उसने सुजाता की टांगों को फैलाया और अपने लंड को उसकी चूत पे रखकर एक धक्का लगाया. लेकिन लंड मोटा होने के कारण फिसल गया. बाबा ने दुबारा लंड पे थूक लगाया और सुजाता की चूत पे सेट करके एक जोरदार धक्का लगाया. सुजाता को अपनी पहली चुदाई का दर्द याद आ गया. उसकी चीख निकल गयी और उसने कहा- बाबा आपका काफी मोटा है…..

सुजाता के मुँह से निकली इस बात ने बाबा का जोश बढ़ा दिया और वो धकाधक् सुजाता की चूत में अपना लंड पेलने लगा. धीरे धीरे सुजाता को भी मजा आने लगा. फिर दोनों एक ही समय पे झड़ गए.

अपना पूरा वीर्य सुजाता की चूत में भरने के बाद बाबा आखें बंद करके बेड पे ही लेट गया. थोड़ी देर बाद जब उसने आखें खोलीं तो देखा की सुजाता अपने सारे कपड़े पहन चुकी है और उदास बैठी है.

बाबा ने सुजाता के कंधे पे अपना हाथ रखा और कहा- जाओ अब तुम्हारा काम बन जायेगा.

सुजाता जब घर पहुंची तो देखा ज्ञानेश कहीं गया हुआ है. शाम को जब ज्ञानेश घर आया तो उसके हाथ में एक नौकरी का ऑफर लेटर था. वो काफी खुश था. सारे घर वाले काफी खुश थे. सुजाता ने मन ही मन बाबा को धन्यवाद दिया और ये सब बाबा का चमत्कार समझ उसे मन से प्रणाम किया.

लेकिन ये सब बाबा का फैलाया मायाजाल था. उसने ही अपने एक अमीर शिष्य की कम्पनी में ज्ञानेश की सिफारिश करके नौकरी लगवा दी थी. लेकिन बाबा सच में ढोंगी था.

आगे फिर कभी आपको बताऊंगा की कैसे बाबा ने सुजाता की लड़कियों को भी अपना शिकार बनाया? लेकिन उसके पहले आपके मेल का इन्तजार रहेगा.