पड़ोसन के साथ मिलकर सर्दी मिटाई

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम सन्नी है और में भी आप सभी की तरह कामुकता डॉट कॉम की कहानियों के लिए पागल हूँ। मुझे सेक्सी कहानियों को पढ़कर बड़ा मस्त मज़ा आता है और में अब तक ना जाने कितनी कहानियों के मज़े ले चुका हूँ। दोस्तों मैंने अपनी पिछली बार आप सभी की सेवा में अपनी कहानियों को भी लिखकर तैयार करके भेजा और मुझे बड़ी खुशी मिली, क्योंकि यह आप सभी के प्यार का नतीजा है जो आज हम जैसे लोगों को अपने मन की बात या किसी भी घटना को लिखकर पहुँचाने का मौका मिलता है। दोस्तों जैसा कि आप सभी पढ़ने वाले अच्छी तरह से जानते है कि में जम्मू का रहने वाला हूँ और मुझे सेक्स करना कितना अच्छा लगता है। दोस्तों आज में जो आप सभी को अपनी यह घटना सुनाने जा रहा हूँ, यह मेरे जीवन का सबसे मजेदार सेक्स अनुभव में से एक है और यह घटना बहुत ही जोश से भरपूर है। दोस्तों यह घटना मेरे साथ नवंबर 2005 में घटी थी और यह तब की बात है जब हमारे पड़ोस में एक नये किराएदार रहने आए थे, उनके घर में दो बहने और एक छोटा भाई और उनकी माँ भी साथ ही थी। दोस्तों सबसे बड़ी बहन का नाम नजमा और छोटी बहन का नाम किरण था और उन दोनों के बूब्स बड़े ही मस्त आकार के गोलमटोल उभरे हुए थे जिनको देखकर में बड़ा ही चकित हुआ।

दोस्तों में अपने घर की छत पर बैठकर अपने आने वाले पेपर की तैयारी किया करता था और तब वो छोटी बहन जिसका नाम किरण था वो मुझे छुप छुपकर हमेशा देखा करती थी। दोस्तों उस लड़की की उम्र उस समय करीब बीस साल रही होगी, लेकिन उसके वो गोलमटोल बड़े आकार के बूब्स तो मुझे हमेशा पागल किए जाते थे मेरे विचार से उसके बूब्स का आकार 34-28-34 के करीब होगा। दोस्तों उसके पूरे गोरे बदन से उसकी चढ़ती जवानी बड़ी साफ झलका करती जो मुझे हमेशा अपनी तरफ आकर्षित किया करती थी और उसके वो बूब्स देखकर मेरे मुहं में हमेशा पानी आने लगता था और में देख देखकर ललचाने लगता था। दोस्तों जब वो मटकती हुई चलती थी तब उसके कूल्हों के साथ साथ उसके बूब्स भी हिलते थे और में देखकर ललचाने लगता था। फिर धीरे धीरे में भी उसकी तरफ देखने लगा था और वो भी मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा देती थी, जो मेरे लिए एक अच्छा संकेत था, जिसकी वजह से में बहुत खुश था। दोस्तों हम दोनों के बीच यह काम बहुत समय तक ऐसे ही चलता रहा और वो हर कभी आते जाते समय मुझे देखकर मेरी तरफ मुस्कुरा देती। एक शाम को मैंने थोड़ी सी हिम्मत करके उसको अपने पास बुला लिया और फिर मैंने उसको पूछा कि आपका नाम क्या है? में अंदर मन से डर भी रहा था कि कहीं उसको मेरे ऊपर गुस्सा ना आ जाए, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

फिर उसने मुझे अपना नाम किरण बताया और फिर मैंने उसको कहा कि आप कितना प्यारी हो और उसके बाद वो हल्का सा मुस्कुरा गई। उसके बाद हम दोनों के बीच इधर ऊधर की बातें होती रही। अब मैंने उसको पूछा कि आपको मेरी किसी भी बात का बुरा तो नहीं लगा ना? वो अपने खिले हंसते हुए चेहरे से कहने लगी कि नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं है जैसा आप सोच रहे है। अब मैंने उसको कहा कि इसका मतलब तो अब यह है कि तुम रोज़ ही मुझसे बात कर सकती हो? अब वो हंसते हुए कहने लगी कि हाँ ज़रूर आपसे बात करने से मुझे क्या परेशानी हो सकती है? मुझे आपसे बात करना अच्छा लगा। फिर इस तरह से हम दोनों हर दिन ही छत पर कभी सुबह दिन और शाम को बातें करते और हमें मौका मिलने पर हम दोनों रात को भी छत पर बातें करने लगे थे। दोस्तों मुझे उसके साथ बातें करना समय बिताने में बड़ा मज़ा आने लगा था। एक दिन हम दोनों साथ में बैठे बातें कर रहे थे और कुछ देर बाद वो मुझसे कहने लगी कि मेरे हाथ बहुत ठंडे हो रहे है। फिर उसके मुहं से यह बात सुनकर तुरंत ही मैंने उसका एक हाथ पकड़ लिया और छुकर महसूस किया कि उसका वो मुलायम हाथ बहुत ही ठंडा था।

फिर मैंने उसके हाथ को कुछ देर सहलाकर गरम करने के बाद उसको चूम लिया। अब उसने झट से अपने हाथ को पीछे हटा लिया, मैंने उसको कहा क्यों क्या हुआ? तब वो कहने लगी कि कुछ नहीं और कुछ देर बाद वो चली गई और में पूरी रात उसके बारे में सोच सोचकर पागल हुआ जा रहा था। फिर अगली रात को मैंने कुछ देर बातें करने के बाद उसका मूड देखकर उसको कहा कि में तुम्हे एक बार चूमना चाहता हूँ। अब वो मुझसे कहने लगी कि नहीं कहीं कोई हमें यह सब करते हुए देख ना ले? मुझे बड़ा डर लगता है। फिर मैंने भी उसकी बात को मानकर कहा कि हाँ ठीक है चलो रात को करूंगा दिन के उजाले में हमे कोई देख ले, यह हम दोनों के लिए ठीक नहीं होगा। फिर उसी रात को मैंने उसको सबसे पहले हाथ पर और फिर उसके बाद उसके सुंदर गोरे चेहरे को भी चूम लिया और उसने भी मेरे चेहरे पर एक बार चूम लिया। अब में तुरंत समझ गया कि उसकी तरफ से भी यह सब करने के लिए हाँ है। वो भी अब मेरे साथ यह सब करने के लिए तैयार है, क्योंकि उसको भी अब वो काम करने में बड़ा मज़ा आने लगा था। फिर मैंने उसी समय उस मौके का फायदा उठाकर तुरंत ही उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और में उसके गुलाबी रसभरे होंठो को चूमने लगा था।

फिर थोड़ी ही देर के बाद वो भी मेरा साथ देने लगी थी और धीरे धीरे मेरे हाथ उसकी कमर पर चले गए। में उसकी पतली कमर को सहलाने लगा था, लेकिन उसने मेरे सामने बिल्कुल भी विरोध नहीं किया, जिसकी वजह से मेरी हिम्मत पहले से ज्यादा बढ़ गई और अब मेरा एक हाथ उसके बूब्स पर चला गया। दोस्तों वो तब भी चुप ही रही और मैंने छूकर महसूस किया कि उसके बूब्स बहुत ही नरम थे और यह मेरा पहला अनुभव था, जब में किसी के बूब्स को अपने हाथों से दबाकर उनके मज़े ले रहा था। अब मैंने उसको पूछ लिया क्या यह इतने नरम होते है? तब वो मुस्कुराते हुए कहने लगी और क्या? हाँ यह ऐसे ही होते है, अब तुम मेरे सामने ज्यादा नादान मत बनो। फिर उसी समय हमे कुछ शोर सुनाई दिया और हम लोग वो आवाज सुनकर तुरंत ही अपनी अपनी छत से नीचे चले गये। अब में नीचे अपने कमरे में आकर उसके साथ हुए पहली बार उस मज़े के बारे में सोचता हुआ ना जाने कब सो गया। मुझे पता ही नहीं चला। फिर अब तो हम दोनों हर कभी खुश होकर वो मज़े लेने लगे थे, जिसकी वजह से हम दोनों एक दूसरे के साथ पूरी तरह से खुल चुके थे। हमारे बीच अब वो दूरियां दिन निकलने के साथ साथ कम होती चली गई।

अब में किसी खास मौके के इंतज़ार में रहने लगा था, जिसका फायदा उठाकर में उसके साथ जमकर हमारी पहली चुदाई के मज़े ले सकता। फिर एक दिन मेरे घर सभी घर वाले हमारी अच्छी किस्मत से एक शादी में चले गये और वो लोग अगली दिन वापस आने की बात मुझसे कहकर मुझे अपने घर में अकेला छोड़कर चले गए। फिर मैंने उसको कहा कि आज हमारे पास बहुत अच्छा मौका है तुम मेरे घर आ जाओ और वो मुझसे पूछने लगी कि घर आकर क्या करना है? फिर मैंने उसको कहा कि हम दोनों मेरे घर में बैठकर आराम से बातें करेंगे और अकेले में हमे किसी का डर भी नहीं होगा। अब वो कहने लगी कि हाँ ठीक है में आ जाउंगी और कुछ देर के बाद वो मेरे घर आ गई और पहले तू हम दोनों ने आराम से बैठकर कुछ बातें हंसी मजाक किया। फिर मैंने उसके होंठो पर चूमना शुरू किया, जिसकी वजह से कुछ देर बाद वो भी गरम होना शुरू हो गयी और वो तुरंत ही मुझसे लिपट गयी। अब वो मुझे अपने गले से लगाकर उस मज़े मस्ती में डूबने पूरे पूरे मज़े लेने लगी थी। अब उसके बूब्स मेरी छाती से दब गये और फिर मैंने उसको बेड पर लेटा लिया और अब मैंने उसकी गर्दन और उसके चेहरे पर चूमना शुरू कर दिया।

अब मैंने उसके बूब्स को कपड़ो के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से वो भी कुछ ही देर में वो गरम हो चुकी थी और फिर मैंने उसकी कमीज़ को ऊपर कर दिया। अब मैंने देखा कि उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी, मैंने पहले उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स को एक बार चूमा और फिर उसके बाद मैंने ब्रा को भी उतार दिया। फिर उसने भी मेरी शर्ट को उतार दिया और अब मेरे सामने उसके गोरे नंगे बूब्स थे, जिनके ऊपर में शुरू से ही बहुत फिदा था और बूब्स को पहली बार अपने सामने पूरा नंगा देखकर तो में पागल ही हो गया। अब में उसके एक बूब्स को चूसने लगा और दूसरे को अपने एक हाथ से दबाने लगा था और में बहुत देर तक उसके बूब्स के साथ वैसे ही मज़े करता रहा और कुछ देर के बाद मुझे जोश आने लगा था। अब नीचे मेरा लंड उसकी चूत पर कपड़ो के ऊपर से ही ठीक उसकी चूत के ऊपर था, में ऊपर से हिल रहा था और वो नीचे से हिल रही थी। फिर में अपना एक हाथ उसकी चूत पर ले गया। तब मुझे छूकर पता चला कि उसने अपनी सलवार के अंदर पेंटी नहीं पहनी थी और मैंने छूकर महसूस किया कि सलवार बहुत ज्यादा जोश की वजह से चूत वाले हिस्से से गीली हो चुकी थी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

loading…

फिर कुछ देर में ही उसने अपनी चूत का पानी छोड़ दिया और वो थोड़ी सी ठंडी हो गयी। अब मैंने एक बार फिर से उसके बूब्स को चूसना शुरू किया, जिसकी वजह से वो कुछ ही देर में दोबारा से गरम होना शुरू हो गयी। फिर उसी समय मेरे घर की घंटी बज गई और मैंने उसको उधर ही छुपा दिया और मैंने जब जाकर दरवाजा खोलकर देखा तो उस समय मेरा एक चचेरा भाई बाहर खड़ा था। अब मैंने झूठे बहाने से अपने चचेरे भाई को उसी समय बाहर से ठंडा लेने भेज दिया और जब वो चला गया तो उसके बाद मैंने तुरंत ही किरण को उसके घर पर भेज दिया। दोस्तों उस दिन मुझे बड़ा दुख हुआ, क्योंकि में अपने हाथ में आने के बाद भी उसके साथ कुछ ना कर सका, लेकिन उसके बूब्स ने मुझे पूरा पूरा मस्त मज़ा दिया था। फिर इस तरह से हमारे दिन गुजरने लगे थे, हम दोनों मौका मिलने पर साथ में बैठकर बातें भी करते थे और कभी कभी चूमते भी थे, क्योंकि दोस्तों अब मौसम बहुत बदल चुका था, इसलिए हमें वैसे मौके अब कम ही मिलते थे। फिर एक बार मुझे पता चला कि उसके घर पर दो दिनों के लिए कोई भी नहीं है, उसकी मम्मी और बहन किसी काम से उनके गाँव चली गयी। अब घर में किरण और उसका एक छोटा भाई घर पर अकेले थे और जब किरण ने मुझे यह सब बताया तब मेरी खुशी की कोई ठिकाना ना रहा।

फिर मैंने खुश होकर उसको कहा कि में आज ही रात को ठीक एक बजे के बाद छत पर आ जाऊंगा, तुम मुझे वहीं पर मिलना। दोस्तों जब में छत पर गया तब मैंने देखा कि वो मेरा छत पर पहले से ही इतंजार कर रही थी और में उसको देखकर बहुत खुश था। दोस्तों पहले तो हम दोनों ने साथ में बैठकर बहुत देर तक इधर उधर की बातें करते हुए अपना समय बिताया और वो मुझसे कह कर रही थी कि में अब उसको समय नहीं देता हूँ में बहुत व्यस्त हो गया हूँ। फिर मैंने उसको बड़े ही प्यार से समझाकर कहा कि अब मेरे घरवालों को हम दोनों पर कुछ शक हो गया है इसलिए हमे थोड़ी सी दूरी बनाए रखना पड़ेगा, यह सब हमारे लिए ठीक रहेगा। फिर कुछ देर बातें करने के बाद मैंने उसको कहा कि मुझे अब बड़ी तेज सर्दी लग रही है और वो कहने लगी कि हाँ ठंड तो मुझे भी अब लग रही है। फिर मैंने उसको कहा कि हम दोनों अब ऐसा करते है कि हम तुम्हारे कमरे में जाकर बैठकर आराम से बातें करते है, यहाँ तो कोई भी इधर उधर से छत से आ सकता है और खुली जगह पर हमे सर्दी भी ज्यादा लगेगी। अब वो कहने लगी कि हाँ ठीक है और फिर में उसके साथ उसके कमरे में चला गया और हम दोनों जाकर उसकी बहन के कमरे में बैठ गये।

दोस्तों पहले हम दोनों ने थोड़ी बहुत बातें की और फिर मैंने सही मौका देखकर उसका एक हाथ पकड़ लिया। अब वो मुझसे कहने लगी, प्लीज तुम इस तरह मेरे साथ कुछ भी ना करो। फिर मैंने उसको कहा कि मुझे बड़ी तेज सर्दी लग रही है इसलिए तुम मुझे थोड़ा सा गरम ही कर दो, में कौन सा तुम्हारे साथ ऐसा कुछ काम कर रहा हूँ। मैंने बस तुम्हारा हाथ ही तो अपने हाथ में लिया है। फिर मैंने उसको अपने गले से लगा लिया और वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी थी, उसके बाद धीरे धीरे मेरे हाथ उसकी कमीज़ के अंदर उसके बूब्स पर चले गये। में उसके बूब्स को सहलाने लगा था और वो जोश मज़े की वजह से स्सीईईई आहह्ह्ह की आवाज़ें अपने मुहं से निकालने लगी थी। फिर उसने कुछ देर बाद जोश में आकर अपनी कमीज़ को ऊपर उठा दिया और ब्रा से अपने दोनों बूब्स को बाहर निकाल दिया, ब्रा से बाहर आकर उसके वो दोनों केद कबूतर अब खुली हवा में साँस लेने लगे थे और वो उसके गोलमटोल गोरे गोरे बूब्स को देखकर अपने होश खो बैठा था। अब में उसके दोनों बूब्स को बारी बारी से चूसने लगा था और उस समय मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था और एक हाथ उसकी कामुक चूत पर जो अब जोश की वजह से गीली हो चुकी थी।

फिर हम दोनों बहुत देर तक उसी तरह से प्यार करते रहे, क्योंकि दोस्तों में हमारी उस पहली चुदाई को बहुत ही आराम से और भरपूर मज़े के साथ करना चाहता था, इसलिए मैंने पहले उसको कुछ देर तक बहुत गरम किया। अब में अपना एक हाथ उसकी सलवार के अंदर ले जाकर उसकी कुंवारी बिना चुदी चूत पर फेरने लगा था और उसके बाद मैंने अपनी एक ऊँगली को उसकी चूत के अंदर डाल दिया, जिसकी वजह से उसके मुहं से अब आअहह ऊहह की आवाज निकलने लगी थी और फिर मैंने सही मौका देखकर उसको अपना सात इंच का लंड पकड़ा दिया। अब वो मेरे लंड को अपनी मुठ्ठी में पकड़कर ऊपर नीचे करनी लगी थी। दोस्तों मैंने छूकर महसूस किया कि उसकी चूत बहुत छोटी और टाइट भी बड़ी थी, लेकिन अब वो डर रही थी कि कहीं वो मेरे साथ वो सब करके गर्भवती ना हो जाए। अब में उसको बड़े ही प्यार से समझा रहा था कि यह सब करने से ऐसा कुछ भी नहीं होगा, लेकिन वो आगे कुछ भी करने से मना कर रही थी। फिर मुझे उस पर थोड़ा सा तरस आ गया और मैंने उसको कहा कि चलो फिर अगर तुम्हे नहीं करना तो रहने दो हम इस तरह प्यार ही कर लेते है। फिर हम दोनों उसी तरह चूमते और ऊपर से ही में उसके बदन को छूकर बूब्स को सहलाते हुए प्यार करने लगा था।

फिर कुछ देर बाद मैंने उसको पूछा क्यों तुम अब खुश हो ना? देखो मैंने कुछ नहीं किया सिर्फ़ तुम्हारी मर्ज़ी के हिसाब से में वैसे ही चलता रहा जैसा तुम चाहती हो। अब वो मुझसे कहने लगी कि में अगर ना चाहूँ तो तुम मेरे साथ कुछ भी नहीं कर सकते थे। दोस्तों मुझे तो उसके मुहं से यह बात सुनकर एकदम से जोश आ गया और मैंने उसको कहा कि अगर में चाहूँ तू अभी भी तुम्हारे साथ बहुत कुछ कर सकता हूँ। फिर वो मुझसे कहने लगी कि ऐसा हो ही नहीं सकता और फिर क्या था? सबसे पहले मैंने उसके दोनों हाथ पकड़े और उसके बाद मैंने अपने एक हाथ से उसकी सलवार को पूरा उतार दिया और फिर मैंने अपना लंड पेंट की चेन से बाहर निकाला और उसकी चूत के मुहं पर रख दिया। अब मैंने कहा कि हाँ अब तुम बोलो में तुम्हारे साथ क्या करूं? फिर वो मुझसे कहने लगी कि कुछ नहीं प्लीज तुम मुझे छोड़ दो। फिर मैंने उसको कहा कि में अब तुम्हे ऐसे नहीं छोड़ सकता, तुमने मुझे खुद इस काम को करने के लिए उकसाया है और फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुहं पर रखकर थोड़ा सा ज़ोर लगाया और वो तो दर्द की वजह से चीखने चिल्लाने लगी ऊउईईईईइ आह्ह्हह्ह ऊफ्फ्फ्फ़ और वो मुझसे कहने लगी कि मुझे बहुत तेज दर्द हो रहा है, प्लीज अब बस भी करो निकालो इसको बाहर वरना में इस दर्द की वजह से मर ही जाउंगी।

दोस्तों अब, लेकिन वो सब मुझे सुनाई दिखाई नहीं दे रहा था। फिर मैंने अपने एक हाथ को उसके मुहं पर रख दिया और फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत में डालने के लिए बड़ा तेज ज़ोर लगाना शुरू कर दिया और वो उस दर्द की वजह से बिन पानी की मछली की तरह मचलने लगी थी, लेकिन मैंने पूरी तरह से जोश में आकर अपने तेज गति के दो झटको में ही अपना पूरा का पूरा लंड उसकी कुंवारी चूत की गहराइयों में उतार दिया था। अब वो दर्द की वजह से बहुत तड़प रही थी और मैंने उसी समय तुरंत ही हिलना बंद कर दिया और थोड़ी ही देर में उसी तरह से उसके ऊपर पड़ा रहा। फिर कुछ देर बाद दर्द कम होने की वजह से उसको भी मज़ा आने लगा था, इसलिए अब वो नीचे से अपने कूल्हों को हिलाने लगी थी। अब में भी खुश होकर हल्के हल्के धक्के लगाने लगा था और अब वो भी जोश में आकर मज़े लेते हुए मुझसे कह रही थी हाँ और ज़ोर से करो ऊउफ़्फ़्फ़्फ़ हाँ सन्नी और ज़ोर से धक्के दो वाह इस खेल में तो इतना मस्त मज़ा आता है, मैंने पहले यह सब क्यों नहीं किया? आहह्ह्ह्ह ऊह्ह्ह्हह हाँ और भी ज़ोर से तुम धक्के दो मुझे आज पूरा मज़ा दे दो।

अब में उसकी वो बातें सुनकर जोश में आकर पूरे दम से उसकी चूत में अपने लंड से धक्के लगा रहा था, में अपने लंड को पूरा बाहर निकालता और फिर तेज गति से अंदर धकेल देता ऐसा करने से हम दोनों को ख़ुशी मिलती और वो हर एक धक्के से पूरी हिल जाती। फिर कुछ देर बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, लेकिन में अभी भी वैसे ही गरम और पूरी तरह जोश में था, कुछ देर बाद वो एक बार फिर से नीचे से हिलने लगी थी। दोस्तों अब वो पहले से भी ज्यादा गरम हो चुकी थी इसलिए हम दोनों की तरफ से लगातार बड़े तेज धक्के लग रहे थे, में धक्के देते हुए उसका एक बूब्स भी दबाकर चूस रहा था और उसके दूसरे बूब्स को में अपने एक हाथ से दबा भी रहा था। दोस्तों अब वो एक बार फिर से अपनी चूत का पानी छोड़ने वाली थी और में भी अब झड़ने के करीब ही था। फिर कुछ देर में ही उसने अपनी चूत से पानी निकाल दिया और में थोड़ी देर के लिए रुक गया, दो मिनट के बाद मेरे भी बर्दाश्त से बाहर हो गया और क्योंकि में झड़ने वाला था, इसलिए मैंने जल्दी से अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकालकर अपना सारा पानी उसके गोरे मुलायम पेट पर निकाल दिया। उसके बाद कुछ देर हम दोनों उसी तरह से एक दूसरे की बाहों में लिपटे पड़े रहे।

फिर मैंने कुछ देर बाद उठकर अपने कपड़े पहने और किरण ने भी अपने कपड़े पहन लिए, उसके बाद जब में बाहर जाने लगा तब उसी समय उसने तुरंत ही मेरा एक हाथ पकड़ लिया और वो मुस्कुराते हुए मुझसे कहने लगी कि एक बार गले से तो लग जाओ, तुम्हे जाने की इतनी भी क्या जल्दी है? और फिर कुछ देर हम दोनों एक दूसरे की बाहों में चिपके खड़े रहे। दोस्तों में कुछ देर लगातार उसके पूरे बदन को चूमते हुए उसको प्यार करता रहा, जिसकी वजह से वो बड़ी खुश थी और मुझे मज़ा आ रहा था और उसने भी मुझे प्यार करने में या उस खेल को खेलने में अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ी। उसने मेरा हर बार पूरा पूरा साथ दिया। फिर में उसके बाद वापस अपने घर आ गया और उसी दिन में आप सभी को लिखकर बता नहीं सकता कि पहली बार उस लड़की की कुंवारी चूत की चुदाई करके मेरा मन कितना खुश था? इस बात का किसी को अंदाजा भी नहीं होगा। दोस्तों में आशा करता हूँ कि मेरी यह कहानी आप सभी सेक्सी कहानियों के मज़े लेने वालो को बहुत अच्छी लगी होगी ।।

धन्यवाद .