पड़ोसन आंटी की जवान बेटी की चुदाई की

मैं प्रवीण कुमार एक विद्यार्थी हूँ. मेरी उम्र अभी 24 वर्ष है. यह गर्ल नेक्स्ट डोर कहानी उन दिनों की है जब मैं बी.एस.सी अन्तिम वर्ष का विद्यार्थी था. उस समय मेरी उम्र 21 वर्ष थी अर्थात् यह बात तीन साल पहले परीक्षा के बाद गर्मी की छुट्टियों की है.

हमारे पड़ोस में एक परिवार रहता है, जिसमें माधुरी आंटी, उनके पति सुधीर और इनकी 5 बेटियां हैं.

आंटी की 4 लड़कियों की शादी हो चुकी है. उनकी चारों बेटियों की शादी में हमारे परिवार ने भी पूरा सहयोग दिया. आंटी हमारे परिवार को बहुत मानती है और बहुत इज्जत देती है.
चार बेटियों की शादी के बाद अब उनके घर में केवल आंटी, अंकल और उनकी सबसे छोटी और पांचवी बेटी पूनम ही रहते हैं.

पूनम की उम्र 21 साल है लेकिन यह बात दो ढाई साल पहले की है.
वो देखने में बहुत ही प्यारी लड़की है. कोई भी उसको देखे तो उस पर मोहित हो जाए.

चूंकि आंटी के घर में हमारा आना जाना बहुत ज्यादा था तो दोनों परिवारों में कोई भेद नहीं था.
हम लोग ऐसे रहते थे जैसे एक ही घर हो.
इस वजह से पूनम भी अक्सर मेरे साथ ही समय बिताया करती थी.

पूनम अभी भी बचपने वाली बातों किया करती थी.

एक दिन साउथ सिनेमा की एक फिल्म देखने के बाद वो कहने लगी कि वो भी मुझे पसंद करती है और मुझसे शादी करना चाहती है.

इस पर मैं एकदम से हैरान हो गया. मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या उत्तर दूं.
फिर मैंने सोचा कि उसने बचपने में कह दिया होगा.

मैं बोला- पागल हो गई हो तुम! अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है शादी की? और वैसे भी, हमारे बीच ये सब कैसे हो सकता है. हमारा रिश्ता तो भाई-बहन जैसा है.
वो बोली- क्यों? मैं भी तो बड़ी हो गई हूं. हम पापा से बात कर लेंगे इस बारे में. मुझे तुम बहुत अच्छे लगते हो.

मैं बोला- तो फिर तुम्हारे भविष्य का क्या होगा, एक-दो साल के बाद तुम मेरे बच्चे की मां बन जाओगी. हम तो कुछ कमाते भी नहीं हैं, बच्चे को कैसे पालेंगे?
उसने कहा- वो सब हम शादी के बाद देख लेंगे. लेकिन मुझे तुमसे ही शादी करनी है.

उसकी ऐसी बातों से मेरा भी दिमाग घूमने लगा था.
मेरे अंदर भी वासना जागने लगी थी, मैंने पूनम के लिए पहले कभी ऐसा महसूस नहीं किया था.

फिर वो बोली- मुझे आपके साथ सोना है!
ये बात सुनकर मैं एकदम से स्तब्ध रह गया.

मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या पूनम सच में ही इतनी नादान है या उसके अंदर वाकई में ही जवानी वाली कामवासना ने जोर मारना शुरू कर दिया है!
मैं उसकी ओर देख रहा था और मुझे देखकर ऐसा भी नहीं लग रहा था कि वो के लिए आतुर हो, इसलिए मैं समझ नहीं पा रहा था कि इस बात का क्या जवाब दूं.

फिर मैंने कहा- सोना है? सोने से क्या मतलब है तुम्हारा?
वो बोली- जैसे पति-पत्नी सोते हैं एक साथ!
मैंने कहा- क्या तुम जानती हो तुम क्या कह रही हो?

वो बोली- हां, जब शादी होगी तो तब भी हमें साथ ही सोना है, पहले ही सोकर देख लेते हैं.
मैंने कहा- और कुछ हो गया तो?
वो बोली- जो होगा, पति के साथ ही तो होगा, उसमें क्या डर है.

उसकी इन बातों से मेरा लंड खड़ा होने लगा था.
उसके कमसिन बदन को देखकर अब मेरे अंदर भी के ख्याल आने लगे थे.

मैंने कहा- ठीक है, मैं भी इसके लिए तैयार हूं.
ये सुनकर वो खुश हो गई और बोली- लेकिन कहां?

मैंने कहा- मेरे साथ पहले भिलाई का एक लड़का पढ़ता था, जो अभी यहीं किराये का मकान लेकर काम कर रहा है, उसके घर जाना होगा.
वो बोली- दोस्त के घर क्यों? हम अपने ही घर में सोयेंगे ताकि मेरे सास ससुर भी देख सकें.

मैं बोला- तुम पागलों जैसी बातें कर रही हो, वो लोग क्या सोचेंगे?
पूनम- मैंने तो सोच लिया है, अगर सोएंगे तो अपने घर में ही. आपके अंदर हिम्मत है तो बोलो, वरना रहने दो.
अब मेरे अंदर पूनम की करने की वासना पूरी तरह से जोर पकड़ चुकी थी और मैं किसी तरह बस उसको चोदना चाह रहा था.

फिर मैंने कहा- ठीक है, हमारे घर में ही सोएंगे, अब खुश?
इस पर वो मुस्करा दी और मेरे गले लग गई जिससे उसकी चूचियों की नर्माहट मुझे अपनी छाती पर महसूस हुई.

फिर हम मौके का इंतजार करने लगे.

उसके दो दिन बाद मैंने पूनम से कहा- मैं तुम्हारी शर्त पूरी करने के लिए तैयार हूं, लेकिन आज तुम्हें मेरा साथ देना होगा.
वो बोली- ठीक है.
फिर मैं पूनम को चुपके से अपने रूम में ले गया.

उस वक्त घर में केवल मम्मी ही थी और उन्होंने हमें अंदर जाते हुए नहीं देखा.

फिर कुछ देर के बाद मैंने बाहर आकर मम्मी से कहा- मैं सोने जा रहा हूं और मुझे कुछ देर तक जगाना मत. उसके बाद मैं अपने रूम में गया और जल्दी से दरवाजा अंदर से बंद कर दिया.

हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े निकाल दिए.
पूनम पूरी नंगी हो गई थी.
उसका गोरा बदन और गोरी गोरी चूचियां, और उसकी जांघों के बीच में छिपी हुई उसकी कमसिन चूत देखकर मैं पागल हो गया.

मैं उस पर टूट पड़ा और उसके होंठों को चूसने लगा.
वो गर्ल नेक्स्ट डोर में मेरा साथ दे रही थी.

ये सब हकीकत में हो रहा था, मुझे इस पर यकीन ही नहीं आ रहा था.

उत्तेजना में मेरा बुरा हाल हो रहा था.
मैं उसको चूमते हुए उसके जिस्म की खुशबू को महसूस कर सकता था.

उसके होंठों का रस पीते हुए मेरे हाथ उसकी चूचियों तक खुद ही पहुंच गए थे.
मैं धीरे धीरे उसकी चूचियों को दबा रहा था.

बीच में एक दो बार मैंने उसकी चूत को भी अपने हाथ से रगड़ा.
मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं था इसलिए मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.

पूनम की चूत भी पूरी तरह से गीली हो गई थी.
मैंने उसकी चूत के छेद पर लंड को रखा और अंदर धकेल दिया.
वो एकदम से छटपटाने लगी और आवाज करने लगी.

मैंने उसके मुंह पर हाथ रखा ताकि आवाज बाहर न जाए.
फिर उसको चुप रहने का इशारा किया.

उसे बहुत दर्द हो रहा था तो मैंने उसको समझाया कि थोड़ा सहन करना पड़ेगा.
बड़ी मुश्किल से जाकर वो शांत हुई.

इधर मेरे लंड का बुरा हाल था.
वो पूनम की चूत में घुसने के लिए मरा जा रहा था.

मैंने पूनम को गालों और होंठों पर चूमना शुरू किया.
फिर उसके होंठों को रस पीते हुए धीरे धीरे लंड को उसकी चूत में सरकाना शुरू किया.
बहुत धीरे से मैंने उसकी चूत में लंड को उतार दिया.

वो भी मेरे होंठों को चूसने में व्यस्त थी तो अबकी बार उसको ज्यादा दर्द भी नहीं हुआ. मेरा लंड अब पूनम की चूत में पूरी तरह से समा चुका था.
धीरे धीरे मैंने लंड को उसकी चूत में चलाना शुरू किया.

कुछ देर बाद पूनम को मजा आने लगा और वो आह-आह … आह-आह करने लगी.
मुझे भी उसको चोदने में बहुत मजा आ रहा था.

हम दोनों अब के आनंद में डूब चुके थे.

पूनम की चूत चोदने में बहुत मजा आ रहा था.
उसकी चूत बहुत ज्यादा टाइट थी और मेरा लंड एकदम से चूत में फंसा हुआ था.
हम दोनों बार बार एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे.

कुछ देर के बाद मेरा माल निकलने को हो गया.
मैं उसके साथ रिस्क नहीं ले सकता था इसलिए मैंने माल को बाहर निकालने का फैसला किया.

मेरा ऐसा करने का बिल्कुल मन नहीं था और मैं चोदते हुए उसकी चूत में ही झड़ना चाहता था लेकिन ऐसा कर नहीं सकता था.

जब मुझे लगा कि मेरा माल बस आ गया तो मैंने एकदम से लंड को बाहर निकाल लिया और उसकी चूचियों के पास ले जाकर माल गिरा दिया.
पूनम की चूत और उसका चेहरा दोनों ही लाल हो गए थे.

मैं उसकी ओर देखकर मुस्करा रहा था.

मैंने पूछा- क्या हुआ? मजा नहीं आया?
वो बोली- तुम बहुत गंदे हो, मेरे साथ ऐसा क्यों किया, कितना दर्द हो रहा था मुझे!
मैंने कहा- तुमने ही तो कहा था, जो हुआ है हम दोनों की मर्जी से ही हुआ है.

वो बोली- अब मैं तुम्हारे साथ दोबारा कभी नहीं करूंगी.
इस पर मैं मुस्करा दिया.
फिर मैं उसे बाथरूम में ले गया और हम दोनों जल्दी से नहा लिए.

उसके बाद हमने कपड़े पहन लिए.

फिर मैंने कमरे का दरवाजा खोलकर ये देखने की कोशिश की कि मम्मी आसपास तो नहीं है.
जब मुझे लगा कि मम्मी पास नहीं है तो मैंने जल्दी से पूनम को रूम से बाहर निकाल दिया.

उसके बाद वो अपने घर चली गई.
उसकी चाल से पता लग रहा था कि वो करवाकर आई है.
इसलिए मैंने उसको ठीक से चलने के लिए कहा.

उस दिन के बाद से पूनम और मेरे बीच में संबंध बन गए और मौका पाकर हम दोनों ये का खेल खेलने लगे.

अक्सर मैं उसको छत पर बने रूम में ले जाया करता था और खूब चोदा करता था.
मुझे जैसे स्वर्ग मिल गया था.

पूनम की टाइट चूत को चोदने में इतना मजा आता था कि मैं आधे घंटे तक रुक रुककर उसकी चूत मारा करता था.
अब वो भी पूरे मजे के साथ करवाती थी.
हम दोनों जैसे सच में पति-पत्नी बन गए थे.

तब से लेकर तीन साल तक लगातार मैंने पूनम की की.
यह सिलसिला अभी भी जारी था लेकिन महीने भर पहले मेरी पूनम से लड़ाई हो गई.
वो कई बार मुझ पर शक किया करती थी.

अगर मैं किसी दूसरी लड़की से बात करता तो वो नाराज हो जाती थी.
इस बात को लेकर कई बार हमारी लड़ाई हो चुकी थी.

मुझे उसकी यह बात पसंद नहीं थी. इसलिए कई बार हम लोग काफी दिनों तक एक दूसरे से बात भी नहीं किया करते थे.
अब यह लड़ाई कितने दिन तक चलेगी, मुझे नहीं पता.

लेकिन अभी मेरी पूनम से बात नहीं हो पा रही है.
पूनम के शक का कारण उसकी ही एक दोस्त है. पूनम की दोस्त मुझे पसंद करती है. वो शायद मेरे साथ करना चाहती है, और मुझे लगता है कि वो ही पूनम को मेरे खिलाफ भड़का रही है.

मैंने पूनम से कहा था कि उसकी दोस्त की बातों में न आए. वो उसे मेरे खिलाफ भड़का रही है.
मैं उसको कई बार समझा चुका हूं कि मैं उसके अलावा किसी से बात नहीं करता हूं और मेरा किसी और के साथ कोई चक्कर नहीं है.

पूनम मेरी बात नहीं मानती है और अपनी सहेली की बात पर ज्यादा विश्वास करती है.
अब मैं सोच रहा हूं कि उसकी दोस्त को ये बात बोल दूं कि मैं भी उसको पसंद करने लगा हूं.
इससे पूनम को सबक मिलेगा.

आप लोग बताएं कि मैं पूनम की सहेली के साथ का रिश्ता शुरू करूं या नहीं?
आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर बताएं.
मैं आप सब लोगों की प्रतिक्रियाओं का इंतजार करूंगा.

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