छप्पर फाड़ कर-2

छप्पर फाड़ कर-2 मैंने उसके उरोजों को सहलाना शुरू किया। उरोज क्या थे दो रुई के गोले थे। सुगंधा के उरोज तो इसके सामने कुछ भी नहीं थे। मेरा लिंग पजामें में तंबू बना रहा था। मैंने उरोजों को जोर जोर से मसलना शुरू किया तो उसके मुँह से कराह निकली। अब मुझसे बर्दाश्त नहीं … Read more

एक सफ़र

एक सफ़र प्रेषक : गुल्लू जोशी बस में कोई खास भीड़ तो नहीं थी, पर शाम की बस थी जो रात के दस साढ़े दस बजे। तक इन्दौर पहुंचा देती थी। नौकरीपेश लोगों की यह मन पसन्द बस थी। मैं अपनी मम्मी और पापा के साथ बैठा हुआ था। सीट में तीन ही बैठ सकते … Read more

अंगूर का दाना-3

अंगूर का दाना-3 प्रेम गुरु की कलम से उस रात मुझे और अंगूर को नींद भला कैसे आती दोनों की आँखों में कितने रंगीन सपने जो थे। यह अलग बात थी कि मेरे और उसके सपने जुदा थे। यह साला बांके बिहारी सक्सेना (हमारा पड़ोसी) भी उल्लू की दुम ही है। रात को 12 बजे … Read more

उसका मेरा रिश्ता-2

उसका मेरा रिश्ता-2 प्रेषिका : निशा भागवत मैंने उसे अपने बिस्तर पर लेटा लिया और उससे चिपक गई। “अरे भाभी सुनो तो…! यः क्या कर रही हैं आप…?” यह सुन कर मुझे एकदम होश आ गया, मैंने आश्चर्य से उसे देखा- क्या हो गया देवर जी? अभी तो आप… “पर यह नहीं… आप भाभी हैं … Read more

दाखिला

दाखिला मेरी पिछली कहानी मेरी बहन की प्रवेश परीक्षा में आपने पढ़ा कि कैसे मेरी और सुगन्धा की प्रवेश परीक्षाएँ अधूरी रह गई थीं। अब आगे… काशी हिंदू विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा के दो सप्ताह बाद सुगन्धा को इलाहाबाद विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा देनी थी। मैंने पिछली कहानी में ही जिक्र कर दिया था कि … Read more

सोने के कंगन

सोने के कंगन दोस्तो, मेरा नाम निहारिका है, यह मेरी पहली कहानी है, आशा करती हूँ आप सभी को पसंद आएगी। बारहवीं कक्षा पास करते ही मुझे बैंक में क्लर्क की नौकरी मिल गई लेकिन मुझे अपने घर से दूर पोस्टिंग मिली, इतनी कम उम्र में घर से दूर रहना आसान नहीं था पर घर … Read more

स्वाति राण्ड

स्वाति राण्ड प्रेषक : दीपक चौधरी आप सभी लोगों को खड़े लण्ड से प्रणाम। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। यहाँ कहानियाँ पढ़ने के बाद मुझे लगा कि मुझे भी अपनी यौन-क्रीड़ा के बारे में आपको बताना चाहिए, जिसे पढ़ते हुए लड़के मुठ मारने लगेंगे और लड़कियों, भाभियों और आन्टियों को लण्ड की प्यास लग … Read more

दोस्त की मम्मी और उनकी सहेली की चूत चुदाई -4

दोस्त की मम्मी और उनकी सहेली की चूत चुदाई -4 अब तक आपने पढ़ा.. मेरे हर धक्के के साथ उसके चूचे ऊपर-नीचे हो रहे थे और वो ‘आ.. आह.. यस.. फक मी..’ कर रही थी.. जिसकी वजह से मेरा जोश और बढ़ने लगा। फिर जब वो झड़ने वाली थीं.. तो बोलने लगीं- और ज़ोर से.. … Read more

Unknown Caller-5

Unknown Caller-5 Hello dosto, jaisa ki aapne abhi tak prachi ki kahani me padha ke kaise vo apne college me revealing dress pehnkar gyi or kaise uski teacher ne usko samjhaya lekin unke samjhane ka bhi usper koi asar ni hua. Ab Aage… Mujhe bas lund chahiye tha. Kaisa bhi ho koi bhi ho. Mere … Read more

अठरह की उम्र में लगा चस्का-2

अठरह की उम्र में लगा चस्का-2 उसने मुझे कहा कि उसके दोस्त का घर खाली है, कहो तो चल सकते हैं। मैंने कहा- ठीक है। मैं उसकी बताई जगह पर पहुँच गई, जहाँ से बबलू ने मुझे अपनी बाईक पर बिठाया, जब वहाँ पहुँचे तो एक बहुत हैण्डसम लड़के ने दरवाज़ा खोला, हमें अंदर घुसवा … Read more

छुपाए नहीं छुपते-1

छुपाए नहीं छुपते-1 मेरे और सुगंधा के बीच प्रथम संभोग के बाद अगले दिन उसकी परीक्षा थी, जिसे दिलवाकर मैं शाम की ट्रेन से उसे गाँव वापस छोड़ आया। दो महीने बाद उसे महिला छात्रावास में कमरा मिल गया और उसकी पढ़ाई-लिखाई शुरू हो गई। तभी सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षाओं का परिणाम घोषित हुआ … Read more

किरायेदार-6

किरायेदार-6 लेखिका : उषा मस्तानी दो दिन बाद सुबह नल चलने की आवाज़ आई मैंने देखा तो 5 बज़ रहे थे। सुरेखा नहाने की तैयारी कर रही थी, मतलब वो वापस आ गई थी। सुरेखा अब भी मेरा दरवाज़ा बाहर से बंद कर देती थी। मैंने सुरेखा को अभी तक नहीं बताया था कि मैं … Read more

Meri Biwi Aur Behan – Part Vii

Meri Biwi Aur Behan – Part Vii Remember, it’s fantasy story… [email protected] agar pasand aaye to tarif karna.. na pasand aaye to apki marzi.. par comments zarur likhna.. ye writer ko aur kuch nahi mangta…. !!! Meri pehli kahani – Meri biwi aur behan 1, 2,3,4,5,6..sabhi parts ko ko ek baar zarur padhna, yeh usika … Read more

भीड़ का आनन्द

भीड़ का आनन्द प्रेषिका : नंगी चूत मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ। जो किस्सा मैं आपको सुनाने जा रही हूँ, वोह कुछ साल पहले मेरे साथ मेरे कॉलेज के प्रथम वर्ष में हुआ था। कॉलेज शुरू करने पर मेरा बस से आना जाना बढ़ गया। कॉलेज का पहला साल था। स्कूल से निकल कर … Read more

जवानी चार दिनों की-2

जवानी चार दिनों की-2 लेखक : राज कार्तिक “लगता है तुम्हें भी ठण्ड लग रही है…!” वो मेरे कान में फुसफुसाई और बिना मुझसे पूछे ही उसने अपनी शाल मुझ पर भी ओढ़ा दी। मैंने हाथ बढ़ा कर अपना हाथ उसके हाथ पर रखा तो उसने भी मेरा हाथ पकड़ लिया। अब कोई गुंजाइश नहीं … Read more