आर्मी वाले ने शादी में मिली माला को ठोका

मेरा नाम एस पटनायक है. मैं आर्मी में हूँ. मिलेट्री बैंड के लिए मैं ही मुख्य व्यक्ति था.

एक दिन मैं ऑफिस में था तो मेरे ऑफिस में एक कॉल आया. उन्होंने बोला हमारे यहा मैरिज है तो हमें मिलेट्री बैंड और ऑर्केस्ट्रा बुक करवाना है… पैसे की फिक्र मत करिए.
मैंने कहा- हो जाएगा.

उन्होंने मुझसे रेट पूछा और सारी बात हो जाने के बाद उन्होंने मैरिज वेन्यू के लिए जम्मू के एक स्कूल (शिक्षा निकेतन जीवन नगर जम्मू) का अड्रेस लिखवा दिया.

शादी का दिन आया तो फिर मैं अपनी टीम लेकर वहां के लिए निकल गया. मैरिज हॉल में जाकर हमने अपने सिस्टम लगा दिए. वहाँ फैमिली वालों से मिला तो वो हमारी व्यवस्था देख कर खुश हुए.

फिर हम लोग काम में लग गए और मैं मैरिज हॉल में घूमने लगा. उधर काफ़ी लोग थे. तभी बारात आ गई. मैं आगे जा कर बारात देखने लगा. बारात में काफ़ी लड़कियां आई थीं.

तभी मेरी नज़र दूल्हे पे गई और उसके साथ खड़ी एक लेडी पर मेरी नजर टिक गई.
उस लेडी की उम्र 30 या 32 साल की रही होगी. वो काफी रिच लग रही थीं. उनकी फिगर 34-28-34 की थी.
उन्होंने ब्लैक कलर की साड़ी पहनी थी और डीप गले का ब्लाउज पहना हुआ था जिसमें से उनके मदमस्त मम्मों की छटा दिख रही थी.
उनकी साड़ी नाभि के नीचे बँधी थी और ऑफ वाइट कलर की हाइ हील्स बेल्ली पहनी हुई थीं.

तभी वो किसी को देखने के लिए पीछे मुड़ीं… उफ़फ्फ़ उनका ब्लाउज बॅक साइड से एकदम ओपन था… बस पाँच सात डोरियां बँधी थीं.

यहाँ सब मिलनी कर रहे थे और मैं उस लेडी को देखता हुआ सोच रहा था कि यार क्या मस्त माल है… साला लंड के नीचे आ जाए तो मजा आ जाए.

तभी मिलनी के बाद वो लेडी मुड़ी और उसकी नज़र भी मुझसे कई बार मिलीं.
मैंने कई बार आँखों में ही उनको स्माइल की, पर वो नज़र घुमा लेती थीं.
मैंने सोचा यार इनसे बात कैसे की जाए.

तभी वो स्टेज पे आईं और किसी को ढूँढने लगीं.
एक बार तो मेरे बिल्कुल पास से निकलीं और उनका कंधा मेरे कंधे से लगा.
उन्होंने मुझे सॉरी भी बोला.

यार क्या आवाज़ थी.
मैंने कहा- इट्स ओके!

वो आगे को चल दी, पर उनकी मादक खुशबू अभी भी आ रही थी.
मुझे बिना पिए चढ़ रही थी.
मैं बेचैन हो उठा था कि इनसे कैसे बात बने.

तभी मैंने वहाँ किसी से पूछा कि ये लेडी कौन है?
उसने बोला- ये लड़की दूल्हे की मौसी है, पर तुम क्यों पूछ रहे हो?
मैंने कहा- मुझे वो परेशान सी दिखीं तो पूछा.
उसने पूछा- अच्छा तो चलो मैं तुम्हारी मुलाक़ात करवा देता हूँ.

वो मुझे लेकर उनके पास गया और बोला- क्या बात है कोई प्राब्लम है क्या… आप काफ़ी परेशान लग रही हो?
उन्होंने बोला- अरे नहीं वो बस मेरे हज़्बेंड नहीं दिख रहे, मैं उनको ही देख रही हूँ, वो कहीं बाहर ना हों. वो बहुत ज़्यादा स्मोक करते हैं.

अब मैं और वो आदमी उनके हज़्बेंड को ढूँढने लगे.

तभी उस आदमी को किसी ने आवाज़ लगाई, उसने मुझसे बोला- आप इनको लेकर चले जाओ… पार्किंग में देख के आ जाओ… मुझे कोई बुला रहा है.

इतना कह कर वो चला गया.
मेरे दिल में खुशी के लड्डू फूटने लगे. मैंने उनसे कहा- चलिए.
हम दोनों चल दिए.

मैंने बात स्टार्ट करते हुए कहा- आप काफ़ी अच्छी लग रही हो.
उन्होंने कहा- अच्छा तभी… जब से मैंने एंट्री की है, आप तब से ही मुझे देखे जा रहे हो.
मैं बोला- ओह तो आप इस बात को नोटिस कर रही थीं.
उन्होंने कहा- यस…

मैं- ओके जी… वैसे आपका नाम क्या है?
उन्होंने कहा- ललिता…
‘ओके नाइस नेम… वैसे आप इतनी सुन्दर और सेक्सी हो तो आपके हज़्बेंड कहाँ गायब हो गए हैं. आप जैसी बीवी हो तो नशा अपने आप ही चढ़ जाता है.
उन्होंने मुस्कुरा कर बोला- अच्छा…
‘हाँ…’
फिर स्माइल देकर बोली- फ्लर्टिंग कर रहे हो.

हम दोनों पार्किंग के पास आ पहुँचे तो देखा उनके हज़्बेंड अपनी ऑडी कार में सो रहे थे.

उन्होंने काफ़ी कोशिश की, पर वो नहीं जागे और नींद में ललिता को गाली देने लगे- जा चली जा मादरचोद… मुझे सोने दे… थोड़ी देर में आता हूँ, मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा है.

मेरे सामने अपने बारे में ऐसा सुन कर ललिता की आँखों में आँसू आ गए.
तब मैंने ही हिम्मत करके बोला- इनको सोने दो हम शादी एन्जॉय करते हैं.
उन्होंने हामी भरी और हम दोनों चल पड़े.

मैंने उनके कंधे पे हाथ रखा तो वो मेरे गले लग गईं.
मैं इतनी जल्दी इसके लिए तैयार ही नहीं था. फिर वो अलग हुईं और सॉरी बोल कर बोलीं- प्लीज़ इस बात के बारे में किसी से कुछ मत कहना कि मेरे हज़्बेंड ने मुझे क्या कहा… नई रिश्तेदारी है… मेरी क्या इज़्ज़त रह जाएगी.
मैंने कहा- चिंता मत कीजिए.

हम वहां से चल दिए… मैरिज हॉल में जा कर अलग हो गए, पर नज़र एक दूसरे के ऊपर ही थी.

थोड़ी देर के बाद वो मेरे पास आ कर मेरे कंधे पे अपने कंधे मार के मैरिज हॉल की सीढ़ियों पर चढ़ गईं.

मैंने देखा तो उन्होंने आँखों से इशारा करके मुझे बुला लिया.

मैं वहां गया तो उन्होंने कहा कि यहां मुझे अच्छा नहीं लग रहा, कहीं कोई अच्छी जगह है, जहां कोई ना हो.
मैंने कहा- हां चलो ऊपर छत पर कोई नहीं होगा.

वो आगे आगे चलने लगीं और मैं पीछे पीछे चलने लगा. वो टाइम लकी था कि छत पर कोई नहीं था क्योंकि सब नीचे ऑर्केस्ट्रा पर डांस में लगे थे.

मैंने ऊपर जा कर छत का दरवाजा लॉक कर दिया और अब उस रात मैं और ललिता अकेले मैरिज हॉल की छत पर थे.

मैंने बोला- क्या हुआ?
उसने बोला- पता नहीं, क्या मैं तुम्हारे गले लग सकती हूँ?
मैंने बाँहें फैला कर बोला- ज़रूर…

उन्होंने मुझे हग कर लिया.
मैंने उनको भींचते हुए पूछा- क्या हुआ?
उन्होंने बोला- कुछ नहीं बस यूं ही…

वो मेरी आँखों में देखने लगीं. वो चाँद की रोशनी में काफ़ी सेक्सी लग रही थीं.

मैंने बोला- ऐसे मत देखो नहीं तो मैं किस कर लूँगा.

उन्होंने बिना कहे अपने होंठों मेरे होंठों पे लगा दिए.
वो मेरे होंठों चूस रही थीं, मैं उनकी लिपस्टिक की महक से लेकर उनकी जीभ तक की मिठास को अपने मुँह में महसूस कर रहा था.

हम दोनों काफ़ी देर तक डीप किस करते रहे ‘उउंम उउउंम उउउंम उम्म्म…’
वो पागल हो रही थीं और बोल रही थीं- ओह प्लीज़ और जोर से किस करो… प्लीज़ उउउंम उउंम उउंम उउंम…

मैंने किस करते करते उनकी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और उनके मम्मों को प्रेस करने लगा.
उन्होंने मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगीं.

मुझमें आग लग गई, मैंने उनका ब्लाउज खोल दिया और उनकी ब्रा के हुक भी खोल दिए. उनके गोरे गोरे चूचे मेरे सामने थे.
मैंने उनको चूसना शुरू कर दिया.

‘उउउंम उउंम उम्म…’ उनके लाइट ब्राउन निप्पलों को चूस कर मैंने लाल कर दिया. मैं उनके मम्मों को लगभग खा ही जाना चाहता था, पूरे मम्मों को मुँह में भर लेना चाहता था.

उन्होंने बोला- रूको… नहीं तो कपड़े खराब हो जाएंगे… अभी नीचे भी जाना है.

मैंने देखा वहां एक दरी रखी थी. मैंने उस दरी को बिछा दिया. उन्होंने घुटने के बल बैठ कर बोला- देखूँ तो सही तुम्हारा एरोप्लेन कैसा है… उड़ने में मज़ा आएगा या नहीं.

ये कहते हुए उन्होंने मेरी पेंट खोली और नीचे सरका करके मेरा लंड निकाल कर देखा.
लंड देखते ही उनके मुँह से आह निकल गई. उन्होंने कहा- लगभग 7 इंच का तो होगा ही.
मैंने कहा- कभी नापा नहीं… पर 7 या 8 इंच का ही है.
उन्होंने बोला- जितना भी हो पर मुझे इतना पता है कि ये मेरे हज़्बेंड से बड़ा और मोटा है.

उन्होंने अपने लाल होंठ खोल करके मेरे लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगीं ‘उउंम उउंम उम्म…’
इसके बाद वे मेरे लंड के नीचे मेरी दोनों गोलियों को मुँह में लेकर चूसने लगीं और लंड को खींचने लगीं.

‘उउंम उउंम…’ मैं तड़प रहा था और वो मज़े ले रही थीं.
मैंने कहा- ओह ललिता तुम काफ़ी गरम हो जान… ऊहह ऊहह…

फिर वो खड़ी हुईं, मैंने उनके सारे कपड़े उतार के उनको दरी पर लेटा दिया और उनके होंठों को चूस कर, मम्मों को चूस कर, दबा कर उनकी चुत के पास आ गया.
मैं उनकी चुत को खोल कर अपनी जीभ से चाटने लगा.

ललिता पागल हो गईं और मेरा सिर पकड़ कर बोलीं- जान मेरी जान ले लोगे क्या?
मैंने एक स्माइल दी और बोला- क्यूँ जब मेरी दोनों गोलियां खींच रही थीं, तो बड़ा मज़ा आ रहा था.
उन्होंने स्माइल के साथ बोला- ओह बदला ले रहे हो.
मैं फिर से उनकी चुत चाटने लगा ‘उउउंम उउंम उउंम…’

फिर अपनी जीभ उनकी चुत में अन्दर तक डाल कर टंग फक करने लगा.
वो बोलीं- अब जल्दी से अपना लंड मेरी चुत में डाल दो… नहीं तो मैं मर जाऊंगी.

हमको वैसे भी काफ़ी देर हो गई थी. इस बात का डर भी था कि कहीं कोई ऊपर आ ना जाए.

मैंने उनकी टांगें चौड़ी की और उनकी चुत पे अपना लंड लगा दिया.
वो डरते हुए बोलीं- आराम से… तुम्हारा लंड बहुत मोटा है.

मैंने एक धक्का दिया, तो मेरा लंड उनकी चुत में अन्दर चला गया.
उन्होंने मेरे होंठों पे खुद अपने होंठों रख दिए.

मैंने फिर धक्का दिया, तो उन्होंने अपने नाख़ून मेरी पीठ में गड़ा दिए और होंठों को चूसने लगीं.

मैं थोड़ी देर रुका रहा, फिर जब वो खुद ही नीचे से धक्के देने लगीं तो मैंने भी स्टार्ट कर दिया.

‘उउंमह उउंह उम्म उउंम…’
हम दोनों आसमान में उड़ रहे थे.

उन्होंने कहा- आह… तेज़ और तेज़ प्लीज़ और तेज़ प्लीज़… जान तेज़ करो.
मैं तेज़ तेज़ धक्के लगा रहा था. उनकी सीत्कारों से मुझमें और जोश आ रहा था.

तभी उन्होंने मेरे होंठों पे एक बाईट किस किया और मुझे कसके अपनी बांहों में समा लिया.
मैं समझ गया कि उनका काम लग गया है.

उन्होंने कहा- जान जल्दी करो… कोई आ ना जाए.
फिर 5 मिनट बाद मैंने बोला- जान मेरा होने वाला है.

उन्होंने कहा- जान बाहर मत निकालना… अन्दर ही कर दो… अपना गरम पानी मेरी चुत में भर दो.
मैंने उनकी चुत में ही अपना माल निकाल दिया.

फिर हम दोनों थोड़ी देर लेटे रहे. हम खड़े हुए, कपड़े पहने और एक दूसरे को किस किया.
उन्होंने बोला- जान तुमने मुझे आज वो सुख दिया, जिसकी मुझे ज़रूरत थी.

फिर हम दोनों एक साथ नीचे आ गए और भीड़ में मिल गए.
मेरे एक दोस्त ने बोला- कहां था?
मैंने कहा- बाहर घूमने गया था.

उसने बहुत पूछा मगर मैंने उसको बातों बातों में टाल दिया.

फिर मैं और ललिता एक दूसरे को बार बार किसी ना किसी बहाने से टच करते रहे. लास्ट में मैंने उनका कॉंटॅक्ट नंबर लिया और वापिस चला गया.

मैं बाद में भी उनसे मिलता रहा और उनको लगातार चोदता रहा.