सुहानी को मुंबई में जाकर चोदा

antarvasna

मेरा नाम सुधांशु है मैं बनारस का रहने वाला हूं, हमारा परिवार बनारस में 10 साल पहले आकर बस गया था। हम लोगों का गांव बरेली के पास है लेकिन हम लोगों को यहां काफी वर्ष हो चुके हैं इसलिए अब हम काफी लोगों को पहचानते हैं। मेरे पिताजी की बनारस में है सरकारी नौकरी थी लेकिन अब वह नौकरी से रिटायर हो चुके हैं और अब वह घर पर ही रहते हैं। मुझे भी अपना कॉलेज करे हुए काफी वक्त हो चुका है लेकिन अभी तक मेरी कहीं भी जॉब नहीं लगी है इसलिए मैं घर पर ही अपनी नौकरी की तैयारी कर रहा हूं। मैं भी किसी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा हूं और घर पर ही रहता हूं लेकिन मुझे कई बार लगता है कि शायद मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रहा इसी वजह से मैं अभी तक कोई भी प्रतियोगिता परीक्षा में सफल नहीं हो पाया।

मेरा एक दोस्त है उसका नाम संतोष है, वह हमारे घर पर अक्सर आता जाता रहता है, हम दोनों कॉलेज से ही साथ में हैं संतोष के पिताजी बहुत पुराने व्यापारी हैं इसलिए वह लोग घर से बहुत संपन्न है और उसे किसी भी प्रकार की कोई चिंता नहीं है। वह जब भी मुझसे मिलता तो है तो वह बहुत खुश रहता है और कहता है कि तुम भी बेकार में इन सब चीजों के चक्कर में पड़े हो, जब तुम्हें पैसों की आवश्यकता हो तो तुम मुझे बता देना मैं अपने पिताजी से तुम्हें पैसे दिलवा दूंगा ताकि तुम कुछ और काम खोल सको लेकिन मैंने उसे कई बार कहा कि मैं नौकरी करना चाहता हूं इसलिए मैं ज्यादा ध्यान इन चीजों पर नहीं दे रहा हूं। मेरी बहन आरती अभी कॉलेज में ही पड़ रही है और यह उसका आखिरी वर्ष है। संतोष जब भी हमारे घर आता है तो आरती से हमेशा ही बात करता है, उन दोनों की आपस में बहुत ज्यादा बनती है इसलिए वह दोनों ही आपस में बहुत बात करते हैं। हमारे घर पर भी सब लोग खुले विचारों के हैं इसलिए कभी भी उन्होंने संतोष को आरती से बात करने से नहीं रोका या फिर आरती को भी उन्होंने कभी भी संतोष से बात करने से नहीं रोका।

मैं हमेशा ही अपने घर पर कहता हूं कि संतोष एक अच्छा लड़का है और मुझे संतोष ने हमेशा ही बहुत मदद की है क्योंकि वह जिस परिवार से आता है उनका बनारस में बहुत ज्यादा नाम है और वह लोग बनारस के बहुत ही पैसे वाले लोग हैं। मेरे पिताजी भी आरती के लिए रिश्ता देखने लगे थे क्योंकि यह उसका आखिरी वर्ष है और वह चाहते हैं कि जैसे ही उसका कॉलेज पूरा हो जाए उसके बाद वह लोग आरती की शादी किसी अच्छे घर में करवा देंगे लेकिन मेरे पिताजी को अभी तक कोई ऐसा लड़का नहीं मिला था जो उन्हें समझ आया हो इसलिए उन्होंने अभी तक आरती के लिए कोई भी रिश्ता फाइनल नहीं किया था। बनारस की ही एक और फैमिली है जो कि बहुत बड़े घराने से हैं, उनका रिश्ता जब आरती के लिए आया तो मेरे पिताजी मना नहीं कर पाए और उन्होंने कहा कि मैं अपनी बेटी से पहले बात कर लेता हूं उसके बाद मैं आपको सूचित कर दूंगा। जब उन्होंने आरती से बात की तो आरती कहने लगी कि अभी मैं शादी नहीं करना चाहती मुझे कुछ और वक्त चाहिए। मेरे पिताजी और मेरी मां कहने लगे कि वह लोग बहुत ही अच्छे खानदान से हैं और तुम्हें ऐसा रिश्ता दोबारा नहीं मिलने वाला, लड़का भी बहुत अच्छा है, तुम एक बार उससे मिल लो यदि तुम्हें वह समझ में नहीं आया तो उसके बाद तुम हमें बता देना लेकिन आरती ने साफ मना कर दिया और वह कहने लगी कि मुझे उस लड़के से मिलना ही नहीं है। मेरे पिताजी बहुत गुस्सा हो गये और वह कहने लगे कि हम लोग इसीलिए तुम्हे कॉलेज में भेज रहे हैं ताकि तुम हमारी बातों को बिल्कुल भी ना मानो, मेरी मां भी आरती से बहुत गुस्सा हो गई। आरती अपने कमरे में रोने लगी और जब मैं उसके पास गया तो वह बहुत ज्यादा रो रही थी। मैंने उससे पूछा कि तुम एक बार उस लड़के से मिल लो लेकिन वह कहने लगी कि मुझे जब मिलना ही नहीं है तो मैं उसे क्यों मिलूं और ना ही मुझे शादी करनी है। मुझे लगने लगा था कि कुछ तो बात है नहीं तो आरती बहुत ही सीधी लड़की है और वह बिल्कुल भी मेरे माता-पिता की बात को मना नहीं करती लेकिन उस दिन ना जाने उसने क्यों पिताजी की बात को मना कर दिया, इससे पिताजी भी बहुत गुस्सा हुए और वह कहने लगे कि यदि आरती का व्यवहार ऐसा ही रहा तो मैं इससे कभी भी बात नहीं करूंगा।

मैंने उस दिन आरती से ज्यादा बात नहीं की लेकिन मेरे दिमाग में यह बात आ गई थी कि आरती के मना करने के पीछे कोई ना कोई तो बात जरूर है इसलिए मैंने भी आरती से कुछ दिनों बाद इसके बारे में पूछा तो पहले वह मुझे कुछ भी नहीं बता रही थी, पर उसने बादमे मुझे बताया कि मेरा और संतोष का रिलेशन चल रहा है इसलिए मैं संतोष से ही शादी करना चाहती हूं। जब मैंने यह बात सुनी तो मुझे एक पल के लिए गुस्सा आ गया लेकिन मैंने भी सोचा कि जब आरती संतोष से प्यार करती है तो उन दोनों को शादी कर लेनी चाहिए। जब मैंने इस बारे में संतोष से बात की तो वह कहने लगा कि मैं तुम्हें बताना चाहता था लेकिन मैं तुम्हें बता नहीं पाया, मुझे लगा कहीं तुम मेरे बारे में कुछ गलत ना समझ बैठो इसलिए मैंने तुम्हें इस बारे में बिल्कुल भी नहीं बताया। मैंने संतोष से कहा कि यदि तुम मुझे अपना दोस्त मानते होते तो तुम्हें मुझे यह सब बता देना चाहिए था ताकि आरती, पिता जी को तुम्हारे और अपने रिलेशन के बारे में बता पाती लेकिन तुमने बिलकुल भी यह बात मुझे नहीं बताई, मुझे इस बात का बहुत बुरा लगा। मैंने जब संतोष से पूछा कि तुम अब मेरे पिताजी से बात करो ताकि वह समझ सके, जब संतोष ने मेरे पिताजी से इस बारे में बात की तो पहले उन्हें बहुत बुरा लगा लेकिन उन्हें यह भी पता था कि संतोष एक अच्छा लड़का है इसलिए उन्होंने कहा कि तुम अपने पिताजी को हमारे घर पर भेजना, ताकि हम लोग आपस में बात कर पाए।

जब संतोष अपने पिताजी को घर पर लाया तो वह भी इस रिश्ते के लिए तैयार थे और वह कहने लगे कि यदि संतोष मुझे पहले ही बता देता तो मैं आपके पास पहले ही आरती का हाथ मांगने के लिए आ जाता परंतु संतोष ने मुझे कभी भी इस बारे में नहीं बताया। अब सब लोग तैयार हो चुके थे इसलिए उन दोनों की शादी जल्द बाजी में करवा दी। आरती भी बहुत खुश थी और संतोष भी बहुत खुश था। शादी में ज्यादा मेहमान तो नहीं आए थे लेकिन जितने भी आए थे उनमें से मैं ज्यादातर लोगों को पहचानता था। उसी शादी में एक लड़की आई हुई थी, जब मैंने इस बारे में संतोष से बात की तो वह कहने लगा कि वह मेरी बुआ की लड़की है, मैंने उसे कहा कि मैंने कभी भी उसे पहले नहीं देखा। संतोष ने मेरी बात सुहानी से करवाई जब उसने मेरी बात सुहानी से करवाई तो मुझे उससे बात करते हुए बहुत अच्छा लगा। मैंने उससे पूछा कि तुम क्या कर रही हो, वह कहने लगी कि मैं जॉब करती हूं और मुंबई में रहती हूं। मैंने उस दिन सुहानी का नंबर ले लिया और जब मैंने सुहानी का नंबर लिया तो उसके काफी समय बाद मैंने उसे फोन किया। हम दोनों आपस में अब फोन में ही बातें किया करते थे, वह मुझसे मेरी बहन के बारे में भी पूछ लेती थी क्योंकि कभी-कबार आरती हमारे घर पर आ जाती थी और संतोष भी हमसे मिलने के लिए आता रहता था। मुझे भी सुहानी से बात कर के बहुत अच्छा लगता था और मैं सोचने लगा कि मैं क्यों ना सुहानी से मिलने के लिए मुंबई चला जाऊं।

मैंने एक दिन उसे मजाक में कह दिया कि मैं तुमसे मिलने के लिए मुंबई आ रहा हूं, वह कहने लगी ठीक है तुम मुझसे मिलने आ जाओ लेकिन मैं वाकई में मुंबई चला गया और जब वह मुझे मिली तो वह बहुत खुश हो गई और कहने लगे कि तुम मुझसे मिलने वाकई में आ गए, मुझे लगा तुम मुझसे मजाक कर रहे हो। सुहानी मुंबई में जॉब करती है और उसके माता पिता बनारस में ही रहते हैं। हम दोनों ने काफी देर तक बात की उसके बाद सुहानी मुझे अपने साथ अपने घर ले गई। जब वह अपने घर ले गई तो मैंने उसे कहा कि तुमने तो बहुत अच्छा घर लिया हुआ है। मैं उसे कहने लगा कि इसका तो बहुत ज्यादा किराया होगा। वह कहने लगी कि मेरी सैलरी भी अच्छी है इसलिए मैं इसका किराया समय पर दे देती हूं। वह अपने कमरे में चली गई मैं भी उसके साथ उसके कमरे में बैठा हुआ था। हम दोनों साथ में बैठ कर बात कर रहे थे लेकिन मेरा हाथ उसकी जांघ पर पड़ा तो मेरा मन मचलने लगा। मैंने उसकी जांघ को बड़े जोर से दबा दिया वह मेरे इशारों को समझ चुकी थी और उसने भी तुरंत मेरे होठों को किस कर लिया। मैंने भी उसको बहुत अच्छे से किस करना शुरू कर दिया। मैं उसके होठों पर किस कर रहा था तो उसकी योनि से पानी बाहर निकलने लगा। मुझे बहुत अच्छा लगा उसकी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने उसके कपड़े खोलते हुए उसकी योनि को चाटना शुरू कर दिया मैंने काफी देर तक उसकी चूत को चाटा जिससे कि मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा। कुछ देर बाद मैंने उसकी योनि में अपने लंड को डाल दिया जैसे ही मेरा लंड सुहानी की योनि में गया तो उसकी चूत से खून की पिचकारी निकल आई मेरा लंड उसकी योनि की गहराइयों में उतर गया। मैं अपने लंड को अंदर बाहर करता जाता तो उसे भी बहुत अच्छा लगने लगा और वह मेरा पूरा साथ देने लगी। वह मुझे कहती कि तुम्हारा लंड तो इतना मोटा है मेरे पूरे पेट के अंदर तक जा रहा है। मैंने उसके दोनों पैरों को खोलते हुए उसे बड़ी तेज झटके देना शुरू किया। हम दोनों की रगडन से जो गर्मी पैदा हुई उसे हम दोनों ही ज्यादा समय तक बर्दाश्त नहीं कर पाए और जैसे ही मेरा वीर्य सुहानी की योनि में गिरा तो मुझे काफी अच्छा महसूस हुआ। हम दोनों ही एक दूसरे को पकड़ कर लेट गए।