ट्रेन में लड़की को उसके पीजी में चोदा

उस दिन रात को ग्यारह बजे मै उसकी पीजी की दीवार कूद के उसके रूम में पहुंच गया. वहां वो पहले से ही तैयार बैठी थी. जाते ही मैं उस पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा…

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अयान है और मैं अन्तर्वसना का नियमित पाठक हूँ. यहाँ पर ये मेरी पहली कहानी है. उम्मीद है आप सबको जरूर पसंद आएगी.

कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपने बारे में कुछ बता दूँ. मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला वाला हूँ और एक साल पहले ही कोटा आया था. मेरी हाइट 5 फुट और 7 इंच है. मेरी बॉडी बिल्कुल स्लिम है और बाल लम्बे हैं. मैं बाकियों की तरह झूठ नहीं बोलूंगा कि मेरा लन्ड 10 इंच का लंड है. सच्चाई यही है कि मेरा लन्ड 6-7 इंच का ही है.

अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ. मैं ट्रेन से कोटा आ रहा था. ट्रेन लखनऊ स्टेशन पहुंची ही थी कि एक लड़की मेरी बोगी में चढ़ी. अचानक से मेरा ध्यान उस लड़की पर पड़ा.

क्या माल थी यार ! क्यूट सा चेहरा, भूरे और लम्बे – लम्बे बाल, पतले से होंठ और पतली सुराहीदार गर्दन. सीने पर दो बड़ी – बड़ी मोटी – मोटी चूचियां, पतली कमर और सबसे खतरनाक उसकी मोटी और उभरी हुई गांड, बिल्कुल किम कर्दाशियां की तरह थी. वो पूरी तरह से चुदायी की देवी लग रही थी.

अब बोगी मे जितने लड़के थे सब साले उस पर लाइन मारने में लग गये. वो बिल्कुल मेरे सामने बैठी थी. उसकी नज़र झुकी हुई थीं और मैं उसकी मोटी – मोटी चूचियां घूरने में लगा हुआ था. अब मेरा लंड धीरे – धीरे खड़ा होने लगा था.

रात हुई तो सब सोने चले गये. मैं ठीक उसके सामने बैठा था. अब मैं भी उसको देख के स्माइल देने लगा तो उसने भी रिस्पॉन्स किया. फिर धीरे – धीरे हमने बात करना स्टार्ट कर दिया और थोड़ी टाइम में हम अच्छे से घुल – मिल गये. कुछ देर बाद कोटा स्टेशन आ गया. स्टेशन पर ही हमने अपने नंबर एक्सचेंज कर लिए. फ़िर कोटा पहुँच के हम फोन पर बात करने लगे.

धीरे – धीरे हमारी बातों का सिलसिला चल निकला. अब हम एक – दूसरे से मिलते भी थे. राजीव गाँधी नगर पार्क मे हम जाते, घूमते और एक – दूसरे से बात भी करते. एक दिन पार्क से निकलते वक्त मैंने धीरे से उसकी गांड पर टच कर कर दिया. इस पर उसने गुस्से से देखा तो मैने सॉरी बोल दिया.

फ़िर एक दिन हम सी वी गार्डन घूमने गये थे. वहाँ बिलकुल शांत महौल था तो उसने मुझसे पूछा कि उस दिन तुमने मुखे वहाँ क्यों टच किया था, तो मैंने बोला की ऐसे ही उस दिन तुम्हारी वो बहुत अच्छी लग रही थी तो कंट्रोल नहीं हुआ.

यह सुन कर वो मेरी आँखों मे देखने लगी. फ़िर अचानक से उसने मुझे धक्का दे दिया और पेड़ से लगा दिया. फिर वो मेरे होंठ पर अपने नरम होंठ रख के चूसने लगी. उसके नरम होंठ मुझे जन्नत का सा एहसास दिला रहे थे. अब मौका देख कर मैंने उसकी मोटी – मोटी चूचियाँ अपने हाथ में भर ली और दबाने लगा. तब उसने मुझे रोका और कहा कि यहां नहीं, रात को मेरी पीजी मे आना. फ़िर हम दोनों वहाँ से चले आये.

उस दिन रात को ग्यारह बजे मै उसकी पीजी की दीवार कूद के उसके रूम में पहुंच गया. वहां वो पहले से ही तैयार बैठी थी. जाते ही मैं उस पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा.

अब मैं उसके नर्म – नर्म होंठ को अपने होंठों के बीच में लेकर चूसने लगा. कभी मैं उसकी गर्दन पर जीभ लगता तो कभी कानों के पीछे, इससे वो सिहर सी उठती थी. अब वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. हम एक दम से मदमस्त हो गए थे.

फ़िर मैंने टी शर्ट ऊपर से उसकी मोटी – मोटी चूचियों को मुँह मे भर कर काटने लगा. फ़िर मैं उसको बेड पर ले गया और उसकी टी शर्ट और ब्रा एक साथ उतार दी. अब उसकी मोटी चूचियां बिलकुल मेरे सामने थीं. मैंने उनको पकड़ लिया और जोर – जोर से दबाने लगा. फिर मैंने उनको अपने मुँह में भर लिया.

अब वो अपनी आँख बंद करके सिसकारियां ले रही थी. मैं उसके निप्पल को कभी चूसता और काटता तो कभी अपनी छोटी – छोटी दाढ़ी को उस पर रगड़ देता था. वो आँख बन्द करके ‘सीईईईईई ऊफ्फ्फ्फ्फ्फ आह्ह्ह्ह्ह’ कर रही थी और इसी बीच मैंने उसका लोअर और पैंटी दोनों खींच के उतार दिया.

अब उसकी क्लीन शेव्ड चूत बिलकुल मेरे सामने थी. फिर मैंने तुरंत ही अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा लगा दी और मजे से उसकी चूत चूसने लगा. फ़िर धीरे से मैंने अपनी एक उँगली उसकी चूत में डाल दी और अब वो ‘सीईईई आआआआ प्प्प्प्लीजज्ज्ज्ज् जल्दी करो न’ करने लगी.

अब मैं उँगली अंदर – बाहर करते हुए 69 की पोज़िशन में आ गया और उसने बिना बोले ही मेरा मोटा लंड गप्प से अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगी. थोड़ी देर की चुसाई के बाद उसने मुझसे बोला कि प्लीज़, अब नहीं रहा जा रहा है, अब डालो ना.”

ये सुन कर मैं उसकी टांगों के बीच में पहुंच गया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा. फ़िर मैंने बहुत सारा थूक अपने लंड पर लगा कर अंदर डालने लगा. मेरा सुपाड़ा अंदर चला गया. सुपाडा अंदर जाते ही वो बोली, “दर्द हो रहा है, आराम से करो ना.”

तो मैंने एक बार लंड बाहर निकाला और धीरे – धीरे डालना शुरू किया. थोड़ी देर में मेरा पूरा लंड उसकी गरम चूत के अंदर था. उसकी सील पहले से ही टूटी हुई थी और मैं जोर – जोर से चोदने लगा. 10 मिनट तक लगतार चोदने के बाद उसने अपने नाखून मेरी पीठ में जोर से गड़ा दिया.

अब उसका पूरा बदन अकड़ने लगा और वह जोर से सिसकरी लेते हुए झड़ गयी. उसकी चूत का पानी मेरे लंड पर पूरा लग गया, लेकिन मेरा जोश अभी भी बहुत बाकी था तो मैंने उसको बायीं तरफ़ करवट लिटा के उसकी एक टाँग को हवा में अपने हाथ से पकड़ लिया.

अब मैं उसकी मोटी गांड में बहुत सारा थूक लगा कर लंड लगाने लगा. वो मना कर रही थी पर मुझे तो गांड मारने का भूत सवार था. फिर मैंने धीरे – धीरे करके उसकी मोटी गांड में अपना पूरा लंड डाल दिया और जोर – जोर से चोदने लगा. करीब 30 मिनट तक अलग – अलग पोज़िशन में उसको चोदने के बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया.

तो दोस्तों, आप सबको कैसी लगी मेरी कोटा में चुदायी की ये कहानी? आप अपना फीड बैक मुझे मेल करके ज़रूर दें. मेरी मेल आईडी